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नोटबंदी: मोदी ने मांगे 50 दिन, पर अप्रैल 2017 से पहले खत्‍म नहीं होंगी दिक्‍कतें!

note-bandiनई दिल्‍ली। 8 नवंबर 2016 को लागू किए गए नोटबंदी के फैसले के बाद आम लोगों को हो रही दिक्‍कतों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से एक भावुक अपील की थी। इसमें उन्‍होंने आम जनता से 50 दिनों का वक्‍त मांगा था और भरोसा दिलाया था कि इतने दिनों में नोटबंदी के कारण जो दिक्‍कतें हो रही हैं, वे खत्‍म हो जाएंगी। 50 दिन के इस डेडलाइन को पूरा होने में अब महज 15 दिन बचे हैं, लेकिन फिलहाल जो हालात हैं उन्‍हें देखकर ऐसा लगता नहीं कि इस वक्‍त के भीतर पूरी तरह राहत मिल जाएगी। अगर आंकड़ों को ध्‍यान में रखकर बात की जाए तो आम लोगों को अप्रैल 2017 से पहले पूरी तरह राहत नहीं मिल पाएगी।

दरअसल, नोट छापने के लिए प्रिंटिंग प्रेसों की मौजूदा क्षमता और करंसी को वितरित करने संबंधी भारतीय रिवर्ज बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों पर गौर फरमाया जाए तो इससे पता चलता है कि मौजूदा रफ्तार के मुताबिक, मोदी ने जो डेडलाइन तय की गई, उसे पूरा नहीं किया जा सकेगा। देश भर के बैंकों और एटीएम में पर्याप्‍त पैसा हो, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार कितना पैसा फिर से सर्कुलेशन में लाना चाहती है।

अगर सरकार सिस्‍टम में 9 लाख करोड़ रुपये डालना चाहती है (जितना पैसा निकाला गया है उसका 35 प्रतिशत कम) तो ऐसा करने में उसे मई 2017 तक का वक्‍त लग जाएगा। दूसरी तरफ, अगर सरकार वापस लिए गए 14 लाख करोड़ रुपये की पूरी रकम फिर से सिस्‍टम में लाना चाहती है तो इस काम में अगस्‍त 2017 तक का वक्‍त लग सकता है। इस सारी समस्‍या का जो मूल है, वह 500 रुपये का नोट है जिसकी प्रिंटिंग फिलहाल पर्याप्‍त मात्रा में नहीं हो पा रही है।

संबंधित आंकड़ों पर एक नजर:
– आरबीआई के चार प्रेस हैं जो देवास (मध्‍य प्रदेश), नासिक (महाराष्‍ट्र), सालबोनी (पश्चिम बंगाल) और मैसूर (कर्नाटक) में हैं।

– आरबीआई की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, इन चारों प्रेसों की प्रिंटिंग क्षमता सालाना तकरीबन 2670 करोड़ नोट छापने की है। इसका मतलब यह है कि रोजाना इन प्रेसों से 7.4 करोड़ नोट छापे जा सकते हैं।

– अगर ये चारों प्रेस दो शिफ्ट के मुकाबले तीन शिफ्ट में भी काम करें तो रोजाना नोट छापने की उत्‍पादकता करीब 11.1 करोड़ होगी।

– हालांकि, इन चारों प्रेसों में सिर्फ आधी मशीनें ही ऐसी हैं जिनमें 500 या उससे ज्‍यादा के हाई वैल्‍यू नोट छापने संबंधी सिक्‍यॉरिटी फीचर हैं।

– इसका मतलब यह है कि अगर इन चारों प्रेस में सिर्फ हाई वैल्‍यू नोट छापने वाली मशीनें भी चौबीसों घंटे सिर्फ 500 रुपये के नोट भी छापें तो रोजाना 500 के सिर्फ 5.56 करोड़ नोट ही छापे जा सकेंगे।

– अगर इसका मूल्‍यांकन किया जाए तो 500 रुपये के नोटों के रूप में रोजाना सिर्फ 2778 करोड़ रुपये के मूल्‍य के नोट छापे जा सकेंगे।