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चीफ जस्टिस हाथ धोकर क्यों पड़े हैं मोदी सरकार के पीछे

ts-thakur-career-analysis-1नई दिल्ली। पिछले कई दिनों से सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश मोदी सरकार के पीछे पड़े हुए हैं, कभी मोदी के सामने आंसू बहाते हैं और कभी केंद्र सरकार को फटकार लगाते हैं, इसके अलावा आजकल वे मोदी सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं जिसकी वजह से कांग्रेस और केजरीवाल को मोदी सरकार के खिलाफ मुद्दा मिल गया है।

तीरथ सिंह ठाकुर हाई कोर्ट में मुख्य जजों की नियुक्तियां करना चाहते हैं लेकिन जजों का नाम खुद उन्होंने चुना है, जिसके विरोध में करीब 1000 वकीलों ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास अर्जी भेजी है, अगर मोदी प्रधान न्यायाधीश की बात मान लेते हैं तो वकील हड़ताल कर देंगे जिसकी वजह से आन्दोलन शुरू हो जाएंगे, एक समस्या और है, इस वक्त हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस सरकार द्वारा नियुक्त किये गए भ्रष्ट और घूसखोर जज भरे पड़े हैं, उन्हीं में से छंटनी करके तीरथ सिंह ठाकुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीशों की नियुक्ति करना चाहते हैं, मोदी सरकार की समस्या यह है कि अगर दो चार मुख्य न्यायाधीश चुन लिय गए तो तीन साल तक वे अनाप शनाप फैसले सुनकर बीजेपी सरकारों की मुसीबत बढाते रहेंगे, इसलिए मोदी सरकार भ्रष्ट जजों की न्यायालयों से सफाई चाहती है, यही सोचकर जजों की नियुक्ति के लिए एक व्यवस्था बनायी जा रही है लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस व्यवस्था के विरोध में है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि पिछले दो वर्ष पहले जब केंद्र में कांग्रेस सरकार थी तो सुप्रीम कोर्ट की कांग्रेस के सामने बोलने की हिम्मत नहीं होती थी क्योंकि सभी जजों की नियुक्ति केंद्र सरकार करती थी इसलिए किसी जज में कांग्रेस सरकार को फटकार लगाने की हिम्मत नहीं होती थी, आज भी वही जज सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में भरे पड़े हैं और मौका मिलने पर मोदी सरकार को खूब फटकार लगा रहे हैं। थोडा बहुत कमी थी तो उसे तीरथ सिंह ठाकुर ने रो धोकर पूरा कर दिया।

जब तीरथ सिंह ठाकुर हाथ धोकर मोदी सरकार के पीछे पड़ गए तो लोग सोचने लगे कि आखिर बात क्या हो सकती है, जब उनकी डीएनए एनालिसिस की गयी तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए, ऐसा लगा कि तीरथ सिंह ठाकुर के अन्दर आज भी कांग्रेस भक्ति बसी हुई है, जिसकी वजह से वह मोदी सरकार के विरोधी बनते जा रहे हैं।

पढ़ें तीरथ सिंह ठाकुर की डीएनए एनालिसिस

तीरथ सिंह ठाकुर ने पिता देवी दास ठाकुर एक तरह से कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के भक्त थे, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की वजह से ही आज कश्मीर आतंकवाद और अलगाववाद का दंश झेल रहा है, सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि तीरथ सिंह ठाकुर के पिता देवी सास ठाकुर एक समय (1973-1975) जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट के जज थे लेकिन उन्हें सत्ता का ऐसा लोभ हुआ कि 1975 अपने पद से इस्तीफ़ा देकर शेख मुहम्मद अब्दुल्लाह की सरकार में फाइनेंस मिनिस्टर बन गए।

कौन थे शेख मुहम्मद अब्दुल्लाह

शेख मुहम्मद अब्दुल्लाह ही नेशनल कांफ्रेंस (NC) के जन्मदाता था, ये पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के दादा भी थे, बाद में इनके दामाद गुलाम मुहम्मद शाह भी जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री बने, दामाद के बाद इनके बेटे फारूख अब्दुल्लाह भी मुख्यमंत्री बने और उसके बाद उनके नाती उमर अब्दुल्ला भी जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री बने। शुरू शुरू में जब कश्मीर भारत से अलग प्रान्त माना जाता था और हरी सिंह का कश्मीर पर शासन था तो इन्होने हरी सिंह का विद्रोह करके उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया, ये 1947 में कश्मीर के पहले प्रधान मंत्री भी बने थे लेकिन इन्हें 1953 में प्रधानमंत्री पद से हटाकर गुलाम मुहम्मद बख्सी को कश्मीर का प्रधानमंत्री बना दिया गया, जब 1965 में कश्मीर का भारत में विलय हो गया तो तो प्रधानमंत्री का पद ख़त्म करके मुख्यमंत्री और गवर्नर राज में तब्दील कर दिया गया। शेख मुहम्मद अब्दुल्लाह 1974 में फिर से कश्मीर के मुख्यमंत्री बने और मृत्यु तक (8 सितम्बर 1982) अपने पद पर बने रहे।

शेख मुहम्मद की सरकार में ही तीरथ सिंह के पिता देवी दास ठाकुर वित्त मंत्री बने, जब शेख अब्दुल्लाह की मौत हो गयी तो उसके बाद उनके दामाद गुलाम मोहम्मद अब्दुल्लाह जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री बने, चूँकि देवी दास ठाकुर की अब्दुल्लाह परिवार से बढ़िया केमिस्ट्री थी इसलिए गुलाम मोहम्मद की सरकार में देवी दास जम्मू और कश्मीर के उप-मुख्यमंत्री बनाए गए। गुलाम मोहम्मद शाह के बाद शेख मुहम्मद अब्दुलाह के बेटे फारूख अब्दुल्लाह कश्मीर के मुख्यमंत्री बने, लेकिन उसके बाद जब प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्या हो गयी तो वीपी सिंह को कांग्रेस ने नया प्रधानमंत्री बनाया। वीपी सिंह ने ही देवी दास ठाकुर को असम का गवर्नर बनाकर जम्मू और कश्मीर से दूर भेज दिया।

परिवारवाद का रिजल्ट हैं तीरथ सिंह ठाकुर

आप खुद देखिये, तीरथ सिंह ठाकुर के पिता जी हाई कोर्ट में जज थे, बाद में मंत्री बने, फिर उप-मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस की सरकार ने उन्हें गवर्नर बनाया, कितने रसूखदार थे तीरथ सिंह ठाकुर के पिता जी, उनकी मृत्यु 2007 में हुई लेकिन उन्होने मरने से पहले अपने दोनों बेटों को सेट कर दिया, तीरथ सिंह ठाकुर दो भाई हैं, उनके छोटे भाई धीरज सिंह ठाकुर भी जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट में जज हैं, तीरथ सिंह ठाकुर देश के सबसे गरिमामयी पद पर हैं, सुप्रीम कोर्ट से बड़ा क्या हो सकता है, अब वे चाहते हैं कि उनके भाई भी जज बनें, उनके बेटे भी जज बनें, उनके नाती भी जज बनें, जैसा कि उनके पिता ने किया और अपने दोनों बेटों को जज बना दिया, मोदी सरकार इसी व्यवस्था के खिलाफ है, उन्हें परिवारवाद बर्दास्त नहीं है।

मोदी सरकार एक काॅलेजियम व्यवस्था के तहत जजों की नियुक्ति करना चाहती है लेकिन प्रधान न्यायाधीश अपनी मनमर्जी चलाना चाहते हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने काॅलेजियम व्यवस्था पर रोक लगा दी है, इसलिए मोदी ने भी तीरथ सिंह के फैसले पर रोक लगा दी है।

तीरथ सिंह को क्यों बताया जा रहा है कांग्रेस भक्त

तीरथ सिंह ठाकुर के पिताजी जन गुलाम मोहम्मद शाह की सरकार में उप-मुख्यमंत्री थे तो उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार और घोटालों के बहुत आरोप लगे, इसके अलावा इनके पिताजी दशकों तक कांग्रेस से भी जुड़े रहे हैं, कांग्रेस सरकार ने उन्हें असम का गवर्नर बनाया, तीरथ सिंह ठाकुर के ऊपर भी कांग्रेस की भक्ति का कुछ तो असर पड़ा ही होगा, आखिर उनके घर का ही माहौल कांग्रेसमय था, हर समय कांग्रेस की चर्चा होती रहती होगी, कांग्रेस के गुण गाये जाते रहे होंगे, बच्चों पर अपने बाप का कुछ तो असर पड़ता ही है, जिस कांग्रेस ने उनके परिवार को सेट किया, उनके पिताजी को सेट किया, हो सकता है उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट ने सेट किया गया हो, अब वे उसके लिए कुछ ना कुछ काम तो करेंगे ही जिसने उन्हें सेट किया है, शायद इसीलिए जब से केंद्र में मोदी सरकार आयी है सुप्रीम कोर्ट मोदी सरकार को फटकार पर फटकार लगा रहा है, कांग्रेस सरकार के समय तो बोलने की भी हिम्मत नहीं होती थी, सुप्रीम कोर्ट ने लगातार दो साल तक कांग्रेस ने कालेधन पर SIT बनाने को कहा लेकिन कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट की कभी भी परवाह नहीं की, कालेधन को कोई कार्यवाही नहीं की, लोगों को मौका मिला और उन्होंने अपने कालेधन को सेट कर लिया।