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क्या नोटबंदी की वजह से उत्तर प्रदेश में डूबेगी बीजेपी की लुटिया?

बाराबंकी। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से बीजेपी को इस बार खासी उम्मीदें हैं। समाजवादी पार्टी में चल रहे झगड़े की वजह से बीजेपी को अपना पलड़ा भारी पड़ता दिख रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में नोटबंदी का असर बीजेपी के लिए घातक हो सकता है। 2012 के चुनाव में बाराबंकी जिले में कुल 7 विधानसभा क्षेत्रों में से 6 पर एसपी ने जीत हासिल की थी। अगर लोगों की प्रतिक्रियाओं के अनुसार देखा जाए तो इसबार भी जिले में पांच सीटों पर एसपी की मजबूत दावेदारी है। हालांकि विधायकों के विकास कार्यों के नाम पर लोग मौन हो जाते हैं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को विकास के चेहरे के रूप में सामने रखते हैं। नोटबंदी के शुरुआती दिनों में यहां जनता का समर्थन देखने को मिला था, लेकिन अब लोग नोटबंदी को लेकर विपक्ष की तरह सवाल करते हैं और जिस तरह लोकसभा चुनाव में सीधे मोदी के पक्ष में खड़े दिखाई देते थे, उसके उलट पीएम मोदी को तमाम असुविधाओं के लिए दोषी ठहराते हैं।

नोटबंदी से नाखुश हैं किसान
नोटबंदी को लेकर किसानों में निराशा है। तमाम दिक्कतों के लिए लोग मोदी सरकार को दोषी ठहराते हैं और स्थानीय ग्रामीण बैंकों पर धांधली का आरोप लगाते हैं। एक किसान रामसनेही ने बताया, ‘हमें फसलों में खाद डालने तक के पैसे नहीं मिल पा रहे हैं। हम अपने ही पैसे निकालने के लिए आज भी कतार में खड़े होते हैं जहां बैंकों के बाहर तैनात पुलिसवाले हमें अपराधियों की तरह देखते हैं। बैंक के मैनेजर पीछे के रास्ते से नोट बड़े-बड़े लोगों को देते हैं और हमें खाली हाथ लौटना पड़ता है।’ एक दूसरे किसान खुन्नू ने बताया, ‘हमने पहले नोटबंदी का समर्थन किया था, क्योंकि कहा जाता था इससे कालाधन आएगा। कहां है कालाधन? सरकार ने किसानों को कोई फायदा नहीं पहुंचाया। बीज और खाद महंगे होते जा रहे हैं और हमारी फसलों की कीमत घटती जा रही है।’ एक अन्य किसान का कहना है कि सरकार ने जो ब्याज दरों में छूट दी है वह भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए नहीं है। वे होम लोन नहीं लेते हैं और किसान क्रेडट कार्ड पर लिए गए कर्ज की ब्याज दरों में कोई छूट नहीं दी गई है।

दूसरी तरफ शहर और कस्बों में नोटबंदी से लोग इतना असंतुष्ट नहीं दिखाई देते हैं। खाद की दुकान चलाने वाले अजय कुमार ने कहा, ‘अब स्थितियां सामान्य हो गई हैं। सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है और इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है।’ गांव में लोगों को उम्मीद थी कि नोटबंदी के बाद उनके कर्ज माफ कर दिए जाएंगे, लेकिन पीएम मोदी की लखनऊ रैली में नोटबंदी का जिक्र न होने से लोग खासे निराश दिखाई दिए। पीएम मोदी की रैली में शामिल होने वाले संतोष ने कहा, ‘हम रैली में इसीलिए गए थे कि नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री हमें कोई बड़ा तोहफा देंगे, लेकिन उन्होंने इसपर कोई बात ही नहीं की। सरकार ने हमें परेशान किया और इसका कोई फायदा नहीं निकला।’

अखिलेश के नाम पर हो रहा चुनाव प्रचार
बाराबंकी जिले में एसपी के उम्मीदवार अखिलेश के विकास कार्यों के नाम पर वोट मांग रहे हैं। दरअसल उनके पास अपने काम गिनाने के नाम पर बहुत कुछ नहीं है। दरियाबाद से मौजूदा विधायक और एसपी के उम्मीदवार राजीव कुमार सिंह ने कहा, ‘अखिलेश ने खूब विकास के काम किए हैं। मोदी ने केवल बड़े-बड़े लोगों का फायदा पहुंचाया है, जबकि समाजवादी सरकार ने किसानों के हित में काम किया। मैंने दो कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय खुलवाए।’ उन्होंने कहा कि इसबार फिर से एसपी सरकार के काम को देखते हुए जनता उन्हें जिताएगी। लोगों से विधायक के विकास कार्यों के बारे में पूछने पर वे कहते हैं कि उन्हें हैंडपंप दिया गया है। बता दें कि पिछले दो महीने में क्षेत्र में बड़ी संख्या में हैंडपंप लगाए गए हैं।

डायल-100 और 108 ऐंबुलेंस सेवा से खुश हैं लोग
20 अक्टूबर से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना डायल-100 की शुरुआत की। अब गांव-गांव में पुलिस की गाड़ियां दिनभर गश्त लगाती देखी जा सकती हैं। इन गाड़ियों के सायरन की आवाज ही लोगों को अखिलेश के विकास कार्यों को बताने के लिए काफी हैं। इसे लोग उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़े कदम के रूप में देखते हैं और इससे प्रभावित होकर एसपी के पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं। इसी तरह 108 ऐंबुलेंस सेवा से भी लोग खुश दिखाई देते हैं। अभी इस सेवा को शुरू हुए तीन महीने भी पूरे नहीं हुए हैं, लेकिन इसको लेकर लोगों में अखिलेश की विकास के चेहरे वाली छवि मजबूत हो गई है। हालांकि कुछ ही महीने पहले शुरू हुई ये सेवाएं कबतक इसी तरह चलेंगी इसके बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है।

वेतनमान से खुश हैं निजी स्कूलों के शिक्षक
अखिलेश सरकार ने निजी मान्यता प्राप्त शिक्षकों को 5,000 रुपये का वेतनमान देने का वादा किया था और इसके लिए बजट भी निकाला था। पिछले छह महीनों से शिक्षकों को वेतनमान का इंतजार था। पिछले एक महीने से कुछ विद्यालयों के शिक्षकों को वेतनमान मिलने लगा है। इसके बाद शिक्षकों का कहना है कि अगर उन्हें इस वेतनमान का फायदा लेना है तो एसपी को वोट देना होगा। हालांकि कहा नहीं जा सकता कि यह योजना कबतक चलेगी। इसी तरह लंबे इंतजार के बाद जिन शिक्षमित्रों को सहायक अध्यापक के तौर पर नियुक्त किया गया है, वे भी एसपी के समर्थन में खड़े दिखाई देते हैं।

जिले की कुल सात विधानसभा सीटों में 6 पर एसपी के उम्मीदवार मजबूत स्थिति में दिखाई देते हैं। रामनगर क्षेत्र से इसबार अखिलेश और मुलायम सिंह यादव ने अलग-अलग उम्मीदवारों के नाम दिए थे, हालांकि समझौते की स्थिति में यहां से अरविंद सिंह गोप को टिकट मिल सकता है। गोप यहां से मौजूदा विधायक भी हैं। रामनगर में मुलायम सिंह ने बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा का टिकट देने की बात की थी। राकेश वर्मा पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से दरियाबाद में चुनाव लड़े थे और हार गए थे। दरियाबाद में एसपी से मौजूदा विधायक राजीव कुमार सिंह हैं। अगर बीजेपी अपने संभावित उम्मीदवार विवेकानंद पांडे को टिकट देती है तो बीजेपी यहां से जीत सकती है। विवेकानंद पांडे 2012 में बीएसपी से चुनाव लड़े थे और राजीव कुमार सिंह को कड़ी टक्कर दी थी। अब वह बीजेपी से टिकट लेकर चुनाव लड़ना चाहते हैं।

हैदरगढ़ सीट से मौजूदा विधायक एसपी के राममगन रावत हैं। लोगों के अनुसार राममगन ने क्षेत्र में ज्यादा विकास कार्य नहीं किए हैं इसके बावजूद बीजेपी के मजबूत प्रत्याशी के अभाव में वह चुनाव जीत सकते हैं। बीएसपी ने यहां से कमला प्रसाद रावत को टिकट दिया है। यह एससी आरक्षित सीट है। कमला प्रसाद रावत पहले विधायक रह चुके हैं। रुदौली सीट से रामचंद्र यादव मौजूदा विधायक हैं। लोगों के अनुसार वह एक जमीनी नेता हैं और लोगों के यहां छोटे बड़े कार्यक्रमों में भी उनकी हिस्सेदारी रहती है। रुदौली यादव बहुल क्षेत्र है, इसलिए वह जीत के मजबूत दावेदार हैं। यहां से एसपी और बीएसपी ने मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं। वोट बंटने की स्थिति भी रामचंद्र के पक्ष में हो सकती है।

जैदपुर में रामगोपाल रावत और बाराबंकी में धरमराज एसपी से मौजूदा विधायक हैं। लखनऊ से जुड़ा होने की वजह से यहां एसपी की तरफ लोगों का झुकाव है। लखनऊ मेट्रो से भी लोग प्रभावित हैं और यहां के लोगों का कहना है कि एसपी की की जीत से ही बाराबंकी तक मेट्रो का रास्ता साफ हो सकता है। कुर्सी विधानसभा क्षेत्र भी लखनऊ से जुड़ा है और यहां से मौजूदा विधायक एसपी के फरीद महफूज किदवई है। मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने की वजह से एसपी अपनी सीट निकाल सकती है।

बीएसपी का कम होता प्रभाव
इसबार बाराबंकी जिले में बीएसपी का प्रभाव कम होता नजर आता है। हरिजन वोट एसपी और बीजेपी में शिफ्ट होता दिख रहा है, हालांकि जानकारों के अनुसार बीएसपी के फिक्स वोट कहीं नहीं जाने वाले हैं। बीएसपी की रैलियों में होने वाली हल्की-फुल्की भीड़ से जानकारों का कयास है कि यहां से इस बार बीएसपी के लिए किसी भी सीट पर जीत हासिल करना टेढ़ी खीर होगी।

एसपी की कलह का फायदा अखिलेश को
समाजवादी पार्टी में कलह का फायदा भी बीजेपी के मुकाबले अखिलेश को ही मिलता दिख रहा है। यहां लोगों का कहना है कि अखिलेश कानून व्यवस्था और विकास के लिए उपयुक्त हैं। जिले के एसपी के उम्मीदवार भी अखिलेश के नाम और कामों को आगे करके ही प्रचार कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस से गठबंधन के बाद इसका ज्यादा फायदा अखिलेश को नहीं मिलने वाला है, क्योंकि सीट के बंटवारे में जहां से कांग्रेस चुनाव लड़ेगी वहां जीत की उम्मीदें एसपी के मुकाबले कम हो जाएंगी।