Breaking News

‘कर्जमाफी से किसानों की आत्महत्याएं रुक जाएंगी’ यह गलतफहमी से सिवा कुछ नहीं !

नई दिल्ली।  बीते कुछ समय में देश के कई राज्यों महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्यों में किसानों के आंदोलन तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। ज्यादातर किसानों की मांग है कि उनका कर्ज माफ़ कर दिया जाए। यदि किसानों की ऋणमाफी के आंकड़ों को जोड़ा जाये तो यह यह राशि लगभग 4910 करोड़ डॉलर पहुँचती है।

इस राशि की तुलना यदि साल 2017 में सरकार के ग्रामीण सड़क बजट से किया जाये तो यह 16 गुना ज्यादा है। इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के अनुसार ऐसी स्थिति में देश के सामने 3.1 लाख करोड़ लगभग 49.1 बिलियन डॉलर का कर्ज माफ करने का सवाल खड़ा हो गया है। यह राशि भारत के वर्ष 2016-17 के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.6 फीसदी है।

किसानों की कर्जमाफी की यह राशि वर्ष 2017 के ग्रामीण सड़कों के बजट का 16 गुना अधिक है या इससे 443,000 गोदामों का भुगतान किया जा सकता है या इस राशि से पिछले 60 वर्षों की उपलब्धियों की तुलना में 55 फीसदी अधिक भारत की सिंचाई क्षमता में वृद्धि किया जा सकता है।

अब तक इतना कर्ज किया माफ़ 

आंकड़ों के अनुसार पिछले नौ साल से मार्च 2017 तक, केंद्रीय और राज्य सरकारों ने 4.86 करोड़ किसानों के 88,988 करोड़ रुपए (13.9 अरब डॉलर) का ऋण माफ किया है। यूपीए सरकार ने सिर्फ 2008 में देशभर में 52,000 करोड़ रुपए (प्रति डॉलर 45.99 रुपए पर 11.3 अरब डॉलर) ऋण माफी की घोषणा की थी।

पिछले ऋण माफी से नहीं रुक सकी थी कृषि आत्महत्याएं: एनसीआरबी डेटा

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2007 में 18 राज्यों के 3 करोड़ किसानों के लिए यूपीए सरकार की ओर से ऋण माफी से पहले 16,379 भारतीय किसानों ने आत्महत्या की थी। इन 18 राज्यों में आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल शामिल हैं।

इनमें से एक चौथाई आत्महत्याएं (4,238) महाराष्ट्र में दर्ज की गई थीं। वर्ष 2009 में  कर्ज-छूट की घोषणा के बाद भी राज्य सरकार ने 6208 करोड़ रुपये के अतिरिक्त छूट का वादा किया था। कहा गया कि इससे भारत के सबसे समृद्ध राज्य में किसानों की आत्महत्याओं में गिरावट आई थी। लेकिन वर्ष 2010 में आत्महत्या के मामलों में फिर वृद्धि हुई। वृद्धि के आंकड़े 6.2 फीसदी दर्ज हुए।

वर्ष 2015 तक, केंद्र सरकार की जमानत राशि के सात साल बाद, महाराष्ट्र में 4,291 आत्महत्याएं दर्ज की गईं, जो कि अब तक सबसे अधिक है। नवीनतम उपलब्ध एनसीआरबी आंकड़ों के मुताबिक, ये आंकड़े देश भर में होने वाले ऐसी मौतों का 34 फीसदी है।

तेलंगाना ने इसी तरह की प्रवृत्ति की सूचना दी है। वर्ष 2014 में जब तेलंगाना ने 0.36 करोड़ किसानों का 17,000 करोड़ रुपए का ऋण माफ किया था तो नवगठित राज्य में 1,347 किसानों की आत्महत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई थी। वर्ष 2015 तक, 1,400 आत्महत्याओं की सूचना मिली थी।