मारग्रेट अल्वा की आत्मकथा से बढ़ सकती है सोनिया और कांग्रेस की मुश्किल
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मारग्रेट अल्वा ने अपनी आत्मकथा लिखी है। इस किताब में कांग्रेस की पूर्व की सरकार, गांधी परिवार के साथ उस सरकार के रिश्ते, गांधी परिवार की तरफ से सरकार को दिये जाने वाले निर्देश अगस्ता वेस्टलैंड में गांधी परिवार की भूमिका जैसे संवेदनशील मुद्दों पर विस्तार जिक्र किया गया है।
हलांकी मारग्रेट अल्वा की ये किताब अभी बाजार में आई नहीं है। लेकिन इसमें शामिल कुछ बातें बाहर आ गई है। जिसके बाद ये कहा जा रहा है कि ये कांग्रेस के लिए परेशानी जबकि मुख्य विरोधी बीजेपी के लिए बोनस प्वाइंट साबित होगी।
दरअसल ये किताब मारग्रेट अल्वा की आत्मकथा है। जिसमें नरसिम्हा राव सरकार के वक्त का जिक्र है। अल्वा ने अपनी किताब में दावा किया है कि सोनिया गांधी को पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव पर भरोसा नहीं था। किताब में दावा किया गया है कि बोफोर्स केस को रद्द करने के फैसले के खिलाफ तत्कालीन सरकार के अपील के फैसले से सोनिया गांधी खुश नहीं थीं। किताब के मुताबिक उस वक्त सोनिया ने पूछा था कि क्या राव उन्हें जेल भेजना चाहते हैं।
किताब में अगस्ता वेस्टलैंड डील का भी जिक्र किया गया है। किताब में दावा किया गया है कि अगस्ता वेस्टलैंड डील में शामिल क्रिस्टीन मिशेल के पिता वोल्फगंग मिशेल के इंदिरा गांधी के शासनकाल के दौरान उनके परिवार के एक सदस्य से करीबी रिश्ते थे।
अपनी आत्मकथा में मारग्रेट अल्वा ने पूर्व पीएम नरसिम्हा राव को उचित सम्मान नहीं दिये जाने का भी जिक्र किया गया है। इसके लिए भी सोनिया गांधी पर निशाना साधा गया है। वैसे भी मोदी सरकार नरसिम्हा राव को आधुनिक आर्थिक सुधारों के लिए अहम भूमिका निभाने वाला बताकर पहले ही सम्मानित कर चुकी है।
एक टीवी न्यूज चैनल के इंटर्व्यू में मारग्रेट अल्वा ये भी कह चुकी हैं कि पार्टी और सरकार में सोनिया अपनी मर्जी से फैसले लेती थीं। इंटर्व्यू में कहा है कि जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तो पीएम मनमोहन सिंह सोनिया को कैबिनेट में शामिल करना चाहते थे। लेकिन सोनिया ने मनमोहन सिंह को ऐसा करने से रोक दिया।
हलांकि ये पहली बार नहीं है जब किसी कांग्रेसी की किताब या आत्मकक्षा से कांग्रेस पार्टी की ही मुश्किल बढ़ेगी। इससे पहले नटवर सिंह, और एमएल फोतेदार भी इस तरह की किताब लिख चुके हैं जिससे पार्टी पर ही सवाल उठने शुरु हो गए।