नई दिल्ली/वॉशिंगटन। भारत ने अमेरिकी सरकार के पाकिस्तान को आठ F-16 फाइटर जेट बेचने के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। भारत ने शनिवार को इस मामले पर अमेरिकी राजदूत को तलब कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने पाकिस्तान को F-16 एयरक्राफ्ट देने के फैसले पर निराशा जाहिर करते हुए अमेरिका के इस तर्क को खारिज किया कि इस तरह की डील से आतंकवाद से लड़ने में मदद मिलेगी। विकास स्वरूप ने कहा कि पाकिस्तान के साथ अमेरिका पिछले कई सालों का रिकॉर्ड उठाकर देख सकता है।
— ANI (@ANI_news) February 13, 2016
We are disappointed at the decision of the Obama Administration to notify the sale of F-16 aircrafts to Pakistan pic.twitter.com/NGdrAL2m9i
— Vikas Swarup (@MEAIndia) February 13, 2016
अमेरिकी सरकार ने शुक्रवार को कहा कि उसने पाकिस्तान को आठ F-16 फाइटर जेट बेचने पर सहमति दे दी है। इस जेट का निर्माण अमेरिकी कंपनी लोकहीड मार्टिन कॉर्प ने किया है। इसमें रेडार और अन्य उपकरण भी शामिल हैं। अमेरिका और पाकिस्तान के बीच यह 699 मिलियन डॉलर की डील हुई है। विदेशों में हथियार बेचने वाली पेंटागन डिफेंस सिक्यॉरिटी कॉर्पोरेशन एजेंसी ने कहा कि इस संभावित डील के बारे में अमेरिकी लॉमेकर्स को अधिसूचि़त किया गया था।
एजेंसी ने कहा कि F-16 से पाकिस्तानी एयरफोर्स की ताकत बढ़ेगी। इसे किसी भी मौसम और रात में भी ऑपरेट किया जा सकता है। एजेंसी ने कहा कि पाकिस्तानी एयर फोर्स की आत्मरक्षा क्षमता निश्चित तौर पर बढ़ेगी। एजेंसी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान आतंकियों और विद्रोहियों के खिलाफ मजबूती से ऑपरेशन चला सकेगा।
अमेरिकी लॉमेकर्स ने 30 दिनों तक इस डील को रोक कर रखा था। हालांकि यह अपने आप में अपवाद था क्योंकि किसी भी डील में औपचारिक नोटिफिकेशन जारी होने के बाद रोका नहीं जाता है।
रिपब्लिकन और डेमोक्रैटिक दोनों ही दलों के प्रभावशाली सांसदों के बढ़ते विरोध के बावजूद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कांग्रेस को अधिसूचित किया है कि वह पाकिस्तान सरकार को एफ-16 ब्लॉक 52 विमान, उपकरण, प्रशिक्षण और साजोसामान से जुड़े सहयोग वाली विदेशी सैन्य बिक्री करने को मंजूरी दे रहा है।
बयान में कहा गया कि यह प्रस्तावित बिक्री दक्षिण एशिया में एक रणनीतिक सहयोगी की सुरक्षा में सुधार में मदद करके अमेरिकी विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के लक्ष्यों में अपना योगदान देती है।
पेंटागन ने कहा कि इससे क्षेत्र में सामान्य सैन्य संतुलन प्रभावित नहीं होगा। प्रस्तावित बिक्री मौजूदा और भविष्य के सुरक्षा से जुड़े खतरों से निपटने में पाकिस्तान की क्षमता में सुधार लाती है।
साउथ कोरिया में ओसान एयरबेस पर एयर F-16 फाइटर जेट के सामने खड़ा एक अमेरिकी सैनिक ( फोटो-रॉयर्टस)
सेनेट में फॉरन रिलेशन कमिटी के चेयरमैन बॉब कोकर ने ओबामा प्रशासन से कहा था कि वह फॉरन मिलिटरी फाइनैंसिंग प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान को प्लेन नहीं देंगे। इसका मतलब यह हुआ कि पाकिस्तान अपने पैसे से जेट खरीदे।
यदि फॉरन मिलिटरी फाइनैंसिंग प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान को F-16 जेट मिलते तो 46 पर्सेंट कीमत कम लगती। इस डील से जुड़े अमेरिकी सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान ने जो फंड मुहैया कराए हैं उससे वह चार ब्लॉक मोडल्स के F-16 और उससे जुड़े रेडार समेत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सामग्री ही खरीद सकता है।
कोकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी से एक पत्र में कहा था कि वह पाकिस्तान के हक्कानी नेटवर्क से संबंधों को लेकर चिंतित हैं। हक्कानी नेटवर्क एक आतंकी संगठन है और इसके बारे में अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि अफगानिस्तान में हमले के पीछ वही है।
उन्होंने पत्र में लिखा था कि पाकिस्तान और हक्कानी नेटवर्क के संबंध चिंताजनक हैं लेकिन आप पाकिस्तान को मिलिटरी उपकरण दे रहे हैं तो बिना सब्सिडी के दें। दूसरी तरफ अमेरिकी अधिकारियों का तर्क है कि ओबामा प्रशासन पाकिस्तान को F-16 फाइटर जेट देने पर इसलिए सहमत है क्योंकि आतंकवादियों के खिलाफ अभियान के लिए यह जरूरी है।