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पार्टियों पर बरसा कैश, 38 करोड़ के साथ AAP सेकंड

24cashwww.puriduniya.com दिल्ली। भले ही दुनिया भर में प्लास्टिक मनी का बोलबाला हो गया हो लेकिन भारतीय नेता आज भी ‘कैश’ के मुरीद हैं। साल 2004 से 2015 के बीच हुए विधानसभा चुनावों में तमाम राजनीतिक पार्टियों को 2,100 करोड़ रुपये चंदा मिला, जिसका 63% हिस्सा कैश से आया था। इसके अलावा पिछले तीन लोकसभा चुनावों में मिले फंड में 44% हिस्सा कैश का ही था।

असोसिएशन फॉर डेमॉक्रैटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि 71 विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टियों ने 2,107 करोड़ रुपये का फंड जुटाया। वहीं 2004, 2009 और 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में चेक के जरिए सबसे ज्यादा चंदा (1,300 करोड़ यानी 55%) इकट्ठा किया गया जबकि, 1,039 रुपये कैश में मिले। 2014 और 2015 के विधानसभा चुनावों में चेक के जरिए 1,244.86 करोड़ रुपये जुटाए गए।

विधानसभा चुनावो में समाजवादी पार्टी ने सबसे ज्यादा चंदा जुटाया। पार्टी को 186.8 करोड़ चंदा मिला था जिसमें से 96.54 करोड़ रुपये खर्च किए गए। आम आदमी पार्टी चंदा इकट्ठा करने में दूसरे नंबर पर आती है, जबकि इसने अभी तक दो विधानसभा चुनाव ही लड़े हैं। आप को 38.54 करोड़ रुपये चंदा मिला था जिसमें से पार्टी ने 22.66 करोड़ रुपये खर्च किए। चंदा इकट्ठा करने में तीसरे नंबर पर है जयललिता की पार्टी एआईडीएमके, जिसने 37.66 करोड़ रुपये जुटाए।
यह विश्लेषण राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा इलेक्शन कमिशन को दी गई जानकारियों पर गौर करते हुए किया गया है। हालांकि जब हम फंड खर्च किए जाने के तरीकों को देखें तो यह ठीक उलट है। लोकसभा चुनावों में 83% रकम चेक के जरिए खर्च की गई और विधानसभा चुनाव में 65% फंड। एडीआर के फाउंडर मेंबर और आईआईएम बंगलौर के प्रफेसर त्रिलोचन शास्त्री कहते हैं अगर चुनावों के दौरान जुटाए जाने वाले फंड और इसके खर्च किए जाने तरीकों की बात करें तो भारतीय पार्टियां सबसे कम पारदर्शी हैं।

इलेक्शन कमिशन की गाइडलाइंस के मुताबिक कोई पार्टी कैश के जरिए 20,000 रुपये से ज्यादा खर्च नहीं करती। हालांकि 20,000 रुपये से कम या ज्यादा खर्च को बताने का कोई खास तरीका निर्धारित नहीं किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, यही वजह है कि पार्टियां फंड खर्च का पारदर्शी ब्योरा नहीं देती हैं।