नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) कैंपस एक बार फिर विवादों में है। दशहरे के दिन यहां रावण की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला जलाया गया। आरोप है कि एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने जेएनयू में इन पुतलों को जलाकर दशहरा मनाया। पुतला जलाने को लेकर शुरू हुए इस पूरे विवाद में वाइस चांसलर प्रफेसर एम जगदीश ने जांच का आदेश दिया है। कुलपति से जब पूरे मामले के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था, ‘जेएनयू में पुतला जलाने की घटना के बारे में हमें पता चला है। हम इस मामले की जांच कर रहे हैं और इस घटना से जुड़ी हर सही जानकारी की पड़ताल कर रहे हैं।’
#BREAKING JNU VC orders a probe into the burning of an effigy of the PM on the campus, which took place on Monday
— TIMES NOW (@TimesNow) October 13, 2016
इस पूरे मामले में एनएसयूआई ने भी अपनी जेएनयू विंग के खिलाफ कार्रवाई का मन बना लिया है। खबरें हैं कि पुतला जलाने की इस घटना में एनएसयूआई के जो भी छात्र शामिल थे उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा क्योंकि पुतला जलाना एनएसयूआई की आचार संहिता के खिलाफ है।
कांग्रेस की स्टूडेंट विंग एनएसयूआई के मेंबर्स ने जेएनयू में दशहरे के दिन पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा बीजेपी चीफ अमित शाह, बाबा रामदेव, साध्वी प्रज्ञा, योगी आदित्यनाथ, आसाराम, नाथुराम गोडसे के पुतले जलाए। स्टूडेंट्स ने यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एम जगदेश का पुतला भी जलाया। पुतला दहन का विडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।
सोशल मीडिया पर वायरल विडियो, यहां देखें
एनएसयूआई के सदस्य सनी धीमान का कहना है, ‘यह हमारा प्रतीकात्मक विरोध था। हम न तो केंद्र सरकार के काम से संतुष्ट हैं और ना ही जेएनयू के प्रशासन से। केंद्र सरकार, छात्रों और बेहतर शिक्षा के लिए कुछ नहीं कर रही है। एजुकेशन फंड कम हुआ है, फेलोशिप रोकी गई है।’ सनी कहते हैं कि एजुकेशन को लेकर जितने वादे किए गए थे, वो सब किनारे हैं। हमने दशहरा मनाते हुए इस सरकार के बेबुनियाद और बेकार कामों को जलाने का संदेश दिया है।