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पहली बार देश के तीन सर्वोच्च पदों पर होगा संघ का कब्जा

पीएम मोदी, रामनाथ कोविद और वेंकैया नायडू करते हैं संघ की नुमाइंदगी

नायडू और मोदी ने अपना बचपन बेहद गरीबी में बिताया दोनों ही संघ के कार्यालय में ही पले-बढ़े

राजेश श्रीवास्तव

लखनऊ । आज वास्तव में स्वयं सेवक संघ के लिये इतराने का समय है। यह पहली बार है जब देश के सर्वोच्च तीन पदों पर संघ का कब्जा होगा। अपने उद्भव काल से लेकर आज तक कभी भी संघ को ऐसा मौका नहीं मिला। राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिग के तुरंत बाद भाजपा पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में उपराष्ट्रपति पद पर संघ की पसंद के वंेकैया नायडू के नाम के ऐलान के साथ ही संघ को यह सौभाग्य मिल गया। मालुम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पद के रामनाथ कोविंद भी संघ की ही नुमांइदगी करते हैं।

कोविंद की जीत भी तय ही है। पिछले महीने 2० मई को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर सबको हैरान कर दिया था। रामनाथ के नाम के साथ जहां बीजेपी ने दलितों को साधने की एक और कोशिश की। वहीं ये भी कहा गया कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने का फल मिला। अब भाजपा ने वेंकैया नायडू को एनडीए के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। वो भी तब जब नायडू मोदी कैबिनेट में शहरी विकास मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं और उनके जिम्मे स्मार्ट सिटी, स्वच्छता अभियान जैसे अहम प्रोजेक्ट अभी पूरी तरह से आकार भी नहीं ले सके हैं।

किसान परिवार में जन्मे नायडू ने बेहद गरीबी में गुजर-बसर किया। नके पास पढ़ाई तक के लिए पैसे नहीं थे। आरएसएस से उनके जुड़ाव की संजीदगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नायडू अपनी अल्पावस्था में संघ के कार्यालय में ही रहते और सोते थे। पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक के बाद जब अमित शाह ने उनके नाम का औपचारिक ऐलान किया तो वो भी नायडू के संघर्ष और लगन को याद करते दिखे। शाह ने बताया कि नायडू ने बचपन से बीजेपी की सेवा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अतीत की बात की जाए तो उन्होंने भी बचपन से ही स्वयंसेवक के रूप में काम किया। गुजरात के वडनगर से निकलकर मोदी केंद्र की सत्ता तक पहुंचे और देश के प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया। रामनाथ कोविद का राष्ट्रपति बनना लगभग तय है।

वहीं सत्ता पक्ष का उम्मीदवार होने के नाते वेंकैया नायडू का उपराष्ट्रपति बनना भी तय नजर आ रहा है। इसलिए जब नायडू चुनाव में जीत के बाद उपराष्ट्रपति पद का कामकाज संभालेंगे तो देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तीनों पदों पर संघ के स्वयंसेवक विराजमान होंगे। गौरतलब है कि भाजपा के सहयोगी दल शिवसेना ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की मांग की थी। मगर आज आरएसएस प्रमुख किसी संवैधानिक पद पर विराजमान न हों, मगर आरएसएस के स्वयंसेवक देश के तीन सर्वोच्च पदों पर आसीन होने जा रहे हैं।