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चिप नहीं रेडियो एक्टिव स्याही की वजह से पकडे जा रहे हैं भारी मात्रा में नये नोट रखने वाले

new-noteआजकल काले धन वाले लोग काफ़ी हैरान परेशान है, चालाकी दिखाते हैं, बैंक वालों से सेटिंग भी करते हैं रुपया पैसा खिलाकर अपने काले धन को सफ़ेद करते हैं या नए नोटों के साथ बदलते हैं  और इतनी सारी मेहनत के बाद इंकम टैक्स वाले धड़ाधड पकड़ रहे हैं। केवल तीस % टैक्स के लिए आप इतना सब कुछ टेंशन क्यूँ मोल लेते हो जब आपके पास इतना पैसा है तो तीस % टैक्स देने में हर्ज ही क्या है।

ख़ैर आज आपको सारा राज बताते है, नए नोट में कोई चिप नहीं  है बल्कि इसको बनाने में एक ख़ास प्रकार के रेडियो एक्टिव इंक का प्रयोग किया गया है । बता दें कि रेडियोएक्टिव स्याही का प्रयोग विकसित देशो में पहले से हो रहा है ये बतोर इंडीकेटर किया जाता रहा है । जानकारी के लिए बता दें कि P32 फास्फोरस से बनी रेडियोएक्टिव स्याही एक आईसोटोप है जिसके नाभिक में 15 प्रोटोन और 17 न्यूट्रॉन होते है और यह रेडियोएक्टिव स्याही में बहुत ही कम मात्रा में प्रयोग किया जाता है ।

ग़ौरतलब हो कि कम मात्रा का मतलब है यह रेडियोएक्टिव स्याही में केवल एक वार्निंग टेप की तरह प्रयोग होता है जिससे सरकार को ये फ़ायदा होता है कि ये एक ही जगह पर लिमिट से अधिक मोज़ुद होने पर इंडीकेटर के तोर पर नोटों की मोज़ूदगी को सूचित कर देता है  । इसी वजह से ज़्यादा माल ( नए नोट ) रखने वाले फटाफट पकड़े जा रहे हैं । हालाँकि ये जानकारी अभी आधिकारिक रूप से प्रमाणित नहीं है ।

अब ये आपकी मर्ज़ी है कि इस जानकै को आप केवल एक कल्पना भी कह सकते हैं और इसको सच भी मान सकते हैं । इस देश में पिछले दशकों से नेताओं और भ्रष्ट ऑफ़िसर लोगों की देखादेखी हम में से अधिकतर लोग भ्रष्ट बन गए हैं जिन्हें हर उलटे सीधे तरीक़े से आसान पैसा कमाना है और उसपर टैक्स भी नहीं देना है  । हमें सब फ़्री और आसान चाहिए कोई दख़लंदाज़ी नहीं चाहिए लेकिन देश हमें सिंगापुर या अमेरिका से उन्नत चाहिए। हम कुछ भी करते रहें लेकिन हमें और किसी के भ्र्श्ताचार पर बड़ा गुस्सा आता है।ख़ैर ज्ञान बहुत हुआ अब नोटों के बारे और नयी स्याही के बारे  जिसे शक दूर करना हो वो गूगल में रेडियोएक्टिव इंक खोज सकता है  ।