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तंजील मर्डर: खुद की ही फुटेज खंगाल रहा था हमलावर!

Tanzil-Ahmedलखनऊ/नोएडा। एनआईए अफसर तंजील की हत्या के मामले में सीसीटीवी फुटेज पड़ताल करना हमलावरों को भारी पड़ा। सूत्रों के मुताबिक, तंजील की हत्या के बाद सहसपुर और स्योहरा में जांच एजेंसियां सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही थीं। इस दौरान सहसपुर के पास स्कूल में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में पुलिस को एक बाइक बार-बार आती-जाती दिखी। न तो उसका नंबर साफ था और न ही बाइक पर बैठे चेहरे। लेकिन जिसका सीसीटीवी था, उसने बताया कि सहसपुर के रेयान फुटेज में देखने आए थे कि कहीं उनकी बाइक तो नहीं है। गांव के ही इमामुद्दीन ने तस्दीक की तो सुरक्षा एजेंसियां पहले रेयान और फिर जैनुल तक पहुंच गईं।

रेयान और जैनुल तक पहुंचने से पहले एजेंसियों को हापुड़ के पूर्व प्रधान कमाल पर शक था। कमाल, उसके भाई रहमत, दो बेटे जैकी और दाऊद हापुड़ के आरिफ हत्याकांड में आरोपी थे। तंजील केस से इनका नाम निकलवाने की पैरवी कर रहे थे। हापुड़ कोतवाली इंस्पेक्टर ने इनके नाम निकालकर शफी और सोनू नाम के दो लोगों को जेल भेज दिया। इस बीच इंस्पेक्टर का ट्रांसफर हो गया तो जो नया प्रभारी आया उसने फिर कमाल और उसके परिवार के लोगों के नाम शामिल कर दिए।

एजेंसियों की जांच के दायरे में तंजील का करीबी सभासद भी आया। तंजील अक्सर दिल्ली से रात में आते थे और अपने घर के बजाए सभासद के यहां रुकते थे। सूत्रों के मुताबिक, तंजील ने सभासद के साथ संपत्तियों की खरीद-फरोख्त की थी। लेकिन, पड़ताल में उसकी भूमिका सामने नहीं आई।

तंजील जिस दिन पठानकोट मामले की जांच के लिए आई पाकिस्तानी टीम को एयरपोर्ट छोड़ने गए थे, उस दौरान उन्होंने सबसे ज्यादा कॉल हापुड़ कोतवाली के इंस्पेक्टर, कमाल और उसके करीबियों को की। तंजील की कॉल डिटेल देखने और पूरे मामले की जानकारी के बाद एजेंसियों का पहला शक तिहाड़ जेल में बंद नीरज बवाना गैंग से जुड़े कमाल और उसके शूटरों पर गया, लेकिन बाद में कहानी बदल गई।

हिस्ट्रीशीटर मुनीर को शक था कि तंजील ने उसके और उसके दोस्त आशुतोष मिश्रा की मुखबिरी की थी। मुनीर तंजील के लगातार टच में था। अलीगढ़ में वारदात के बाद मुनीर और आशुतोष फरार चल रहे थे। इस बीच आशुतोष को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन मुनीर भागने में कामयाब रहा। मुनीर ने इस बात को लेकर तंजील से नाराजगी जाहिर की थी और उन पर मुखबिरी का शक जताया था। तंजील मुनीर के पिता महताब के जरिए गलतफहमी को दूर करने में लगे रहे। इस बीच महताब ने कई बार मुनीर पर सरेंडर करने के लिए दबाव बनाया।

बिजनौर पुलिस ने हत्याकांड में फरार आरोपी मुनीर की गिरफ्तारी पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित करने के लिए डीजीपी ऑफिस को प्रस्ताव भेजा है।

इधर, प्रदेश के डीजीपी जाविद अहमद शुक्रवार को मामले की जांच करने के लिए खुद बिजनौर पहुंचे। वहां उन्होंने किसी की भी गिरफ्तारी से इनकार किया। उन्होंने कहा कि इस केस में अब तक किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है। जांच में अब तक बिजनौर, अलीगढ़ और दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर 100 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। पूछताछ में उन्हें केस से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। इससे केस सुलझाने में मदद मिलेगी।

इससे पहले, उन्होंने बिजनौर पुलिस लाइंस में तंजील अहमद के भाई रागिब और परिवारीजनों से मुलाकात की। परिवारीजनों से मिलने के बाद डीजीपी ने जांच में लगे पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। मीटिंग के बाद डीजीपी ने सहसपुर में उस जगह का भी मुआयना किया, जहां डीएसपी तंजील पर हमला कर जान ली गई थी।