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दादरी कांड: लैब रिपोर्ट में दावा, इखलाक के घर मटन नहीं बीफ था

ikhlaqwww.puriduniya.com नोएडा। दादरी के बहुचर्चित इखलाक हत्याकांड में एक नया मोड़ आ गया है। लैब रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया कि दादरी के बिसहड़ा स्थित इखलाक के घर के फ्रिज में मिला मांस बीफ ही था। फॉरेंसिक रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि की गई है। पूर्व में पुलिस ने लोकल लैब द्वारा की गई जांच के बाद कहा था कि घर में मटन था। गौरतलब है कि पिछले वर्ष सितंबर में भीड़ द्वारा गाय का मांस रखने के कारण पीट-पीटकर 50 वर्षीय इखलाक की हत्या कर दी गई थी।

उत्तर प्रदेश पुलिस के DGP जावेद अहमद ने कहा, ‘पूर्व की जांच से ऐसा लग रहा था कि घर में मटन ही मिला था, लेकिन अब लैब रिपोर्ट के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि बीफ अथवा गाय का मांस इखलाक के घर में मौजूद था।’ वहीं इखलाक के परिवार ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि घटना वाले दिन उन्होंने बीफ का सेवन नहीं किया था।

पुलिस ने इखलाक के घर से मीट का सैंपल जब्त कर मथुरा की एक लैब में फॉरेंसिक टेस्ट के लिए भेजा था। लैब रिपोर्ट के अनुसार, ‘इखलाक के घर से मिला मीट गाय अथवा गाय की ही किसी प्रजाति का है। ‘हालांकि, उत्तर प्रदेश में बीफ खाने पर प्रतिबंध नहीं है, लेकिन गाय की हत्या पर बैन है। पुलिस का कहना है कि जांच की दिशा को आगे बढ़ाने के लिए फॉरेंसिक रिपोर्ट मांगी गई थी।

एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘पुलिस इखलाक की हत्या के केस पर काम कर रही है। हम गौ हत्या पर काम नहीं कर रहे हैं। मीट के सैंपल को फॉरेंसिक लैब भेजा गया ताकि, पुष्टि हो सके कि मांस किस चीज का था। हम हत्या का मकसद जानने की कोशिश कर रहे हैं।’ पिछले वर्ष शुरुआती रिपोर्ट में एक स्थानीय सरकारी पशु चिकित्सक ने कहा था कि पहली नजर में सैंपल मीट मटन की तरह ही लग रहा है।

इखलाक के केस की जांच एक फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो रही है। कोर्ट से इखलाक की हत्या के आरोपियों ने फॉरेंसिक रिपोर्ट की प्रति मांगी थी। फास्ट ट्रैक कोर्ट में रिपोर्ट अप्रैल में जमा की गई। कोर्ट ने सरकारी वकील की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करने की मांग की गई थी।

ध्यान रहे कि भीड़ द्वारा पिटाई के बाद इखलाक की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई थी। वहीं, इस घटना में उनके एक बेटे को गंभीर चोट आई थी। दादरी घटनाक्रम के बाद पूरे देश में असहिष्णुता और बीफ पर जोरदार बहस छिड़ गई थी। इसके बाद देश भर में कई जगह प्रदर्शन हुए, जिनमें वरिष्ठ पत्रकारों, लेखकों, वैज्ञानिकों, फिल्म निर्माताओं ने अवॉर्ड वापस कर अपना विरोध जाहिर किया था।