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….तो मोदी से नहीं उनके जेम्स बांड सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से चीन तिलमिलाया है चीन

नई दिल्ली। भारत से चीन यूं ही नहीं खार खाए बैठा है।  प्रधानमंत्री मोदी से कहीं ज्यादा उनके जेम्स बांड यानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से चीन तिलमिलाया है। जड़ में है डोभाल की अचूक रणनीतियां। जिनके चलते चीन की भारत को घेरने की हसरत पूरी नहीं हो पा रही है। नतीजा, वह भारत  को धमकाकर उल्लू सीधा करने की जुगत में है, उधर इजरायल दौरे से लौटते समय मोदी के साथ मौजूद डोभाल ने विमान में ही  चीन सीमा पर तनातनी को लेकर सैन्य और खुफिया अफसरों के साथ ब्रीफिंग की। डोभाल ने रॉ प्रमुख, सैन्य प्रमुख और आइटीबीपी के डीजी को विमान से ही दिशा-निर्देश जारी किए।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल ने सेना प्रमुख बिपिन रावत से बात की। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने  पूरा मनोबल बढ़ाया। कहा कि किसी भी स्तर पर, किसी भी मोर्च पर अब लाल ड्रैगन के आगे हमें दबना नहीं है। आज भारत 1962 का नहीं, 2017 का भारत है। आइटीबीपी के डीजी को डोभाल ने निर्देश दिया है कि अगर भारत की सीमा पर चीनी हैलीकॉप्टर घुसने की कोशिश करें तो सख्त एक्शन लेकर सबक सिखाया जाए। गौरतलब है कि उत्तराखंड में दो बार चीनी हैलीकॉप्टर हाल मे मंडराते देखे गए हैं।

दरअसल चीन मुखिया शी जिनपिंग मोदी की उस रणनीति से तिलमिलाए हैं, जिसके चलते चीन का सबसे बडा वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट फंस गया है। चीन की ओर से बनाए जा रहे दुनिया की इस सबसे बड़े आर्थिक गलियारे को मोदी के जेम्स बांड कहे जाने वाले अजित डोभाल ने बलूचिस्तान में फंसा रखा है। चीन का यह कारीडोर पाक अधिकृत कश्मीर(पीओके) से भी गुजर रहा है। जिससे भारत की सुरक्षा खतरे में पड़ती दिख रही है। यही वजह है कि बलूचिस्तान से लेकर पीओके तक अजित डोभाल ने अपनी रणनीतियों के जरिए इस कारीडोर की राह में अड़चनें खड़ीं की हैं। दरअसल पिछले 20 साल आइबी में रहकर डोभाल ने बलूचिस्तान, पीओके में जिस जासूसी का जाल बिछाया, उसी का नतीजा है कि उन्हें चीन और पाकिस्तान के बीच इस कारीडोर को लेकर किए जा रहे हर मूवमेंट की खबर हो जाती है। जिसके बाद भारत रणनीतिक और कूटनीतिक एक्शन लेने लगता है।

दलाईलामा अगर अरुणांचल प्रदेश गए तो इसके पीछे भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की सोच रही। उन्होंने बड़बोले चीन को औकात में लाने के लिए दलाईलामा को अरुणांचल प्रदेश का दौरा करा दिया। बौद्ध धर्म के सबसे बड़े गुरु दलाईलामा के नाम से ही चीन चिढ़ता है। ऐसे में शी जिनपिंग का तिलमिलाना लाजिमी है।