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क्यॊं शिया और सुन्नियों के बीच 36 का आंकड़ा है? क्या आप इस्लाम की जातियों के बारे में जानते है?

आपको लगता होगा कि जाति प्रथा केवल हिन्दुओं में ही है और वे आपस में ही लड़ते रहते हैं। अगर अपको ऐसा लगता है तो आप गलत सॊचते हैं। इस्लाम और मुसलमानों में भी कई जातियां हैं और वे भी आपस में ही लड़ते रहते हैं। लेकिन, हां फर्क इतना है की जब हिन्दुओं के खिलाफ़ लड़ना हॊता है तो सारे मुल्ले आपसी मत भेद भुलाकर एक जुट हॊ जाते हैं! जो कई जातियॊं में बंटे हुए हैं वो एक दम से एकता का प्रदर्शन करते हैं और हिन्दुओं को काट डालते हैं।

आपको पता ही हॊगा की शिया और सुन्नियों की आपस में बिल्कुल नहीं बनती। उनके बीच 36 का आंकड़ा है। वास्तव में दुनिया भर में सुन्नियों की संख्या ज्यादा है और वे सबसे ज्यादा खतरनाक हैं। दुनिया भर में आतांक मचानेवाले सुन्नि मुस्लिम ही हैं। दुनिया के मुसलमानों की संख्या के अनुसार 80% सुन्नी मुसलमान हैं तो केवल 20% ही शिया समुदाय के मुस्लिम हैं। हालांकि दोनों का धर्म इस्लाम है और दोनों के धर्म ग्रंथ कुरान है लेकिन इनमें आपस में 1,400 साल से मतभेद हैं।

सुन्नी समुदाय के मुस्लिम पंथ:
हनफ़ी: इसमें दो प्रकार की जातियां हैं: देवबंदी और बरेलवी
मालिकी
शाफई
हंबली
अहलेहदीस/सलफ़ी/वहाबी
अहमदीया

शिया समुदाय के मुस्लिम पंथ:
इस्ना अशअरी
इस्माइली: इसमें चार प्रकार की जातियां हैं: फातमी, बॊहरा, खॊजे और नुसैरी
जैदी

भारत में सुन्नि समुदाय के देवबंदी, बरेलवी और अहमदीया जाती और शिया समुदाय के इस्ना अशायरी और इस्माइली जाती के लोग पाये जाते हैं। आपको किसी ने बताया नहीं हॊगा की इतिहास का सबसे बड़े और पुराने लड़ाइयों में एक है सुन्नी और शिया की आपसी लड़ाई। हमारे देश में अक्सर हिन्दु राजाओं के बीच की लड़ाई को किताब, सीरियल और फिल्मों में दिखाया जाता है और हिन्दुओं को भ्रमित किया जाता है कि हिन्दू राजा एक दूसरे के जान के दुश्मन थे। लेकिन इस्लाम के दॊ कट्टर दुश्मन शिया और सुन्नियों के बारे में कॊई किताब नहीं लिखता और ना ही कॊई इस पर फिल्म बनाता है।

वो महम्मद पैंगबर ही था जिसने टुकडॊं में बंटे अरबी प्रायद्वीप को एक विशाल साम्राज्य बनाकर इस्लाम के सारे अनुयायीयों को एक छत के नीचे ले आया। लेकिन पैंगबर के मृत्यू के पश्चात (632) इस विशाल साम्राज्य के उत्तर दाईत्व के हक को लेकर जंग छिड़ गया। पैंगबर की लाडली बीवी आयशा ने अपने पिता अबूबकर को पहला खलीफा बनाया जो की एक सुन्नी मुसलमान था। इससे शिया मुसलमान भड़क गये क्यॊं कि उनके मुताबिक अली, जो पैंगबर का चचेरा भाई और दामाद था जिसे पैंगबर ने खुद उत्तराधिकारी बनने के यॊग्य समझा था उसे खलीफा नहीं बनाया गया। शिया मुस्लिमों का आरॊप है की पैंगबर की पत्नी आयशा ने पैंगबर को धोखे से मरवाया और अपने पिता को खलीफा बनाया। सुन्नी मानते हैं की पहले के चार खलीफ़ा पैंगबर के जायज़ उत्तराधिकारी थे। लेकिन शिया उन चारॊं के बदले अली जो की उन चारॊं के बाद खलीफ़ा बना था उसे जायज़ उत्तराधिकारी मानते हैं। इसी कारण से सुन्नी और शिया एक दूसरे के जान के दुश्मन बन गये और आपस में ही भिड़ गये।

शिया मुस्लिम अपने नेता को खलीफ़ा के बदले इमाम कहते हैं। सुन्नी समुदाय के लॊग पैंगंबर की पत्नी आयशा को अपनी माँ मानते हैं लेकिन शिया समुदाय में आयशा की छवी एक संस्कार विहीन महिला की है। इसलिये शिया आयशा के बदले फ़ातिमा को अपनी माँ के रूप में देखते हैं। उनके अनुसार फ़ातिमा ही पैगंबर की एकलौती बेटी थी जो खदीजा से जन्मी थी और जिसकी शादी अली से हुई थी। शिया समुदाय के लॊग आयशा के मुकाबले फातिमा को ज्यादा सम्मान देते हैं। आपको जानकर हैरानी हॊगी की जो मुसलमान एक दुसरे के कट्टर दुश्मन हैं वे आपको कभी यह नहीं बतायेंगे की उनमें भी इतनी प्रकार के पंथ हैं। अंदर से उनके बीच कितने भी मत भेद हो लेकिन गैर मुसलमान से लड़ते वक्त वे एक हो जाते हैं।

वहाबी विचारधारा: 17 शताब्दी में आज के सऊदी अरब में एक इस्लामिक स्कॉलर था इनिह मोहम्मद बिन अब्दुल वहाब। इसकी विचारधारा को माननेवाले लोगों को वहाबी कहा जाता है। खास कर साऊदी अरब के राज वंश वहाबी विचारदारा से प्रेरित है। इन सब के बीच में इस्लाम का एक रहस्यमयी पंथ है सूफ़िवाद। ऊपर से देखने में तो यह बहुत ही शांतिपूर्ण पंथ की तरह नज़र आता है, लेकिन इसका असली मकसद है दुनिया मॆं अपने धर्म को फैलाना। मोईनुद्दीन चिश्ती का ‘सूफिवाद’ तो हम सभी जानते हैं। चाँद मिया(साई बाबा) के भक्त भी इसी ‘सूफीवाद’ के शिकार हैं।

आज़ादी के पहले भारत में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे से रहते थे। लेकिन आज़ादी के बाद अपने राजनैतिक लाभ के लिए नेहरू खानदान की कांग्रेस सरकार ने घटिया चाल चली और हिन्दु-मुस्लिमों को आपस में लड़वाया । इतना ही नहीं कांग्रेस ने देश में ऐसा माहौल बनाया, हिन्दुओं को जाति के नाम पर आपस में ही लड़ाया और मुस्लिमों को ‘अल्पसंख्यक’ का दर्जा देकर उनमें एकता बनाया। इसलिए  इस्लाम में इतनी जातियां होने के बाद भी जब बात उनके इस्लाम, पैगंबर और कुरान की आती है तो वे सारे एक हॊ जाते हैं और गला फाड़ ने लगते हैं। भारत में 25 करोड़ अलग अलग जाति के लोग खुद को “एकत्रित मुसलमान” कहते हैं और 100 करोड़ हिन्दू खुद को जाट, गुर्जर, ब्राह्मण, दलित, सिख, बौद्ध, जैन, मराठा, रजवाड़ा  पता नहीं और क्या क्या कहते हैं, लेकिन खुद को “एकत्रित हिन्दू” कभी नहीं कहते हैं!

वक्त आगया है अपनी गलतियों से कुछ सीखने का और “एकत्रित हिन्दू” हॊने का। आपस में ही लड़ते भिड़ते रहेंगे तो शत्रू इसका फायदा उठा लेगा और इतिहास एक बार फिर खुद को दोहरायेगा……ध्यान रहे।