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गुजरात : बर्बादी के कगार पर पहुंचे आलू के किसान, सरकार से है मदद की दरकार

नई दिल्ली। गुजरात के बनासकांठा के डीसा तहसील को आलू उत्पादन का हब माना जाता है. लेकिन पिछले कई दिनों से आलू के दामों को लेकर किसान आंदोलनरत रहते हैं. इसकी वजह आलू के दामों में भारी मंदी है. यहां के रहने वाले किसान कसनाभाई ने अपनी मेहनत से आलू की अच्छी-खासी फसल का उत्पादन किया. उनका कहना है कि उनके पास 50-50 किलो के 900 बोरे आलू के हैं.  फरवरी – मार्च में आलू के मौसम में करीब 400 बोरे आलू बेचे और 500 बोरे बचाकर कोल्ड स्टोरेज में रखवा दिए. वजह थी कि उस वक्त करीब 3 से 4 रुपये किलो आलू किसानों से खरीदा जा रहा था जिससे मुश्किल से ही लागत निकल रही थी. तो उन्होंने इस उम्मीद से आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखवा दिया ताकि जब दाम बढ़ेंगे तो मंडी में बेचकर मुनाफा कमाया जा सकेगा. लेकिन आलू के दाम और कम होने से उनकी मुसीबत बढ़ गई है.

आलू के बोरे पर बैठा है किसान
कसनाभाई कहते हैं कि फिलहाल डीसा का किसान आलू के बोरों पर बैठा हुआ है, आज कल एक रुपया मुश्किल से मिल रहा है, इससे बच्चों को स्कूल में पढ़ाने की फीस भी नहीं निकल सकती और किसानों की हालत बहुत बुरी है. डीसा में इस साल करीब 5 करोड़ बोरे आलू का उत्पादन हुआ है. अब तक करीब 3 करोड़ बोरे बिके हैं लेकिन कम दाम से 2 करोड़ बोरे अब भी कोल्ड स्टोरेज में पड़े हुए हैं.

कोल्ड स्टोरेज के मालिकों की चिंता बढ़ी
वहीं कोल्ड स्टोरेज मालिकों की भी हालत खराब है. उन्हें लगता है किसान को ही पैसा नहीं मिलेगा तो  उनकी देनदारी भी रुक जाएगी. कोल्डस्टोरेज मालिक प्रवीण माली कहते हैं कि यहां पर प्रति एक किलो आलू रखने पर 1 रुपए 60 पैसा किराया देना होता है. अभी बाजार में एक किलो आलू की कीमत 2 रुपए के करीब है. उनका कहना है कि ऐसे हालात में किसानों को क्या मिलेगा.

बैंक लोन माफ करने की मांग
किसानों की मांग है कि अन्य राज्यों की तरह गुजरात में भी किसानों के बैंक का लोन माफ किया जाए या कम से कम कोल्ड स्टोरेज के किराये की भी सब्सिडी दी जाए. कई बार किसान ने सड़कों पर आलू फेंककर अपना विरोध जता चुके हैं. गुजरात सरकार ने किसानों को हर बोरे पर 50 रुपये, 600 बोरे की सीमा तक सब्सिडी देने की घोषणा की है. लेकिन अब तक उस पर कोई ठोस काम नहीं हुआ है.

अधिकारी दे रहे हैं दिलासा
डीसा के एसडीएम पीआर गढ़वी कहते हैं कि सरकार को किसानों की फरियाद के बारे में बता दिया गया है. चूंकि ये नीतिगत निर्णय है इसलिए राज्य सरकार के जो भी निर्देश होंगे किसानों को सीधा बता दिया जाएगा. हालांकि फिलहाल अब तक कृषि विभाग की तरफ से कोई सर्वे नहीं किया गया है.