नई दिल्ली। पुणे पुलिस ने भीमा-कोरेगांव हिंसा के लिए गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू छात्रसंघ के नेता उमर खालिद को जिम्मेदार माना है। दोनों के खिलाफ पुणे में मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। हालांकि इसके बाद भी ये लोग मुंबई में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेना चाहते थे। लेकिन, हिंसा और बवाल को देखते हुए मुंबई पुलिस ने दोनों को कार्यक्रम में शामिल होने की इजाजत ही नहीं दी। इसके बाद अब जिग्नेश मेवाणी दिल्ली पहुंच चुके हैं। शुक्रवार को जिग्नेश ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेस कर खुद को भीमा-कोरेगांव हिंसा में पूरी तरह पाक साफ बताया। जिग्नेश मेवाणी ने दावा किया है कि उन्होंने कार्यक्रम के दौरान कोई भी भड़काऊ भाषण नहीं दिया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश में दलितों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता है। जबकि भीमा-कोरेगांव के लोगों का कहना है कि हिंसा में बाहरी लोग शामिल थे। जो लोग बाहर से आए थे उन्होंने ही यहां पर बवाल कराया था।
जबकि इसके उलट जिग्नेश मेवाणी कहते हैं कि उन्होंने इस केस में फंसाने की कोशिश की जा रही है। जिग्नेश ने प्रेस कांफ्रेंस में बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला। जिग्नेश मेवाणी ने सवाल किया क्या देश में दलितों को शांतिपूर्ण रैली करने का भी हक नहीं है। जिग्नेश ने मांग की है कि हिंसा के इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। उन्हें दलितों पर लगातार हो रही हिंसा पर बयान देना चाहिए। जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि केंद्र सरकार को दलितों पर अपना रवैया और रुख पूरी तरह स्पष्ट करना चाहिए। हालांकि दिल्ली पहुंचने से पहले ही उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए इस बात की जानकारी दे दी थी कि वो दिल्ली आ रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि वो भीमा-कोरेगांव हिंसा के केस में खुद पर लगे आधारहीन आरोपों पर प्रेस कांफ्रेंस भी करेंगे। उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा था कि मैं प्रेस क्लब में इसका जवाब दूंगा।
दरसअल, जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद दोनों को ही मुंबई में छात्र भारतीय कार्यक्रम में बतौर वक्ता बुलाया गया था। लेकिन, महाराष्ट्र में भीमा-कोरेगांव हिंसा के बाद भड़की आग के चलते मुंबई पुलिस ने इनके कार्यक्रमों की इजाजत ही नहीं दी थी। जिसके बाद जिग्नेश और उमर खालिद के समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की थी। छात्रों ने प्रदर्शन भी किया था। जिसके बाद पुलिस ने कई छात्रों को हिरासत में ले लिया था। जिग्नेश ने आरोप लगाया था कि बीजेपी की सरकार दलितों की आवाज को दबाना चाहती है। इन दोनों ही नेताओं पर भीमा-कोरेगांव हिंसा को भड़काने का आरोप लगा है। पुलिसिया जांच में पता चला है कि दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद के भड़काऊ भाषण के बाद ही हिंसा भड़की थी। दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है। दोनों ही नेताओं के खिलाफ पुणे के विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज हो चुकी है।
पुणे पुलिस के मुताबिक इन लोगों के खिलाफ सेक्शन 153(A), 505, 117 के तहत एफआईआर दर्ज हुई है। माना जा रहा है कि दोनों को जल्द ही गिरफ्तार भी किया जा सकता है। हालांकि पुलिस दोनों को गिरफ्तार करने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाएगी क्योंकि अभी जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद की गिरफ्तारी से हालात और भी भड़क सकते हैं। इधर, जिग्नेश इस पूरे मामले में अपनी राजनीति चमकाने में जुटे हुए हैं। इस मामले की गूंज सड़क से लेकर संसद तक में सुनाई पड़ चुकी है। उधर, महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि इस हिंसा में जो भी लोग दोषी हैं उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। माहौल को बिगाड़ने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। बहरहाल, भीमा-कोरेगांव हिंसा की जांच और राजनीति दोनों ही जारी है। उधर, भीमा-कोरेगांव के लोगों ने भी बाहरी लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।