Breaking News

ट्रंप के वाइट हाउस पहुंचते ही H-1B वीजा पर नकेल कसने की प्रक्रिया ने पकड़ी रफ्तार

बेंगलुरु। अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी संभालते ही ट्रंप ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ का नारा दिया। बतौर राष्ट्रपति अपने पहले संबोधन भाषण में उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि उनका प्रशासन अमेरिकी नौकरियों में स्थानीय लोगों को तवज्जो देगा। इससे H-1B वीजा पर अमेरिका में काम करने वाले लाखों भारतीयों को गहरा झटका लग सकता है। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद दिए भाषण में ट्रंप ने कहा, ‘बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन।’ मतलब साफ है कि ट्रंप प्रशासन अमेरिकी कंपनियों पर स्थानीय लोगों की भर्ती के लिए दबाव बनाएगा। साथ ही, वहां अमेरिकी कंपनियों के प्रॉडक्ट्स की खरीदारी को बढ़ावा मिलने जा रहा है।

इससे पहले अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट के सदस्य चक ग्रैसले और डिक डर्बन ने कहा कि वो H-1B वीजा देने में अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले विदेशियों को प्राथमिकता दिए जाने का प्रस्ताव करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे विदेशियों को कम वक्त का वीजा जारी करने के कार्यक्रम के बारे में नया कानून बनाने का प्रस्ताव करेंगे। दोनों सांसदों ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक के प्रावधानों के तहत अमेरिका के नागरिकता एवं आव्रजन विभाग को H-1B वीजा जारी करते समय अमेरिकी संस्थानों में शिक्षित-प्रशिक्षित ‘सबसे तेज एवं प्रतिभाशाली’ विद्यार्थियों को प्राथमिकता देनी होगी।

गौरतलब है कि ट्रंप ने अमेरिकी कंपनियों में विदेशी कामगारों की नौकरी के मुद्दे को अपने चुनाव अभियान में जोर-शोर से उठाया था और राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भी वह लगातार कहते रहे कि अमेरिकियों की जगह विदेशी कामगारों को नौकरी पर रखे जाने की अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने डिज्नी वर्ल्ड और उन दूसरी अमेरिकी कंपनियों का हवाला दिया जहां भारतीय कामगारों समेत H-1B वीजा पर अमेरिका आए अन्य विदेशियों ने अमेरिकियों की नौकरियां छीन लीं।

क्या है H-1B वीजा?
H-1B वीजा बाहरी विशेषज्ञों को अमेरिका आकर वहां अपनी विशेषज्ञता का लाभ देने के लिए जारी किया जाता है। पिछले कुछ सालों से इसे लगातार महंगा और मुश्किल बनाया जा रहा है, लेकिन भारतीय इंजिनियरों का मेहनताना अमेरिकी इंजिनियरों की तुलना में इतना कम पड़ता है कि कंपनियां थोड़ा नुकसान उठाकर भी उन्हें हायर करना या भारत से अमेरिका ट्रांसफर करना बेहतर समझती हैं।