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टीम इंडिया की कमज़ोर कड़ी बनी ताक़त, वर्ल्ड टी-20 की दावेदारी को मिला बल

ashish-nehraनई दिल्ली। बल्लेबाज़ी में टीम इंडिया का लोहा विदेशी टीमें मानती रही हैं। गेंदबाज़ी में धार नहीं होने से टीम के चैंपियन होने पर सवाल उठते रहे हैं। लेकिन अब टीम इंडिया की गेंदबाज़ी में पैनापन नज़र आने लगा है और वो ख़िताब की सबसे बड़ी दावेदार हो गई है।

एक वक़्त ऐसा भी था जब विकेट को तरसते थे टीम इंडिया के गेंदबाज़ और विरोधी बल्लेबाज़ों को टीम इंडिया के गेंदबाज़ों से डर नहीं लगता था। अब सब कुछ बदल चुका है। टीम की गेंदबाज़ी में पैनापन है और आशीष नेहरा, जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पांड्या अपने दम पर मैच जिता रहे हैं।

सिर्फ़ 3 सीरीज़ पुराने बुमराह ने कप्तान का विश्वास जीता है तो नेहरा ने शानदार वापसी की है। बुमराह ने आईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हुए श्रीलंका के लसिथ मलिंगा से यॉर्कर डालना सीखा। हर अभ्यास सेशन में बुमराह ने मलिंगा की तरह यॉर्कर डालने का घंटों अभ्यास किया। इसी अभ्यास का नतीजा है कि बुमराह मैच के शुरुआती पलों में हो या फिर आख़िरी ओवर्स में – वो यॉर्कर डालने से परहेज़ नहीं करते है।

बुमराह को मौक़ा मोहम्मद शमी के अनफ़िट होने की वजह से मिला और उन्होंने इसे दोनों हाथों से लपका है। हालांकि शमी भी फ़िट हो चुके हैं और कप्तान टीम चयन को लेकर मुश्किल में हैं।

महेंद्र सिंह धोनी ने कहा, ‘जसप्रीत बुमराह की जगह किसी को रखना काफ़ी मुश्किल होगा। बुमराह अच्छी यॉर्कर डालते हैं और नई गेंद से वो असरदार रहे हैं।’

कप्तान के तरकश में तेज़ गेंदबाज़ों के अलावा स्पिन के भी कई तीर मौजूद हैं। आर अश्विन और रविंद्र जडेजा के अलावा युवराज सिंह और सुरेश रैना भी अपना हुनर दिखा चुके हैं।

टीम में एक ऑल-राउंडर होने की परेशानी हार्दिक पांड्या ने ख़त्म कर दी है। पांड्या टीम में वही जगह बनाना चाहते हैं जो युवराज की है।

पांड्या ने कहा, ‘मैं वर्ल्ड कप में गेंद और बल्ले से वही रोल निभाना चाहता हूं जो 2011 वर्ल्ड कप में युवराज ने निभाया था।’

मौजूदा टीम इंडिया संतुलित नज़र आ रही है तो बेंच पर बैठे खिलाड़ी भी तैयार हैं। ऐसे में ख़िताब की दावेदारी को बल मिलना लाज़मी है।