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नसीमुद्दीन के कचरा वाले बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्या सिद्दकी को दिखाया आईना

‘बांदा के बस स्टॉप पर जूता बनाने का काम करते थे नसीमुद्दीन’

27Swami-Prasad-Maurya-bcclलखनऊ/कानपुर। नसीमुद्दीन सिद्दकी बांदा के बस स्टॉप पर जूता बनाने का काम किया करते थे, उन्हें दद्दू प्रसाद बसपा में लेकर आए थे। जिन्हें बांदा सदर से दद्दू प्रसाद के कहने पर बसपा से टिकट दिया गया था, लेकिन वह जीत नहीं पाए थे। बहन जी ने नसीमुद्दीन को 1996 में बसपा से निकाले जाने का फरमान सुना दिया था, लेकिन हम सिद्दकी के पक्ष पर खड़े हो गए और मायावती ने अपना फैसला बदल कर इन्हें दल में वापस बुलाया था।

उन्होंने कहा, यह अलग बात है कि आज मेरे न रहने से बसपा में अपने को बड़ा नेता मानने लगे हैं। बताते चलें कि शनिवार को बसपा के कद्दावर नेता राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा था कि स्वामी प्रसाद मौर्या व आरके चैधरी केे जाने से पार्टी का कूड़ा साफ हो गया। इसके साथ यह भी कहा कि बसपा में आने से पहले मौर्या के पास कोई वाहन भी नहीं था और पार्टी छोड़ने के बाद वह लक्जरी कारों में चल रहें है। मौर्या ने सिद्दीकी पर करारा जवाब देते हुए कहा कि मैं तो सदैव गरीबों, शोषितों की लड़ाई लड़ता रहा हूं, जिसके चलते बसपा में आते ही महासचिव बनाया गया।

मौर्या ने कहा कि सिद्दीकी अपने गिरेबां में झांककर देखें कि बसपा मे 1996 में उनकी क्या हैसियत थी। उन्होंने बताया कि जिस समय मैं दो जनवरी 1996 को बसपा की सदस्यता ली तो उन दिनों सिद्दीकी की मायावती से अनबन चल रही थी। उस दौरान पार्टी में ऐसा कोई नेता नहीं था जो बहन जी से सिद्दीकी की पैरवी कर सके। ऐसे में मैं ही था कि बहन जी बात करके सिद्दीकी की अनबन को दूर कराया। उन्होंने कहा कि अगर मेरा हाथ न होता तो आज सिद्दीकी का कोई अता-पता ही नहीं होता और आज अपने को बड़ा नेता मानने लगे हैं। मौर्या ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में सब कुछ पता चल जाएगा।

कचरा थे मौर्य, अच्छा हुआ चले गए: नसीमुद्दीन सिद्दीकी

स्वामी प्रसाद मौर्या ने बताया कि मेरे खून में गरीब शोषितों का दर्द दौड़ रहा है। जिसके चलते 1980 में राजनीति में कदम रखा और शुरू से ही पार्टियों ने कार्य को देखते हुए सदैव ओहदा दिया। बताते चलें कि 1996 में बसपा में जाने से पहले मौर्या राष्ट्रीय लोकदल व जनता दल का प्रदेश महासचिव रह चुके हैं और बसपा में तीन बार विपक्ष का नेता बनाए गए। मौर्या ने कहा कि नेता था, नेता हूूं और आगे भी बना रहूंगा। मौर्या ने कटाक्ष करते हुए कहा कि अब बसपा में कुछ बचा ही नहीं है तो आम चुनावों से परहेज करने वाले सिद्दीकी अपना राजनीतिक भविष्य देखें। बताते चलें कि सिद्दीकी 1991 में एक बार ही बांदा सदर से दो वर्ष के लिए विधायक चुने गए थे। जिसके बाद से सदैव एमएलसी रहते हुए राजनीति की है। यहां तक कि अपनी पत्नी को भी आम चुनावों से दूरियां बनाकर एमएलसी बनाया था। मौर्या ने कहा कि जो राजनीति में मेहनत करेगा उसकी तरक्की तो होगी ही। लेकिन चाटुकारिता करने वाले सिद्दीकी बताएं कि बसपा में आने से पहले क्या करते थे और क्या हैसियत थी। उन्होंने बताया कि बसपा में आने से पहले सिद्दीकी गांव-गांव जाकर मरे हुए जानवरों का चमड़ा निकालते थे और बांदा की बाजार में बेचते थे।