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खुलासाः मोदी को गाली देकर मुसलमानों से करोड़ों की उगाही कर रहे हैं ओवैसी बंधु

नई दिल्ली। मोदी का हौव्वा खड़ा कर मुसलमानों को डराओ और फिर उनका रहनुमा साबित कर पैसा उगाहो। यही फंडा है हैदराबाद के ओवैसी बंधुओं का। मजलिस ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन(एमआइएम) नामक सियासी पार्टी खड़ी कर मुस्लिम राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा बनने की कोशिश कर रहे असउद्दीन ओवैसी और उनके  भाई अकबरुद्दीन पर बड़ी वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है।

यह आरोप हैदराबाद के ही कांग्रेसी नेता और वहां के खास मुस्लिम चेहरे अब्दुल्लाह सोहल ने लगाते हुए रिजर्व बैंक से ओवैसी के उस ट्रस्ट और बैंक के बही-खाते खंगाले जाने की मांग की है, जो  ओवैसी ब्रदर्स संचालित करते हैं।  ग्रेटर हैदराबाद कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चेयरमैन अब्दुल्लाह सोहल का आरोप है कि ट्रस्ट को निजी जागीर बनाकर मुस्लिम देशों से मिले खैरात से ओवैसी बंधु निजी जायदाद खड़ी कर रहे।

अब्दुल्लाह सोहेल ने ओवैसी बंधुओं के दारुस्सलाम एजूकेशनल ट्रस्ट की पोल खोली है। खुलासा करते हुए कहा है कि दारुस्सलाम एजूकेशनल ट्रस्ट 1974 में अस्तित्व में आया। मकसद रहा मुस्लिमो में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने का। मगर ओवैसी बंधुओं ने ट्रस्ट को निजी जागीर बना ली। और इसे एक डमी इंस्टीट्यूशन के रूप में तब्दील कर दिया। देश के और विदेशी मुस्लिम समुदाय से मिले खैरात के दम पर ट्रस्ट ने तमाम शैक्षिक संस्थान खोल रखे हैं। इसमें गरीब मुस्लिम युवकों को मुफ्त और रियायती दर पर शिक्षा मिलने की जगह ओवैसी बंधु धंधा चला  रहे हैं। खैराती संस्थाओं को कामर्शियल बना दिया गया है।

 

सोहेल का आरोप है कि ट्रस्ट के पैसे से हैदराबाद में एक दर्जन से अधिक शैक्षिक संस्थान खड़े किए हैं। इसमें डेक्कन मेडिकल, इंजीनियरिंग और अन्य शैक्षिक संस्थाओं की सीटों को बेच दिया जा रहा है। जिनके पास पैसे हैं, उन्हीं के बच्चे शिक्षा हासिल कर पा रहे हैं। यह ट्रस्ट की भावना के खिलाफ है। ट्रस्ट की ओर से डेक्कन कॉलेज आफ मेडिकल साइसेंज, ओवैसी कॉलेज आप नर्सिंग, डेक्कन मेडिकल कॉलेज, ओवैसी मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर, इंजीनीयरिंग कॉलेज आदि चल रहे हैं।

सोहेल ने ट्रस्ट के करोड़ों रुपये की हेराफेरी का भी आरोप ओवैसी बंधुओं पर मढ़ा। इसके लिए दारुसलम कोपरेटिंव बैंक खोलकर पूरा गड़बड़झाला किया जा रहा है। सोहेल असउद्दीन ओवैसी के चुनावी हलफनामे का जिक्र करते हुए काली संपत्तियों का खुलासा करते हैं। कहते हैं कि दस साल में दस गुना ओवैसी की संपत्ति बढ़ गई।

सोहेल का कहना है कि 2004 में ओवैसी की संपत्ति 39 लाख थी। 2009 के चुनाव में 93 लाख रुपये संपत्ति बढ़कर हुई और 2014 में संपत्ति चार करोड़ हो गई। इसी तरह उनके भाई विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी ने 2009 में आठ करोड़ की संपत्ति घोषित की। पांच साल में संपत्ति दोगुना होकर 17 करोड़ हो गई। खुद 2014 के चुनावी हलफनामे में अकबरुद्दीन ने इसका जिक्र किया है। आखिर पांच साल में कैसे संपत्ति दोगुना हो गई। इसका राज क्या है।

कांग्रेस नेता सोहेल ने कहा है कि रिजर्व बैंक को दारुसलम बैंक के खातों की जांच करनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने पत्र लिखकर घपले के बारे में सूचित भी कर दिया है। जरूरत पड़ने पर हम कोर्ट भी जाने की सोच रहे हैं। ओवैसी बंधुओं की ओर से की गई वित्तीय गड़बड़ियों की जांच के लिए उच्चस्तरीय कमेटी बनाए जाने की जरूरत है।