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नीतीश कुमार ने ममता को फटकारा…दीदी हो दादा बनने की कोशिश न करो !

mamata-nitishनई दिल्ली। नोटबंदी पर केंद्र सरकार को घेरने के चक्कर में बंगाल की सीएम ममता बनर्जी दूसरे नेताओं से अपने संबंध खराब कर रही हैं। इसका पहला प्रमाण तब मिला जब उन्होंने इशारो-इशारों में बिहार के सीएम नीतीश कुमार को गद्दार तक कह दिया था। दरअसल नीतीश ने नोोटबंदी के मुद्दे पर पीएम मोदी का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि नोटबंदी देश के लिए बहुत अच्छा फैसला है। शुरू में कुछ तकलीफ होगी लेकिन आगे जाकर देश के लिए फायदेमंद साबित होगा। नीतीश ने एक नहीं बल्कि कई बार नोटबंदी पर केंद्र सरकार का समर्थन किया। इसी को लेकर ममता नीतीश से नाराज हैं। इतना ही नहीं बिहार में जब ममता ने नोटबंदी के खिलाफ प्रदर्शन किया था तो नीतीश ने खुद को उस से अलग कर लिया था।

बिहार की राजधानी पटना में नोटबंदी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान ममता बनर्जी ने कहा था कि जो लोग नोटबंदी पर हमारा सहयोग कर रहे हैं उनका धन्यवाद और जो लोग हमारा साथ नहीं दे रहे हैं वो गद्दार हैं। ममता ने कहा था कि गद्दारों का बख्शा नहीं जाएगा। इस बयान के बाद नोटबंदी कोलेकर विपक्ष की एकता में दरार साफ दिखाई दी थी। जेेडीयू समेत लालू भी हैरान थे कि ममता बनर्जी को क्या हो गया है। वो इस तरह की बातें क्यों कर रही हैं। अपने ही सहयोगियों पर हमला कर रही हैं। ममता के उसी बयान पर जेडीयू ने पलटवार किया है। जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि वो दीदी के रूप में ही अच्छी लगती हैं, उन्हें दादा बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। इस से पहले ममता के खिलाफ जेडीयू कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं।

बता दें कि नीतीश कुमार को संकेतिक तौर पर गद्दार कहे जाने के बाद बिहार में जेडीयू कार्यकर्ता भड़क गए थे। जेडीयू के स्थानीय नेताओं ने ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस पार्टी को घोटालेबाजों की पार्टी करार दिया था। साफ है कि ममता के बयान से जेडीयू कार्यकर्ता भड़े हुए हैं। बता दें कि नीतीश के शपथग्रहण समारोह में ममता बनर्जी भी शामिल हुई थी। उस दौरान ये कहा गया था कि एंटी बीजेपी और एंटी कांग्रेस धड़े के सबसे बड़े चेहरे के रूप में ममता और नीतीश उभर रहे हैं। उसके बाद भी ममता और नीतीश के अच्छे संबंधों का कई बार हवाला दिया गया है। लेकिन नोटबंदी को लेकर नीतीश कुमार का पीएम मोदी को समर्थन देना ममता को रास नहीं आया। वो अब विरोध के मामले में अकेली पड़ती जा रही हैं।

नीतीश कुमार ने भी ममता बनर्जी को नसीहत दी है। नोटबंदी को लेकर ममता के तीखे विरोध के बाद नीतीश ने कहा था कि अति आक्रामकता के कारण जनता नेताओं के प्रति अपने विचार बदल लेगी। नीतीश का इशारा साफ था कि नोटबंदी का इतना तीखा विरोध करके कहीं ममता काले धन के समर्थन में तो नहीं खड़ी हो रही हैं। नीतीश राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। वो जानते हैं कि जनता की राय नेताओं के बारे में कैसी है। जनता की आम धारणा है कि सबसे ज्यादा काला धन और करप्शन राजनीति में ही है। यही कारण है कि वो पहले नेता थे जिन्होंने खुलकर नोटबंदी की तारीफ की थी। इस तरह से नीतीश अपनी छवि बचाने में कामयाब हो गए। लेकिन ममता बनर्जी का तीखा विरोध जारी है। वो लगातार केंद्र सरकार के खिलाफ हमला कर रही हैं।