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खुलासा : 2015 में दालों की आसमान छूती कीमतों के पीछे ऐसे रची गई थी बड़ी साजिश

नई दिल्ली। जानबूझकर देश में दालों का संकट पैदा करने को लेकर एक बड़ा मामला सामने आया है। यह मामला साल साल 2015 का है जब दश में अरहर के दाल की कीमत 200 रूपये पार गयी थी। उस वक्त संसद में भी यह मामला उछला था। संसद में सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि दाल की कमी से कीमतें ऊपर गई थीं।

हालाँकि अब इसकी सच्चाई कुछ और ही सामने आ रही है। दरअसल आयकर विभाग की समीक्षा रिपोर्ट में इस बात का जिक्र हुआ है कि दाल इंपोर्टर्स और बड़ी कंपनियों ने मिलीभगत से दाल के दाम बढ़ाए थे। गौर करने वाली बात ये है कि इस रिपोर्ट में दाल बाजार के बड़े दिग्गजों का नाम सामने आया है।

रीसर्चर सुभीर घोष ने एक न्यूज़ वेबसाइट में लिखे अपने लेख में कहा है कि उस वक़्त दालों की कीमत बढ़ने का कारण कोई पारम्परिक नहीं था। यह रिटेल या होलसेल स्तर पर की गई कालाबाजारी के कारण भी नहीं हुआ था। उनके अनुसार आयकर विभाग द्वारा जारी की गई समीक्षा रिपोर्ट में दाल की कमी होने की पुष्टि नहीं हुई।

बल्कि दाल इंपोर्ट करने वाली एमएनसी कंपनियों ने दाल महंगी की थी। इस रिपोर्ट में ग्लेनकोर, ईटीजी और एडेलवाइस ग्रुप पर साठगांठ का आरोप लगाया गया है। जिंदल एग्रो और विकास ग्रुप भी साठगांठ में शामिल था। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साल 2015 में दाल की कीमतों में आयी असामान्य वृद्धि वित्तीय संस्थाओं द्वारा बनाई गई थी।

यह स्थित घरेलु और इंटरनेशनल मार्केट में पैदा की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी बाजारों उपस्थित कुछ प्रमुख कमोडिटी डीलरों ने देश और देश से बाहर के दाल भंडारों को खरीदकर संग्रहित किया और इसपर अपना एकाधिकार जमा लिया। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 2015 में दालों की कीमतों को बढ़ाने में कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX ने दाल कारोबार से जुड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां, स्थानीय डीलर और कई स्थानीय कारोबारियों के कार्टल की सहायता की थी।

ऐसे बढ़ी दालों की कीमत 

मानसून के बाद जनवरी 2015 में दाल मूल्य वृद्धि के पहले संकेत सामने आए थे। मूंग दालों की कीमत ₹ 500 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ी, जबकि तूर दाल कीमतें ₹ 100 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गईं। सभी चार मुख्य दालों-मुग, तूर, उरद और मसूर की खुदरा कीमतें एक साल पहले की कीमतों के मुकाबले 15%-30% बढ़ गईं।

24 मई 2015 को जब मोदी ने कार्यालय में एक साल पूरा किया, तब तक दालों की खुदरा कीमतों में 64% की कमी आई थी। जुलाई में खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, “पिछले एक साल में प्रमुख दालों की खुदरा कीमतों में वृद्धि 12.63% से 40.73 प्रतिशत के बीच थी। उन्होंने कहा दालों की कीमतों में तेज वृद्धि का मुख्य कारण प्रतिकूल मौसम के कारण उत्पादन में गिरावट है।

“रिपोर्ट के अनुसार 2008 में ग्लेनकोर पीएलसी की सहायक कंपनियों Chemoil एनर्जी लिमिटेड और अदानी ग्लोबल लिमिटेड ने एक जॉइंट वेंचर के जरिये भारत में मुंद्रा सहित में अन्य बंदरगाहों कांडला, जामनगर, वाडिनार, हजीरा में समुद्री ईधन की आपूर्ति का काम संभाला। जब्त दस्तावेज बताते हैं कि कुछ समय बाद अदानी ग्लोबल ने कंपनी के 49,00,000 शेयरों का अधिग्रहण किया।