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जब शिक्षक ही भक्षक बन जाये तो देश कहा जायेगा, पकड़े गये 80000 अदृश्य शिक्षक

नई दिल्ली। ‘आधार कार्ड’ के लागू होने के बाद 80 हजार ऐसे शिक्षकों की पहचान हुई है, जो फर्जी तरीके से कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ा रहे हैं। हैरत कर देने वाली बात है। एक तरफ जहां लोग एक नौकरी पाने के लिए परेशान है, वहीं देश के विश्वविद्यालयों और कालेजों में करीब 80 हजार ऐसे प्रोफेसर नौकरी करते पाए गए है, जो एक या दो जगह नहीं, बल्कि चार-चार जगह नौकरियां करते मिले है यह  प्रोफेसर सभी जगह से वेतन भी ले रहे है। यह चौंकाने वाला खुलासा देश भर के विश्वविद्यालयों और कालेजों में पढ़ा रहे शिक्षकों के सत्यापन (वेरीफिकेशन)और आधार से लिंक करने के दौरान हुआ है। शिक्षा और नैतिकता का अन्योनाश्रय संबंध है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हो, तो नैतिकता का मापदंड भी ऊंचा होता है, लेकिन जब शिक्षा का स्तर कमतर हो जाये तो नैतिकता का पतन स्वाभाविक है। जब शिक्षक का नैतिक पतन होने लगे, तो शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त होना और समाज में अव्यवस्था और भ्रष्टाचार का बढ़ना स्वाभाविक है। किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय में ऐसे किसी भी शिक्षक की पहचान नहीं हुई है।

यह कहना है मानव संसधान विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का. जावड़ेकर ने एक कार्यक्रम में कहा कि कुछ ऐसे शिक्षक है जो प्रॉक्सी तरीका अपनाकर, कई जगहों पर फुलटाइम पढ़ा रहे हैं। ‘आधार कार्ड’ शुरू होने के बाद ऐसे 80 हजार शिक्षकों की पहचान हुई है जिनके खिलाफ कार्रवाई का विचार किया जायेगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लिया है, और ऐसे शिक्षकों की पहचान करके उनके खिलाफ जल्द ही कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए है। जावड़ेकर ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में तो ऐसे शिक्षक नहीं पाये गये, लेकिन राज्य और निजी विश्वविद्यालयों में ऐसे शिक्षक मिले है। मंत्रालय ने सभी विश्वविद्यालयों से उनके यहां कार्यरत कर्मचारियों और छात्रों से आधार नंबर मांगने के लिए कहा है, ताकि कोई फर्जीवाड़ा न हो सके।

इस बीच, आधार कार्ड्स के डेटा लीक होने की बातें भी सामने आ रही हैं। इस बात का खुलासा एक अंग्रेजी अखबात ने किया है। अखबार ने एक ऐसे एजेंट के बारे में पता लगाया है, जो सिर्फ 500 रुपये में करोड़ों लोगों के आधार की जानकारी दे रहा है। मीडिया के अनुसार एजेंट ने एक गुमनाम विक्रेता से व्हाट्सऐप के जरिये ऐसी सर्विस खरीदी, जिससे उसे देश के 100 करोड़ से अधिक आधार संख्या के बारे में जानकारी मिली. अखबार ने ये पैसे पेटीएम के जरिये एजेंट को दिये थे।

यह रैकेट लगभग छह महीने पहले एक व्हाट्सऐप पर शुरू हुआ था। इन ग्रुप्स ने विलेज-लेवल एंटरप्राइज ऑपरेटरों को अपना टार्गेट बनाया, जो देश भर में कॉमन सर्विस सेंटर्स स्कीम (CSCS) के तहत आईटी मंत्रालय द्वारा हायर किये गये थे। हालांकि, UIDAI ने इस बात का खंडन किया है. उसने कहा है कि लोगों की सारी जानकारी पूरी तरह सुरक्षित है.

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार को आल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआईएसएचई) की वर्ष 2016-17 की रिपोर्ट जारी करने के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में देश भर के विश्वविद्यालयों और कालेजों में करीब 15 लाख शिक्षक कार्यरत है, इनमें करीब 12.50 लाख शिक्षक ऐसे है, जो अब तक आधार से जुड़ चुके है। यानि करीब 85 फीसदी प्राध्यापकों का सत्यापन हो चुका है। जबकि बाकी शिक्षकों को भी जल्द से जल्द आधार से लिंक करने की तैयारी चल रही है।