नई दिल्ली। भारत ने शुक्रवार को साझा समुद्री गश्ती करने के अमेरिका के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। भारत ने चार पक्षों के साथ मिलकर एशिया प्रशांत (एशिया पसिफिक) क्षेत्र में किसी सुरक्षा वार्ता में शामिल होने की संभावना से भी इनकार कर दिया। अमेरिका ने दक्षिणी चीन सागर और बाकी समुद्रीय क्षेत्र में चीन के आक्रामक बर्ताव से निपटने के लिए भारत के सामने ये प्रस्ताव रखे थे।
अमेरिका के पसिफिक कमांड प्रमुख एडमिरल हैरी हैरिस भारत के दौरे पर आए हुए हैं। 3 दिन पहले ही उन्होंने भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच सुरक्षा वार्ता का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि एशिया पसिफिक क्षेत्र में भारत और अमेरिका द्वारा साक्षा समुद्री गश्ती की कोई भी संभावना बहुत दूर नहीं है। भारत लंबे समय से खुद को ‘निष्पक्ष’ कहता आ रहा है। अमेरिका और चीन के बीच चल रही भौगोलिक-राजनैतिक रस्साकशी, खासकर दक्षिणी चीन महासागर में दोनों देशों के बीच चल रही गहमागहमी के बीच भारत खुद को निष्पक्ष बताता आ रहा है। मालूम हो कि दक्षिणी चीन महासागर क्षेत्र पर अधिकार को लेकर चीन का अपने पड़ोसी देशों- भारत, जापान, वियतनाम आदि के साथ भी बेहद कड़वा विवाद चल रहा है।
अमेरिका द्वारा प्रस्ताव दिए जाने 3 दिन बाद रक्षामंत्री ने कहा, ‘मैं अमेरिकी एडमिरल के कहे पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहा हूं। अगर हम इस मुद्दे को लेकर कुछ भी विचार करते हैं, तो आपको हमारे पक्ष की जानकारी जरूर दी जाएगी।’
यह पूछे जाने पर कि क्या अगले महीने भारत दौरे पर आ रहे अमेरिका रक्षा सचिव कार्टर के भ्रमण के दौरान भारत और अमेरिका के बीच लगभग तय हो चुके लॉजिस्टिक्स सहयोग समझौता (एलएसए) पर दस्तखत किए जाएंगे, पर्रिकर ने कहा कि सरकार देशहित को ध्यान में रखते हुए ही कोई भी फैसला लेगी।
उन्होंने कहा, ‘इस समझौते से भारत को कई मोर्चों पर फायदा होना चाहिए। हम पक्के तौर पर इतना कह सकते हैं कि हमारी सरकार हर मुद्दे पर बेहद सक्रिय है। हमें बेवजह चीजों को टालना अच्छा नहीं लगता है। इसीलिए हम कागजी कार्रवाई पूरी कर लेते हैं। कई चीजों को लेकर बातचीत जारी है।’
अमेरिका भारत के साथ द्विपक्षीय समझौतों, जैसे एलएसए, सीआईएसएमओए और बीईसीए को लेकर एक दशक से भी अधिक समय से सहमति बनाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि इससे पहले की यूपीए सरकार ने उन्हें अटकाया था, लेकिन मौजूदा एनडीए सरकार का मानना है कि एलएसए पर दस्तखत करना ‘अपेक्षाकृत आसान है।’ वहीं सीआईएसएमओए और बीईसीए को लेकर कई स्पष्टीकरणों और विमर्श किए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौते की तर्ज पर अमेरिका ने कई देशों के साथ समझौते किए हैं। एलएसए में दोनों देशों की सेना एक-दूसरे के जहाजों और युद्धपोतों को लॉजिस्टिक, रिफ्यूलिंग जैसी मदद देते हैं। यह मदद वस्तु विनिमय के आधार पर किया जाता है।