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जम्मूः महबूबा के रुख से टूट रहा है BJP का संयम

mehbubaश्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के 23 दिन बाद भी महबूबा मुफ्ती के रुख के कारण पीडीपी-बीजेपी गठबंधन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। महबूबा ने पीडीपी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की रविवार को बैठक बुलाई है। उनसे जुड़े सूत्रों का कहना है कि मुफ्ती के निधन के बाद महबूबा को कोई फैसला लेने की जल्दी नहीं है। वहीं पीडीपी की नई चीफ के इस रुख से बीजेपी का संयम टूटता नजर आ रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, वह अगले सप्ताह जम्मू क्षेत्र के नेताओं से मिलने वाली हैं। पीडीपी के एक और पदाधिकारी ने कहा, ‘पिछले 23 दिनों से राज्य में सत्तासीन होने की लालसा से इनकार रहीं महबूबा बीजेपी द्बारा भरोसा न दिए जाने पर आगे उसके साथ गठबंधन बरकरार रखेंगी, इसकी संभावना नहीं है।’ सूत्रों ने कहा कि महबूबा फिर से तभी गठबंधन बनाएंगी, अगर उन्हें बीजेपी से ठोस भरोसा मिलता है।

हालांकि, देरी से बीजेपी का भी संयम टूट रहा है। बीजेपी के सूत्रों ने कहा, ‘इसका मतलब हमें शर्तों को मानने के लिए मजबूर करना है जो मौजूदा समझौते का हिस्सा नहीं है। पीडीपी अगर सोचती है कि हम सत्ता में आने को इतने बेचैन हैं कि पार्टी की बात चुपचाप मान लेंगे, तो गलत सोचती है।’

इस मतभेद के समाप्त न होने और स्वाभाविक गठबंधन न बन पाने का मतलब है कि राज्य में गर्वनर रूल बरकरार रहेगा और आगे मध्यावधि चुनाव से भी इनकार नहीं किया जा सकता। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा का विषय है कि आगे पीडीपी-कांग्रेस की सरकार बन सकती है। हालांकि, विधानसभा में पार्टी के सीटों की संख्या से किसी भी तरह का गठबंधन आसानी से नहीं बन सकता।

महबूबा ने 7 जनवरी को सईद के निधन से सदमे के कारण तुरंत बाद शपथ लेने से इनकार कर दिया था। वहीं, ऐसी संभावना है कि वह आगे और विचार-विमर्श करना चाहती हैं जो आगे की रणनीति को तय करेगा।

पार्टी सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि इस अनिर्णय की स्थिति की वजह महबूबा की नाराजगी है जो बीजेपी की तरफ से भरोसा न दिए जाने से मुख्यमंत्री के बंगले से निकल गई थीं। पीडीपी के एक नेता ने कहा, ‘वह मानती है कि सईद के 10 महीने के कार्यकाल के दौरान गठबंधन के एजेंडे की शर्तों को लागू नहीं किया गया है, क्योंकि बीजेपी ने महज भरोसा ही दिलाया और हकीकत में कुछ नहीं किया।’

उन्होंने कहा, ‘हम उनकी हर वास्तविक चिंता पर ध्यान देने और चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन हम राजनीतिक दबाव के आगे नहीं झुकेंगे। अगर महबूबा की तरफ से टालमटोल की स्थिति जारी रही तो हम अपने स्तर पर पार्टी के विकल्प पर विचार करेंगे।’

इधर, पीडीपी प्रवक्ता ने कहा कि रविवार को होने वाली बैठक सरकार गठन को लेकर नहीं होगी, लेकिन महबूबा पार्टी के सदस्यों और ग्राउंड लेवल कार्यकर्ताओं से लेकर पार्टी के जोनल स्तर के अध्यक्षों की बातें सुनेंगीं।

दोनों पार्टियों के बीच जहां खींचतान की स्थिति बनी हुई है, वहीं मुख्य विपक्षी नैशनल कॉन्फ्रेंस चीफ फारुक अब्दुल्ला ने कहा है कि सईद ने बीजेपी के साथ सरकार बनाई थी जिसके पास सरकार को आगे ले जाने का एक एजेंडा था औऱ यह महत्वपूर्ण बात है कि सरकार बनी थी।