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टिकाऊ ग्रोथ चाहिए तो स्वार्थी तत्वों को दरकिनार करें सरकारें: राजन

rajan25कोलकाता। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि इकनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार बनाए रखने की खातिर सरकारों को ऐसे निहित स्वार्थी तत्वों के हो-हल्ले को नजरंदाज कर देना चाहिए, जो सोच-समझकर बनाई गई मॉनिटरी पॉलिसी के खिलाफ शोर मचाते हैं।

राजन ने मंगलवार को एक आयोजन में कहा, ‘दुनियाभर में सरकारों को गलत सूचनाओं पर आधारित और किसी खास मकसद से होने वाली आलोचना को दरकिनार करना चाहिए और अपने सेंट्रल बैंक की स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए। टिकाऊ ग्रोथ बनाए रखने के लिए ऐसा करना जरूरी है।’ राजन ने कहा कि यह आलोचना निराधार है कि ब्याज दरें ज्यादा होने से इंडिया में निवेश प्रभावित हो रहा है और शुरुआती हिचक के बाद मार्केट्स और बैंकर्स भी सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए एकजुट हो गए हैं।

स्टैटिस्टिक्स डे मनाने के लिए दुनियाभर से आए सांख्यिकी के उस्तादों और अर्थशास्त्रियों के सम्मेलन में राजन ने कहा, ‘आरबीआई अपनी नीतियों पर टिका हुआ है।’ उन्होंने कहा, ‘क्रेडिट ग्रोथ में सुस्ती की बड़ी वजह यह है कि सरकारी बैंकों पर दबाव है, जो कर्ज देने में पिछली गलतियों के कारण पैदा हुआ है। पॉलिसी रेट्स में कमी करने से यह सब ठीक नहीं होगा।’

गौरतलब है कि राजन ने पिछले महीने कहा था कि सितंबर में आरबीआई गवर्नर का कार्यकाल पूरा कर वह शिकागो यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के लिए लौट जाएंगे। बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी और सरकार में शामिल कुछ लोगों ने ब्याज दरों को ऊंचे स्तर पर रखने के लिए राजन की तीखी आलोचना की थी।

राजन ने कहा, ‘हमने महंगाई को जिस लेवल पर रोकने का टारगेट रखा है, कन्ज़यूमर प्राइस बेस्ड इन्फ्लेशन अभी उसके ऊपरी लेवल के करीब है। ऐसे में शायद ही कोई ऐसा हो जो कहे कि हमारा रुख कड़ा रहा है। जाहिर है, हमारे पिछले पॉलिसी स्टेटमेंट में संकेत दिया गया था कि हम मार्च 2017 तक महंगाई को घटाकर 5 पर्सेंट के आसपास लाने की उम्मीद कर रहे हैं।’ राजन ने इससे पहले भी उन लोगों को आड़े हाथों लिया था, जो दलील दे रहे थे कि आरबीआई ने ब्याज दरें ऊंची रखकर इंडिया में डिमांड और ग्रोथ को झटका दिया।

आपको बता दें, आरबीआई ने पिछले साल जनवरी से शॉर्ट टर्म पॉलिसी रेट में 150 बेसिस पॉइंट्स की कमी की है, लेकिन कुछ लोग और कटौती की मांग कर रहे हैं। इंडियन इकॉनमी ने मार्च तक के तीन महीनों में सालभर पहले के मुकाबले 7.9 पर्सेंट की ग्रोथ दर्ज की है। राजन ने कहा, ‘इंटरनैशनल लेवल पर कमोडिटीज के दाम घटने से महंगाई नीचे आई है, लेकिन पूरी कहानी यही नहीं है।’ उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक शॉर्ट टर्म बेसिस पर पॉलिसी तय नहीं करते हैं, लेकिन यहां मीडिया डिबेट में इसी को बहस का मुद्दा बना लिया जाता है।