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दो गुप्ताजी हरियाणा की वजह से राज्यसभा भेजेगी आप

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा के तीन उम्मीदवारों के नामों की घोषणा में संगठन और पार्टी के भविष्य की संभावनाओं के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है. कुमार विश्वास टिकट चाहते थे लेकिन उन्हें न मिलना तय था जबकि आशुतोष खुद सार्वजनिक रूप से इनकार कर चुके थे.

संजय सिंह, सुशील गुप्ता और एनडी गुप्ता को आम आदमी पार्टी का राज्यसभा टिकट मिला है. संजय सिंह को पार्टी में वरिष्ठता के आधार पर चुना गया और बाकी दोनों गुप्ता जी को आप की भविष्य की संभावनाओं और हरियाणा में उनके बेस को देखते हुए राज्यसभा में भेजे जाने का फैसला किया गया है. पार्टी मानती है कि इनको वजन देकर पार्टी हरियाणा में अगले चुनाव में अपनी संभावनाएं मजबूत कर लेगी.

बुधवार दोपहर पीएसी की बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में मनीष सिसोदिया ने नामों का ऐलान किया. संजय सिंह का आठ लोगों की पीएसी की बैठक से लेकर पार्टी की अन्य बैठकों में कभी किसी ने विरोध नहीं किया. उनका नाम निर्विवाद रूप से तय किया गया.

सुशील गुप्ता के हरियाणा के उद्यमी और समाजसेवी हैं. हरियाणा के हर जिले में उनके स्कूल हैं और हर जिले की वैश्य समाज की संस्थाओं में उनका खासा दखल है. पार्टी मानती है कि हरियाणा में कांग्रेस कमजोर है और भाजपा के खिलाफ नाराजगी ज्यादा है. ऐसे में भाजपा का विकल्प कांग्रेस को बनने देने के बजाय आप खुद वह स्थान ग्रहण कर सकती है. इसी गरज से उसने 15 फीसदी वैश्य आबादी वाले हरियाणा में सुशील गुप्ता को पार्टी का टिकट दिया है.

हालांकि पीएसी की बैठक में सुशील गुप्ता के नाम का आशुतोष ने विरोध किया था. उनके अलावा बाकी सभी सदस्यों ने तीनों नामों पर हामी भरी थी. वहीं एनडी गुप्ता जाने माने सीए हैं और इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. एनडी गुप्ता भी हरियाणा से ताल्लुक रखते हैं और पार्टी समय-समय पर उनसे राय लेती रही है. वैश्य समुदाय में उनका बहुत सम्मान है और उनके साथ कोई विवाद नहीं है. अब ये भी एक संयोग ही है कि खुद अरविंद केजरीवाल भी हरियाणा से हैं और वैश्य समुदाय से हैं.

राज्यसभा उम्मीदवारों की घोषणा होने से आम आदमी पार्टी के असंतुष्ट चल रहे नेता और कवि कुमार विश्वास मीडिया के सामने फट पड़े. उन्होंने दो नए नामों पर खास तौर पर कहा, महान क्रांतिकारी सुशील गुप्ता और ऐसे ही लगातार विधायकों के व्यक्तिगत जीवन के लिए चिंतित रहे कोई दूसरे गुप्ताजी (एनडी) के चयन के लिए बधाई. उन्होंने कहा,  मुझे सच बोलने का पुरस्कार दंड के रूप में दिया गया.

कुमार की नाराजगी पर पार्टी ने फिर कुछ नहीं बोला. पार्टी मानती है कि कुमार अपनी राय रखने के लिए स्वतंत्र हैं. कुमार विश्वास को थोड़ा राजनीतिक सहारा आप छोड़ चुके पुराने सहयोगियों प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव से मिल सकता है. योगेंद्र ने आप के राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम घोषित होने पर ट्वीट किया, “मैने पिछले तीन सालों में ना जाने कितने लोगों से कहा कि केजरीवाल में और जो भी दोष हों मगर कोई उसे खरीद नहीं सकता. आज समझ नहीं पा रहा हूं कि क्या कहूं? हैरान हूं, स्तब्ध हूं, शर्मसार भी.”

हालांकि कुमार को टिकट न देने पर उनके मुखर विरोधी रहे आप विधायक अमानतुल्ला खान का कहना है कि पार्टी ने बेहतर फैसला किया. मुखालफत करने वाले को टिकट नहीं मिलना चाहिए. पार्टी को सबको लेकर चलना है. बहरहाल, पार्टी का टिकट न मिलने के बाद अब कुमार विश्वास के राजनीतिक कैरियर विकट मुश्किल में है. पार्टी में वे राजस्थान के प्रभारी हैं और वहां इसी साल चुनाव हैं. उससे पहले कुमार कोई फैसला करते हैं या पार्टी ये देखने लायक होगा.