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जेल प्रशासन की संवेदनहीनता : पिता से जेल में मिलने गये बच्चों के मुंह पर लगा दी मुहर

भोपाल। रक्षाबंधन के दिन दो बच्चे अपने पिता से मिलने जेल गए तो जेल के स्टाफ ने उनके मुंह पर ही मुहर का निशान लगा दिया। जेल स्टाफ द्वारा मासूमों के प्रति दिखाई गई संवेदनहीनता का यह मामला अब तूल पकड़ रहा है। एडीजी, जेल गाजीराम मीणा ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिये हैं। जेल मंत्री कुसुम मेंहदेले ने भी जांच कराने की बात कही है, लेकिन सेंट्रल जेल के अधीक्षक दिनेश नरवरे यह मानने को तैयार नही हैं कि बच्चों के मुंह पर मुहर लगा कर उनके स्टाफ ने कोई गलती की है।

यह मामला सोमवार का है, जब राखी के त्योहार पर कैदियों के परिजन उनसे मिलने जेल आये थे। एक कैदी के बच्चे भी अपनी मां के साथ पिता से मिलने आये। इन दोनों के चेहरे पर जेल स्टाफ ने मुहर लगा दी। आमतौर पर जेल में कैदियों से मिलने आने वाले लोगों के हाथों पर मुहर लगाने की परंपरा है, लेकिन रक्षाबंधन के मौके पर जेल स्टाफ ने दो मासूमों के चेहरे पर ही मुहर लगा दी।

मामला सामने आने के बाद एडीजी जेल गाजीराम मीणा ने डीआईजी जेल को पूरे मामले की जांच करने को कहा है। मीणा ने यह माना है कि जेल मैन्युअल में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है कि कैदी से मुलाकात करने आने वाले व्यक्ति के शरीर पर कोई मुहर लगाई जाये, लेकिन फिर भी जेलों में यह परंपरा रही है। उन्होंने कहा, ‘आमतौर पर हाथ पर ही कोई भी निशान या मुहर लगाई जाती है। बच्चों के मुंह पर मोहर लगाया जाना पूरी तरह से गलत है। मैनें इसकी जांच के आदेश दे दिये है। जो भी व्यक्ति दोषी पाया जायेगा उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।’

 उधर जेल मंत्री ने भी जांच की बात कही है, लेकिन भोपाल सेंट्रल जेल के अधीक्षक इस मामले में अपने स्टाफ की गलती मानने को तैयार नही है। उन्होंने तर्क दिया है कि रक्षाबंधन की वजह से कई हजार लोग जेल में कैदियों से मिलने पहुंचे थे जिसकी वजह से स्टाफ को यह तरीका अपनाना पड़ा। इस बीच बाल अधिकार कार्यकर्ता और मध्यप्रदेश बाल आयोग के सदस्य विभांशु जोशी ने बच्चों के चेहरे पर मुहर लगाये जाने की घटना को बहुत गंभीर बताया है। जोशी का कहना है कि यह बाल अधिकार कानून का उल्लंघन है। ऐसा करने वाले जेलकर्मी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है।

उधर कांग्रेस ने इस घटना की निंदा करते हुये आरोप लगाया है कि राज्य में बच्चों के साथ अवांछित व्यवहार किया जा रहा है। एक ओर मुख्यमंत्री खुद को बच्चों का मामा कहते हैं। दूसरी तरफ उनके सरकारी कर्मचारी बच्चों के साथ ऐसा घटिया बर्ताव कर रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने बच्चों के चेहरे पर मुहर लगाये जाने वाले जेलकर्मी को तत्काल बर्खास्त किए जाने की मांग की है। उनका यह भी आरोप है कि जेलकर्मी सत्तारूढ़ दल की मानसिकता के प्रभाव में है, इसीलिए उन्होंने एक खास समाज के बच्चों का निशाना बनाया है। उधर बीजेपी ने भी मामले की जांच की बात कही है।