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निशाने पर गृह मंत्रालय, संसदीय कमिटी ने ‘खुफिया नाकामी’ पर उठाए सवाल

rajnath-newनई दिल्ली। होम अफेयर्स पर पार्लियामेंट की स्टैंडिंग कमेटी ने सेना के कैंपों पर हाल के दिनों में बढ़े आतंकवादी हमलों के पीछे खुफिया नाकामी को लेकर गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों से सवाल किए हैं। बैठक में मौजूद एक सूत्र ने बताया कि कमिटी के बहुत से सदस्यों ने गृह सचिव राजीव महर्षि से सेना के कैंपों पर हाल ही में आतंकवादी हमले बढ़ने के बारे में प्रश्न किए। ऐसा पता चला है कि महर्षि ने इस मुद्दे पर सवालों से बचने की कोशिश की और सदस्यों को सुझाव दिया कि इसके बारे में रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से बात करनी चाहिए।

हालांकि, पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम की अगुवाई वाली कमिटी ने इसके लिए अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए गृह सचिव को फटकार लगाई और उनसे आतंकवादी हमलों के पीछे खुफिया असफलता को लेकर सवाल पूछे। कमिटी के एक वरिष्ठ सदस्य ने महर्षि से कहा, ‘मुझे लगता है कि आप सदस्यों के प्रश्नों का मतलब नहीं समझ रहे हैं। हमारे क्षेत्र में आतंकवादियों के घुसपैठ करने और संवेदनशील ठिकानों पर हमला खुफिया नाकामी है। मेरा मानना है कि खुफिया विभाग गृह मंत्रालय तहत ही आता है।’

सूत्र ने बताया कि सदस्यों ने इंटेलिजेंस हासिल करने वाली एजेंसियों (एनसीटीसी, एमएसी और नैशनल इंटेलिजेंस ग्रिड) और उनकी स्थिति के बारे में प्रश्न किए। एमएसी और नैशनल इंटेलिजेंस ग्रिड की स्थिति को लेकर सदस्य कम संतुष्ट नजर आए। गृह मंत्रालय के तहत सीमा पर सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिए गुरुवार को बैठक बुलाई गई थी। यह बैठक ढाई घंटे से अधिक चली, लेकिन सदस्य इस विषय पर और जानकारी चाहते थे। इसके बाद यह फैसला किया गया कि कमिटी सीमा पर सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर अगली बैठक में भी चर्चा जारी रखेगी। यह बैठक 14 अक्टूबर को बुलाई गई है।
एक दिलचस्प बात यह है कि इस कमिटी ने सीमा पर सुरक्षा के मुद्दे पर आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराने पर सहमति जताई है। इस वर्ष की शुरुआत में पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकवादी हमले को लेकर कमिटी ने आतंकवादियों से निपटने की प्रणाली की कड़ी निंदा की थी।

कमिटी ने मई में कहा था, ‘हमारा मानना है कि देश की आतंकवाद से निपटने की व्यवस्था में गंभीर कमी है। बाड़ लगाने, फ्लड लाइटिंग और बीएसएफ के जवानों की गश्त के बावजूद पाकिस्तानी आतंकवादी सीमा पार से घुसपैठ कर रहे हैं।’ कमिटी ने उस समय सरकार से यह स्पष्टीकरण मांगा था कि उसने पठानकोट के हमले की जांच में पाकिस्तान से मदद क्यों मांगी थी और पड़ोसी देश की जॉइंट इनवेस्टिगेशन टीम (जेआईटी) को भारत आने का निमंत्रण किस वजह से दिया गया था।