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कश्मीर: मानव ढाल बनाया गया फारूक डार 1 साल बाद अब किस हाल में है?

श्रीनगर। एक साल पहले तक कपड़ों पर जादू बिखेरने वाले कढ़ाई कारीगर और अब पड़ोसियों की नजर में पत्थरबाजों के खिलाफ सेना की ‘मानव ढाल’ के रूप में ‘पहचाने’ जाने वाला फारूक अहमद डार टूट चुका है और अपने जीवन को एक बार फिर से पटरी पर लाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है.

दुनियाभर में सुर्खियों में रही तस्वीर

ग्रामीणों द्वारा सरकारी एजेंट करार दिये जाने के बाद बहिष्कृत और एक अदद नौकरी की तलाश कर रहा फारूक अहमद डारअनिद्रा और अवसाद से ग्रस्त है. साथ ही 28 वर्षीय युवक का कहना है कि करीब 12 महीने पहले उसका जीवन खत्म हो गया. पिछले साल नौ अप्रैल को मेजर लीतुल गोगोई के नेतृत्व वाली टीम ने मध्य कश्मीर के बडगाम जिले में भारी पत्थरबाजी से बचने के लिए सेना की एक जीप के बोनेट पर डार को बांध दिया था. यह तस्वीर दुनियाभर में सुर्खियों में रही थी.

पुलिस के मुताबिक पत्थरबाजी में शामिल नहीं था डार

श्रीनगर लोकसभा संसदीय क्षेत्र में चुनाव का दिन था और डार ने बताया कि अलगाववादी संगठनों के चुनाव बहिष्कार के आह्वान के विपरीत वह वोट डालने जा रहा था. उस दिन पुलिस की गोलीबारी में आठ लोग मारे गए थे. केंद्रीय एजेंसियों और स्थानीय पुलिस ने जांच में उस दिन की घटना के संबंध में डार की बात को सच माना था और उन्होंने उनके पत्थरबाज होने के सेना के दावों से इंकार किया था.

जीप के बोनट पर रस्सी से बांधा गया

जांच में पाया गया कि वह मतदान के बाद अपनी बहन के यहां जा रहा था. सेना ने उसे पकड़ लिया, बेरहमी से उसकी पिटाई कर दी और जीप के बोनेट पर रस्सी से बांध दिया. डार को करीब 28 गांवों में घुमाया गया, डार की आंखों में आंसू छलक आए. फारूक अहमद डार ने कहा, ‘मेरी क्या गलती थी? मैं मतदान केंद्र पर वोट डालने जा रहा था.’

‘छीन लिया गया जीने का मौलिक अधिकार’

डार ने एक साक्षात्कार में कहा था, ‘मैं सो नहीं पा रहा हूं. यहां तक कि दवा भी प्रभावी नहीं हो पा रही. कोई भी मुझे काम नहीं दे रहा है. सरकार चुप है और न्यायपालिका अपनी गति से चल रही है.’ घटना के बाद अपने जीवन के बारे में डार ने कहा कि बडगाम जिले में उनके गांव में उन्हें सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा. चुनावी प्रक्रिया में उनके शामिल होने के बारे में पता चलने पर लोगों ने उससे दूरी बना ली. डार ने कहा, ‘उस दिन अपने घर से निकलने पर मैं पछता रहा हूं.’ पांच भाई बहनों में से एक डार ने कहा कि इस घटना ने जीने का उनका मौलिक अधिकार छीन लिया है.