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तीन तलाक का मसला बेहद गंभीर, 5 जजों की बड़ी बेंच करेगी सुनवाई: SC

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि तीन तलाक के मुद्दे को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई पांच जजों की बड़ी बेंच मई के महीने में करेगी। कोर्ट ने कहा कि अदालत तीन तलाक के सभी पहलुओं पर विचार करेगी। अदालत ने जोर देकर कहा कि यह मसला बहुत गंभीर है और इसे सुना जाना जरूरी है। सुनवाई के दौरान तीन तलाक को लेकर केंद्र सरकार ने कोर्ट के सामने कुछ सवाल रखे। केंद्र के अलावा कुछ और पक्षों के भी सवाल आए, जिस पर कोर्ट ने सभी संबधित पक्षों से कहा है कि वे 30 मार्च तक लिखित में अपनी बात अटॉर्नी जनरल के पास जमा करा दें।

अदालत 30 मार्च को ही तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह प्रथा के संबंध में विचार के लिए मुद्दे तय करेगा। गुरुवार को केंद्र सरकार की ओर से इस मसले पर ये 4 सवाल रखे गए :

1. धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत तीन तलाक, हलाला और बहु-विवाह की इजाजत संविधान के तहत दी जा सकती है या नहीं ?

2. समानता का अधिकार और गरिमा के साथ जीने का अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में प्राथमिकता किसको दी जाए?

3. पर्सनल लॉ को संविधान के अनुछेद 13 के तहत कानून माना जाएगा या नहीं?

4. क्या तीन तलाक, निकाह हलाला और बहु-विवाह उन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत सही है, जिस पर भारत ने भी दस्तखत किये हैं?

केंद्र सरकार के अलावा भी मामले से संबंधित कुछ पक्षों ने अपने सवाल रखे, लेकिन ये सभी सवाल फिर से फ्रेम किए जाएंगे क्योंकि कोर्ट ने कहा है कि सभी पक्ष अपने-अपने सवाल 30 मार्च तक अटॉर्नी जनरल को दे दें। उसके बाद अदालत तय करेगी कि किन मुद्दों पर विचार किया जाए।

कोर्ट में गुरुवार की सुनवाई के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ‘यह संविधान से जुड़ा मामला है। हम आस्था की कद्र करते हैं, पर ऐसी प्रथाएं आस्था नहीं हो सकतीं। इसे 20 मुस्लिम देशों में पहले ही प्रतिबंधित किया जा चुका है।’

Constitutional issue;We respect faith, bt such practices can’t be faith; It’s already banned in 20 muslim countries: RS Prasad