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गुजरात चुनावः मतदान से एक दिन पहले हार्दिक को एक और झटका, दिनेश बामनिया ने छोड़ा साथ

अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से ठीक एक दिन पहले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को एक और करारा झटका लगा है. हार्दिक पटेल के करीबी नेता और पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (PAAS) के संयोजक दिनेश बामनिया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बामनिया से पहले भी कई पाटीदार नेता हार्दिक का साथ छोड़ चुके हैं.

इससे पहले भी बामनिया कांग्रेस और हार्दिक पटेल के बीच चुनावी करार के दौरान टिकट बंटवारे को लेकर सवाल उठा चुके हैं. साथ ही कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन भी कर चुके हैं. PAAS से इस्तीफा देने के बाद बामनिया ने हार्दिक पटेल और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने सेक्स सीडी को लेकर भी हार्दिक पटेल और कांग्रेस के घोषणा पत्र को लेकर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने OBC कोटे में आरक्षण का वादा नहीं किया है.

Patidar leader Dinesh Bambhaniya resigns from Patidar Anamat Andolan Samiti (PAAS) (file pic)

दिनेश बामनिया ने कहा कि पाटीदार आरक्षण पर कांग्रेस और हार्दिक पटेल का रुख साफ नहीं है. इसके साथ ही हार्दिक पटेल का साथ छोड़ने वाले पाटीदार नेताओं की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है. इससे पहले केतन पटेल, चिराग पटेल, वरुण पटेल और रेशमा पटेल हार्दिक पटेल का साथ छोड़ चुके हैं. बामनिया हार्दिक पटेल की कोर कमेटी के भी सदस्य थे. हार्दिक पटेल के साथ उन पर भी देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है.

इन तमाम घटनाओं के बीच एक बात तो साफ है कि गुजरात चुनाव फिलहाल हार्दिक के लिए बड़ी चुनौती है. बीजेपी के विरोध और उसे हराने का हार्दिक पटेल खुलेआम ऐलान कर चुके हैं. जनसभाओं में उनके खिलाफ जमकर बयानबाजी कर रहे हैं. विकल्प के तौर पर हार्दिक पटेल कांग्रेस से डील भी कर चुके हैं. ऐसे में उनके करीबियों का मतदान से पहले साथ छोड़ना बेहद चिंताजनक है. अब भविष्य में यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि हार्दिक पटेल अपनी कामयाबी का झंडा कहां तक बुलंद कर पाते हैं.

हार्दिक पटेल का साया माने जाते थे दिनेश बामनिया और केतन पटेल

दिनेश बामनिया और केतन पटेल एक समय हार्दिक पटेल का साया माना जाते थे. आरक्षण आंदोलन के दौरान वे हार्दिक पटेल के इर्द-गिर्द नजर आते थे. हालांकि बाद में दोनों के हार्दिक पटेल से रास्ते अलग हो गए. केतन पटेल और दिनेश बामनिया पर राजद्रोह के मामले भी दर्ज हैं, जिसके बाद केतन पटेल हार्दिक के खिलाफ गवाह भी बने. अब केतन पटेल के हाथ में बीजेपी का झंडा है. पाटीदार आरक्षण से जुड़े नेताओं का बीजेपी में जाना इस पूरे आंदोलन को कहीं न कहीं असर डालता दिखाई दे रहा है.