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क्या राकेश अस्थाना के सीबीआई का कार्यवाहक निदेशक बनने से लालू परेशान है?

rakeshनई दिल्ली।  पिछले दस सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि देश की प्रमुख जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के प्रमुख की घोषणा नहीं की गई। शुक्रवार को निदेशक अनिल सिन्हा रिटायर हुए तो उनकी जगह गुजरात कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को कार्यवाहक निदेशक बना दिया गया। सीबीआइ के निदेशक पद की दौड़ में सबसे आगे माने जाने वाले आरके दत्ता पहले ही गृह मंत्रालय में विशेष सचिव तैनात कर दिए गए थे, ऐसे में अस्थाना स्वाभाविक रूप से दूसरे नंबर पर आ गए थे। बहरहाल जब तक स्थाई नियुक्ति नहीं होती अब अस्थाना ही सीबीआई के सर्वेसर्वा हैं और उनकी नियुक्ति को लेकर बिहार की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले खासे चर्चा करते दिखाई दे रहे हैं, वजह ये है कि राकेश अस्थाना वही अफसर हैं जिन्होंने चारा घोटाले की जांच की थी और लालू से 6 घंटों तक पूछताछ की थी।

राकेश अस्थाना ने बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच करते हुए लालू प्रसाद यादव के खिलाफ 1996 में चार्जशीट दायर की थी। 1997 में उनके समय ही लालू पहली बार गिरफ्तार हुए तब वह सीबीआई एसपी के तौर पर तैनात थे। लालू यादव के1995 में मुख्यमंत्री बनने के बाद सीबीआई चारा घोटाले की जांच शुरू कर चुकी थी। राकेश अस्थाना धनबाद में थे और जांच उनके ही हवाले थी। जांच के सिलसिले में राकेश अस्थाना और उनके साथी अफसर पटना में लालू से पूछताछ करने पहुंचे, लेकिन सीबीआई की ये टीम लालू यादव से पूछताछ तो दूर मुलाकात तक नहीं कर पा रही थी। सीबीआई जैसी प्रमुख एजेंसी को लगातार टालने की बात किसी को समझ नहीं आ रही थी।

लालू आखिर क्यों नहीं मिल रहे थे, इस पर बड़ी दिलचस्प कहानी बताई जाती है। इसका खुलासा तब हुआ जब किसी नेता के कहने पर बिहार सरकार के एक अफसर ने राकेश अस्थाना के एक साथी अफसर से किसी बहाने मुलाकात की। बताया जाता है कि लालू यादव को उनके कुछ समर्थक नेता ही सीबीआई से मिलने से रोक रहे थे, क्योंकि वो बेहद डरे हुए थे। उन्होंने कहीं से सुन रखा था कि सीबीआई वाले पूछताछ करने के दौरान काफी सख्ती बरतते हैं और राकेश अस्थाना तो पीटते भी हैं। सिर्फ इतना ही नहीं इन नेताओं ने ये भी सुन रखा था कि सीबीआई के अफसर पजामे के अंदर चूहा छोड़ देते हैं और खूब मिर्च वाला खाना खिला कर पानी नहीं देते।

बिहार सरकार के उस अफसर की बात को जब सीबीआई अफसर ने सुना तो जाहिर है कि उसने इन बातों को खारिज किया। उसने भरोसा दिलाया कि अस्थाना चाहे जितने भी सख्त अफसर हों वे किसी मुख्यमंत्री के साथ तो ऐसा करने की सोच भी नहीं सकते। cbi-officeइसके बाद ही लालू से राकेश अस्थाना ने पूछताछ की। वो लालू प्रसाद यादव के साथ कितनी भी इज्जत से पेश आए हो लेकिन ये भी सच है लालू प्रसाद को चारा घोटाले में जेल का मुंह देखना ही पड़ा। चारा घोटाले में लालू के जेल जाने की वजह से ही बिहार की राजनीति हमेशा के लिए बदल गई।

1984 बैच के गुजरात कैडर के आइपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना गुजरात में कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। गुजरात में वे सूरत,बडोदरा के कमिश्नर, अहमदाबाद के ज्वाइंट कमिश्नर, वडोदरा के आईजी, डीआईजी, सीआईडी क्राईम,एसपी और डीसीपी के रुप में अपनी बेहतरीन सेवाएं दे चुके हैं। इसके साथ ही वो पटना, रांची और धनबाद में डीआईजी और एसपी (सीबीआई) के रुप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। रांची के रहने वाले अस्थाना की प्रारंभिक शिक्षा झारखंड के नेतरहाट स्कूल से हुई। फिर रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से होते हुए उन्होने उच्च शिक्षा के लिए जेएनयू का रुख किया फिर वे रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज में इतिहास के अध्यापक भी रहे, अपने पहले ही प्रयास में वो यूपीएसी में चुने गए और उन्हें गुजरात कैडर मिला।

सीबीआई में कुछ साल काम करने के बाद वाजपेयी सरकार आने के बाद राकेश अस्थाना गुजरात कैडर वापस चले गए। बाद में केंद्र में मनमोहन सिंह सरकार आई तो लालू यादव ने जैसे मान ही लिया था कि अस्थाना रूपी बेताल से उनका पीछा छूटा, लेकिन शायद अभी कुछ बाकी है। राकेश अस्थाना को मोदी सरकार की पहली पसंद समझा जाता है। उनको 2014 में सरकार बनते ही उन्हें सीबीआई में ले लिया गया था। गुजरात कैडर के अस्थाना को दो दिन पहले सीबीआई में अतिरिक्त निदेशक के रूप में प्रमोट किया गया था और ये नियुक्ति करीब 4 साल के लिए है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण केसों के जांच से जुडे जिसमें गोधरा कांड,अगस्ता वेस्टलैंड,रेलवे,चारा घोटाला बिहार,पुरुलिया कांड प्रमुख हैं।

बाहरहाल बात लालू से जुड़े मामले की ही करें तो लालू के रेलमंत्री रहने के दौरान गुजरात के सूरत के पास एक रेल हादसा हुआ था। लालू यादव बतौर केंद्रीय रेल मंत्री मुआयना करने पहुंचे। लालू को इस बात का अंदाजा नहीं था कि अस्थाना वहां पुलिस कमिश्नर थे।lalu-yadav, लालू यादवअचानक अस्थाना को देखकर लालू यादव बेचैन हो उठे। इसी बीच कुछ युवाओं ने लालू पर बर्फ के टुकड़े फेंके। बर्फ के पिघलने से सबूत तो बचता नहीं, इसीलिए लालू बेहद घबरा गए और घटनास्थल से करीब-करीब भाग खड़े हुए। दिल्ली पहुंच कर उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी हत्या कराना चाहते हैं।

यूपीए सरकार में लालू ने पूरी कोशिश की थी कि किसी भी तरह से वो चारा घोटाले में बरी हो जाएं लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया। कई साल का राजनीतिक वनवास काटने के बाद बिहार विधानसभा के पिछले चुनावों में लालू प्रसाद यादव का वक्त लौटा, लेकिन लगता है कि ऐसा ज्यादा दिन नहीं चलेगा। राकेश अस्थाना फिर से हाजिर हो गए हैं। केंद्र में मोदी सरकार है, चारा घोटाले की जांच अभी चल ही रही है और अस्थाना दिल्ली में सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक के बाद कार्यवाहक निदेशक के पद पर काबिज हो गए। पीएम मोदी से नजदीकियों की खबर की वजह से पूर्णकालिक निदेशक की नियुक्ति में कोई और आ भी गया तो सीबीआई में उनकी खासी धाक कम नहीं होने वाली।

सीबीआई के कार्यवाहक पद पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति ऐसे वक्त में हुई है जबकि इस एजेंसी को लेकर ‘पिंजरे का तोता’ जैसी बातें कही जा चुकी हैं। सीबीआई निदेशक पद एक महत्वपूर्ण पद है। कई राजनेताओं की जांच इस एजेंसी के दायरे में है इनमें मुलायम सिंह यादव, मायावती, ममता बनर्जी और लालू यादव भी हैं। बहरहाल चिंतित सभी होंगे लेकिन इन नेताओं में सबसे ज्यादा परेशान लालू ही होंगे, क्योंकि उनके साथ उनका पुराना अनुभव भी है जो कि अच्छा नहीं रहा है। राकेश अस्थाना एक बार फिर से बेताल की तरह से लालू के कंधे पर सवार हो गए हैं।