Breaking News

टीम इंडिया के लिए राहत की खबर, हार्दिक पांड्या-केएल राहुल का प्रतिबंध खत्म

ऑस्ट्रेलिया के बाद न्यूजीलैंड दौरे (India vs New Zealand) पर शानदार प्रदर्शन कर रही भारतीय क्रिकेट टीम एक अदद ऑलराउंडर की कमी से जूझ रही है. कप्तान विराट कोहली और टीम के कई अन्य क्रिकेटर कई बार कह चुके हैं कि हार्दिक पांड्या के नहीं होने से टीम कॉम्बिनेशन गड़बड़ा रहा है. लेकिन यह समस्या अब बीती बात हो गई है क्योंकि हार्दिक पांड्या और केएल राहुल पर लगा प्रतिबंध खत्म हो गया है. अब वे कभी भी टीम इंडिया से जुड़ सकते हैं. इन दोनों क्रिकेटरों पर एक टीवी शो में महिलाओं के खिलाफ टिप्पणी करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने हार्दिक पांड्या और लोकेश राहुल पर से तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध हटा लिया है. बीसीसीआई (BCCI) ने गुरुवार को एक बयान जारी कर बताया कि प्रशासकों की समिति (सीओए) ने दोनों खिलाड़ियों पर से प्रतिबंध हटा लिया है. इन दोनों पर से यह प्रतिबंध लोकपाल की नियुक्ति में हो रही देरी के चलते हटाया गया है. सुप्रीम कोर्ट में यह मामला 5 फरवरी के लिए लिस्टेड है.

बोर्ड के मुताबिक यह प्रतिबंध लोकपाल की नियुक्ति में हो रही देरी के चलते हटाया गया है. बीसीसीआई ने अपने बयान में कहा, ‘किसी भी क्रिकेट खिलाड़ी पर सभी तरह के आरोप का मामला सुनने के लिए बीसीसीआई के लोकपाल की जरूरत होती है. लोकपाल की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा लंबित है. इसलिए प्रशासकों की समिति (सीओए) का मानना है कि इन दोनों खिलाड़ियों पर जो अंतरिम प्रतिबंध लगाया गया था, उसे तुरंत प्रभाव से हटाया जाए.’

सीओए ने एमीकस क्यूरी (न्यायमित्र) पीएस नरसिम्हा से परामर्श करने के बाद जांच लंबित रहने तक निलंबन हटाने का फैसला किया. जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट को लोकपाल नियुक्त करना है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को पांच फरवरी को अस्थायी रूप से सूचीबद्ध किया है.’ पंड्या के अब न्यूजीलैंड दौरे में टीम से जुड़ने की संभावना है. राहुल घरेलू क्रिकेट या भारत ए की तरफ से इंग्लैंड लायंस के खिलाफ खेल सकते हैं.

सीओए ने कहा कि हार्दिक पांड्या और केएल राहुल को निलंबित करने का फैसला ‘बीसीसीआई के संविधान के नियम 46 के तहत लिया गया जो कि खिलाड़ियों के व्यवहार से संबंधित है.’ खिलाड़ियों पर से निलंबन हटाने के लिए बीसीसीआई के कार्यकारी अध्यक्ष सीके खन्ना ने पहले की थी. उनका मानना था कि जांच लंबित रहने तक निलंबन हटाया जाना चाहिए.