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काला हिरण शिकार: सलमान दोषी, बरी हुए सैफ, तब्बू, सोनाली और नीलम

जोधपुर। बहुचर्चित काला हिरण शिकार मामले में फिल्म अभिनेता सलमान खान दोषी करार दिए गए हैं. इसके साथ अन्य सभी आरोपियों अभिनेता सैफ अली खान, अभिनेत्री नीलम, सोनाली, तब्बु और दुष्यंत सिंह को बरी कर दिया गया है. 28 मार्च को इस मामले में सीजेएम देवकुमार खत्री की कोर्ट में सुनवाई हुई थी. इसके बाद जज ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

इस मामले की सुनवाई के लिए बुधवार को फिल्म अभिनेता सलमान खान, सैफ अली खान, अभिनेत्री नीलम, सोनाली और तब्बु मुंबई से जोधपुर पहुंचे थे. सलमान जोधपुर के ताज पैलेस होटल के कमरा नंबर 11 में रुके हुए थे. बुधवार की रात सलमान सो नहीं सके. पूरी रात बेचैनी भरी गुजरी. वे परिवार के साथ स्विमिंग पुल के किनारे बैठे दिखे थे.

सितंबर-अक्टूबर 1998 में फिल्म हम साथ साथ हैं की शूटिंग के दौरान सलमान खान पर चार मामले दर्ज किए गए थे. पहला मामला भवाद गांव केस का है. यहां 27 सितंबर 1998 की रात को एक हिरण के शिकार का आरोप सलमान पर लगा. सीजेएम कोर्ट ने 17 फरवरी 2006 को सलमान को दोषी करार देते हुए 1 साल की सजा सुनाई.

हाईकोर्ट ने इस मामले में सलमान को बरी कर दिया. फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है. दूसरा मामला घोड़ा फार्म हाउस में 28 सितंबर 1998 की रात को 2 हिरणों के शिकार का आरोप सलमान पर लगा. सीजेएम कोर्ट ने 10 अप्रैल 2006 को उन्हें दोषी करार देते हुए 5 साल की सजा सुनाई. लेकिन सलमान हाईकोर्ट से बरी कर दिए गए.

इस मामले में भी राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. इतना ही नहीं तीसरा मामला यानी आर्म्स एक्ट में सलमान पहले ही बरी कर दिए गए हैं. आरोप था कि 22 सितंबर, 1998 को सलमान खान के कमरे से पुलिस ने एक रिवॉल्वर और राइफल बरामद की थी. चौथे और आखिरी काले हिरण मामले में जोधपुर कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया.

शूटिंग के दौरान शिकार का आरोप

बताते चलें कि 1998 में जोधपुर में अपनी फिल्म ‘हम साथ-साथ हैं’ की शूटिंग के दौरान सलमान खान पर काले हिरण का शिकार करने के आरोप लगे थे. इस केस में उनको गिरफ्तार भी किया गया था. सलमान खान को पांच दिनों तक जेल में रहना पड़ा था. 22 सितंबर, 1998 को उनके कमरे से पुलिस ने एक रिवॉल्वर और राइफल बरामद की थी.

सलमान के खिलाफ दर्ज कराया केस

वन अधिकारी ललित बोड़ा ने इस मामले में जोधपुर के लूणी पुलिस थाने में 15 अक्टूबर, 1998 को सलमान खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी. पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के मुताबिक, सलमान खान ने 1-2 अक्टूबर, 1998 की दरमियानी रात कांकाणी गांव की सरहद पर दो काले हिरणों का शिकार किया था.

28 मार्च को पूरी हुई अंतिम बहस

अभियोजन पक्ष की ओर से 51 गवाह की सूची कोर्ट में पेश की गई थी, जिसमें से 28 गवाहों के बयान करवाए गए. बचाव पक्ष की ओर से भी मामले में बचाव के दस्तावेज कोर्ट में पेश किए गए. इसके बाद सभी मुल्जिमों के बयान लेने के बाद दोनों पक्षों की ओर से अंतिम बहस गत 28 मार्च को पूरी कर ली गई थी.

सभी को पेश होने का दिया था आदेश

सीजेएम ग्रामीण देवकुमार खत्री की कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाने के लिए आज का दिन मुकर्रर करते हुए सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश होने की हिदायत दी थी. इस मामले मे सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए लोक अभियोजन अधिकारी भवानीसिंह भाटी ने पैरवी करते हुए कोर्ट के समक्ष सभी गवाह, दस्तावेज और आर्टिकल पेश किया था.

क्या हुआ 1-2 अक्टूबर 1998 की रात

चश्मदीदों के मुताबिक, 1 अक्टूबर 1998 को जोधपुर के कांकाणी गांव में रात के करीब 2 बजे खेत के आसपास अंधेरे में हेडलाइट की रोशनी चमकी. सफेद रंग की जिप्सी एक ही इलाके में लगातार घुम रही थी. गांव के लोगों को समझते देर नहीं लगी कि यहां शिकारी आ धमके हैं. काले हिरण के शिकार की कोशिश में हैं.

लाठी डंडों के साथ दौड़े थे गांव के लोग

गोली की आवाज जब सुनाई दी तो शक यकीन में बदल गया. आधी रात को गोली चलने की आवाज आई, तो गांव वाले जग गए और लाठी डंडों के साथ उस तरफ दौड़ पड़े जिधर से आवाज आई. वहां पहुंचे तो देखा दो काले हिरणों का शिकार किया गया है. इसके लिए जिप्सी में सवार होकर कुछ आधुनिक से दिखने वाले नौजवान लड़के लड़किया आए हैं.

पीछा किया तो जिप्सी लेकर भागे शिकारी

ग्रामीणों ने पीछा किया तो तमाम शिकारी जिप्सी लेकर भाग खड़े हुए. हालांकि चश्मदीद बताते हैं कि भागते जिप्सी में बैठे सलमान को लोगों ने तुरंत पहचान लिया. लेकिन अदालती सुनवाई के दौरान छोगाराम अपने बयान से पलट गया. बल्कि मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाकर कोर्ट में अर्जी लगा दी, कि उसे कुछ याद नहीं रहता लिहाजा उसे गवाही से अलग रखा जाए.