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क्या थी संजय की हत्या में इंदिरा गांधी की भुमिका! और क्या थी संजय की मौत की कहानी!

नई दिल्ली। इंदिरा गांधी को भारतीय राजनीति की सबसे प्रभावशाली हस्ती के रूप में जाना जाता है। प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा ने मजबूती से सभी मुद्दों का पर अपने बेबाक फैसलों के कारण एक ही समय में वह लोगों के लिए खतरनाक और आदरणीय बन गयीं। इंदिरा गांधी का पूरा जीवन और उनके व्यक्तिगत कार्य विवादास्पद और झझोरने वाले हैं। हजारों गौरवांवित अनुभवों के पीछे इंदिरा गांधी का एक पक्ष था जो अशोभनीय और अभद्र था।

आज हम आपको पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी से जुड़ी कुछ जानी-अनजानी बातों से रूबरू करा रहे हैं। इसी कड़ी में हम आपको आज संजय गांधी की हत्या के बारे में बता रहे हैं।

एक अंग्रेजी अखबार ने विकिलीक्स के हवाले से खुलासा किया है कि 1975 की इमरजेंसी के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी की हत्या की तीन बार कोशिश हुई थी। मेनका गांधी से शादी या फिर अपनी मां इंदिरा गांधी से संबंध हो गांधी परिवार में संजय गांधी एक ऐसे शख्स थे, जो हमेशा विवादों में रहे। संजय गांधी इंदिरा गांधी के छोटे बेटे थे। उनका जन्म 14 दिसंबर 1946 को हुआ था। 23 जून 1980 में मात्र 33 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।

दिल्ली के सफदरजंग हवाई अड्डे पर एक उड़ान क्लब है। हाईस्कूल की परीक्षा तक पास किए बिना ही संजय गाँधी को उसकी सदस्यता तथा हवाई जहाज उड़ाना व सीखने कि छुट मिल गई। जहाज उड़ाने के नियमों को तोड़ते हुए वे अपनी मनमर्जी से कभी भी हेलीकॉप्टर उड़ाया करते थे और उसके साथ खेला करते थे।

इसी तरह 23 जून 1980 को विमान से उड़ान भरते समय संजय गाँधी का हेलीकॉप्टर अनियंत्रित हो गया और जमीन से टकरा गया और संजय गाँधी तथा एक अन्य व्यक्ति बुरी तरह क्षत-विक्षत होकर मौत के मुँह में चले गये। जब इस दुर्घटना का समाचार मिला तो पूरा देश स्तब्ध रह गया। कांग्रेस की पहली प्रतिक्रिया थी कि इसमें अमेरिका गुप्तचर संस्था सी.आई.ए. का हाथ है।

Sanjay Gandhi death

 इन्दिरा गाँधी स्वयं कार से दुर्घटना की खबर मिलते ही पुलिस से पहले वहां पहुंची और वहां से एक चाबी का गुच्छा और संजय गांधी की एक डायरी लेकर चली गई। जिससे सवाल उठते हैं कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया। अगर इस दुर्घटना की जांच होती तो यह बात सबके सामने आती कि संजय को हेलीकॉप्टर क्लब की सदस्यता और लाइसेंस किस आधार पर दिया गया। वे कब-कब क्लब जाते और कितनी देर तक हेलीकॉप्टर उड़ाया करते थे। लेकिन इस सब सवालों के जवाब तलाशने से पहले ही मामले को रफा-दफा कर दिया गया।

यह भी कहा जाता है कि संजय गांधी के दाह संस्कार के अगले दिन ही इंदिरा गांधी अपने ऑफिस में बैठी फाइलें देख रही थीं।    देखिए संजय गांधी की पर आधारित यह विशेष वीडियो –