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‘तारीखों की “जुबानी’, अखिलेश के ‘विवादित मंत्री “गायत्री प्रजापति” की कहानी, कुछ इस तरह “मुलायम की “सरपरस्ती” ने बना दिया एक ‘सडकछाप को “अरबपति”

लखनऊ/अमेठी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ऐसा लगा कि गायत्री प्रसाद प्रजापति की मुश्किलें बढ़ गई हैं और मुख्यमंत्री साहब उनको बाहर का दरवाज़ा दिखाएंगे. लेकिन यूपी पुलिस गैंगरेप की एफआईआर के बाद भी उनका बाल बांका नहीं कर सकी.

गायत्री प्रसाद प्रजापति , सपा सरकार के वो दिग्गज मंत्री हैं जो दस साल में ही गरीबी रेखा से खरबपति बन गए. इनकी उपलब्धियों की फेहरिस्त लंबी है. हाल ही में इनके खिलाफ सामुहिक बलात्कार के लिए गैरजमानती धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है. अमेठी के रामलीला मैदान में सोमवार को मंच पर प्रजापति चीख-चीख कर षड्यंत्र की बात दोहरा रहे. उन्होंने कहा कि ये तो अमित शाह का षड्यंत्र है, वो महिला बीजेपी की सभासद थी उसने आरोप लगाया है.

भावुक हुए मंत्री जी
गायत्री प्रजापति मंच पर रोने लगे और भावुक होकर बोले कि जनता जब तक नहीं चाहेगी वो मंच पर नहीं आएंगे. दरअसल, ये सारा ड्रामा इसलिए भी था कि अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री किसी गैंगरेप के आरोपी के साथ मंच साझा करते दिखाई देते तो विपक्ष फिर सपा के कारनामों की दुहाई देता. दूसरी तरफ अमेठी में गायत्री का प्रचार करके अखिलेश ने ये भी जता दिया कि प्रजापति को मुलायम सिंह के चहेते के बेटे का भी आशीर्वाद है. आखिर फिर ये ड्रामा करने की नौबत क्यों आ पड़ी. आइए पूरा मामला समझें…

ये है पूरा मामला
गायत्री प्रजापति के खिलाफ कुछ महीने पहले एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. 35 वर्षीय पीड़िता ने मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज न होने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. पीड़िता के अनुसार उसके साथ गैंगरेप हुआ और उसकी बेटी का भी यौन उत्पीड़न किया गया. महिला ने डीआईजी के पास भी इस मामले में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी. पीड़िता ने आरोप लगाया कि प्रजापति ने उसे ब्लैकमेल कर पिछले 2 साल में कई बार उसके साथ रेप किया.

बीपीएल से बीएमडब्ल्यू तक
दरअसल, गायत्री प्रजापति के करियर का ग्राफ दस साल में फर्श से अर्श तक पहुंच गया. साल 2002 में वो बीपीएल कार्ड धारक हुआ करते थे. लेकिन अब उनकी सम्पति 942 करोड़ पहुंच गई है. कुछ ख़बरों के मुताबिक करीबी 13 कम्पनियों में उनके निर्देशक हैं. चुनावी हलफनामे में उनकी संपत्ति 10 करोड़ है. जबकि पिछली बार 1.83 करोड़ की घोषणा की थी.

प्रजापति का सियासी सफर
सपा नेतृत्व गायत्री प्रजापति पर ख़ासा मेहरबान रहा. फरवरी 2013 में गायत्री प्रजापति सिंचाई राज्य मंत्री बने. मुलायम की मेहरबानी से जुलाई में उनको स्वतन्त्र प्रभार खनन मंत्री पद से नवाजा गया. फिर तीसरी बार उन्होंने जनवरी 2014 में शपथ ली जब उनको कैबिनेट मंत्री बनाया गया. बाद में उनको झटका तब लगा जब हाई कोर्ट ने खनन विभाग में अनिमियताओं को लेकर सीबीआई जांच के आदेश दिए. अमेठी में अखिलेश यादव ने ना मंच से प्रजापति का नाम लिया और ना ही उनकी ज़्यादा खुल के वकालत की. हालांकि जब आज तक ने मुखयमंत्री साहब से पूछा कि वो प्रजापति पर क्यों मेहरबान हैं तो वो बोले कानून अपना काम करेगा.