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कैप्टन कुंडू के लिए पहले देश फिर परिवार, अब बहन ने पूछा एक सवाल- कौन देगा जवाब?

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पुंछ में शहीद कैप्टन कुंडू के परिवार ने देश और सरकार से एक सवाल पूछा है. ये सवाल भी जायज है. परिवार का कहना है कि कपिल की शहादत पर उन्हें गर्व है. कपिल कूंडू की बड़ी बहन सोनिया कुंडू ने कहा कि जब वो अपने आसपास कुछ चीजें देखती हैं तो एक पल के लिए मन में सवाल उठता है कि क्या छोटे भाई को आर्मी में भेजना परिवार का सही फैसला था?

सोनिया कुंडू ने कहा कि उनके भाई ने जिस दिन आर्मी ज्वाइन किया, उसी दिन उसने परिवार से कह दिया था, उसके लिए पहले देश, फिर बटालियन और उसके बाद परिवार है. सोनिया की मानें तो एक बार उन्होंने कपिल से पुछा कि तुम जो कर रहे हो, क्या वो सच में देश सेवा है? इस सवाल के जवाब में कपिल ने कहा था, ‘मेरा काम देश सेवा है और वो मरते दम तक करते रहेंगे, बाकी देशवासियों पर छोड़ देते हैं वो हमारे काम को किस तरह से लेते हैं ये उनका काम है.

आगे सोनिया ने कहा, ‘भाई को खोने का गम क्या होता है, ये मैं बताती हूं. कपिल मेरे से 9 साल छोटा था, उसे मैंने गोद में खिलाया, पाला. मैं उसे हरगिज नहीं खोना चाहती थी. लेकिन जब वो बातें करता था, तो उसके जज्बे को देखकर हम उस पर गर्व करते थे. अब हमारे पास कुछ नहीं बचा है. लेकिन मैं आज पूछना चाहती हूं कि क्या उसकी शहादत की कीमत जायज है’.

सोनिया कुंडू के सवाल से पैनल में बैठे लोगों की आंखें भर आईं. सोनिया ने कहा कि इससे पहले भी जब सीमा पर कोई जवान शहीद होता था तो उस दिन भी हम बिलख-बिलख कर रोते थे. ये आज की बात नहीं है. आज भले ही भाई खोया हूं तो 4 घंटे ज्यादा रो रहे हैं. लेकिन ये हम सालों से देखते आए हैं. पहले भी इस की घटनाएं होती आई हैं और किसी बहन ने अपना भाई खोया है.

शहीद कैप्टन की बहन आगे कहती हैं, ‘जब भी इस तरह की घाटी से खबरें आती थीं, तब हमारी नींद उड़ जाती थी. चाहे वो किसी भी परिवार के लोग थे, उनकी भी जान इसी तरह से गई, जिस तरह आज कपिल ने जवान गंवाई है. हमें पता है कि अब मेरा भाई कपिल कभी वापस नहीं आएगा. लेकिन सीमा पर इस तरह जवानों की शहादत पर सभी को सोचना चाहिए. आखिर जान तो एक जवान की जाती है.’

हमने अपनी आंखों से देखा कपिल की शहादत पर सबकी आंखे नम थीं. हमारी भावनाए आर्मी अच्छी तरह से समझती हैं, क्योंकि आर्मी से जुड़ा हर एक लोग किसी न किसी परिवार से हैं. शहादत को लेकर हमने आर्मी के हर अधिकारी से लेकर जवानों की आंखों में अपने साथी को खोने का दर्द देखा. लेकिन क्या सीमा पर शहादत ही आखिरी उपाय है. इस पर सभी को सोचना चाहिए.