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कन्हैया के खिलाफ हटाना पड़ सकता है देशद्रोह का आरोप

kanhaiyaनई दिल्ली। जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी को लेकर कड़ी निंदा का सामना कर रही दिल्ली पुलिस को भारत विरोधी नारे लगाने से जुड़ा ‘मजबूत प्रमाण’ न होने की वजह से कुमार के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का आरोप हटाना पड़ सकता है।

 दिल्ली पुलिस ने होम मिनिस्ट्री को भेजे एक पत्र में बताया है कि उसे मिली विडियो फुटेज की ऑडियो क्वॉलिटी खराब है और उसने इसके बारे में फोरेंसिक राय मांगी है। पुलिस कन्हैया के वॉइस सैंपल का मिलान फुटेज में आवाजों से कर रही है और इसके लिए फोरेंसिक नतीजे का इंतजार किया जा रहा है।

पुलिस ने मिनिस्ट्री को यह भी बताया है कि उसने समाचार चैनलों से नौ फरवरी को जेएनयू कैम्पस में हुए आयोजन की रिकॉर्डिंग मांगी है। दिल्ली पुलिस के कमिश्नर बी. एस. बस्सी ने बताया, ‘अगर कुमार जमानत के लिए आवेदन करता है तो पुलिस उसका विरोध नहीं करेगी। मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि एक युवा व्यक्ति को शायद जमानत दी जाएगी।’

बस्सी ने इससे पहले दावा किया था कि उनके पास इस बात का सबूत है कि कुमार देश विरोधी नारे लगाने में शामिल थे। उच्च सरकारी सूत्रों ने बताया कि अगर दिल्ली पुलिस को राष्ट्रद्रोह साबित करने वाला सबूत नहीं मिलता तो चार्जशीट दाखिल करने के समय आरोपों को कम किया जा सकता है।

होम मिनिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘दिल्ली पुलिस ने हमें जानकारी दी है कि उसने अभी तक जेएनयू में हुए आयोजन की केवल एक विडियो फुटेज की जांच की है और उसमें ऑडियो साफ नहीं है।’ उन्होंने कहा कि अगर पुलिस को सबूत नहीं मिलता तो आरोपों को हल्का करना पड़ेगा।

मिनिस्ट्री ने उस घटना का भी संज्ञान लिया है, जिसमें बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट में वकीलों के एक गुट ने कुमार पर हमला किया था। होम सेक्रटरी राजीव महर्षि ने कहा, ‘मैंने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर से बात की है और उनसे बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट में हुई घटना पर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है।’ हालांकि, बस्सी ने इस बात से इनकार किया है कि कुमार की पिटाई की गई थी। उन्होंने कहा कि कोर्ट का कमरा भरा होने की वजह से कुमार के साथ महज ‘धक्का-मुक्की’ हुई थी।

बस्सी ने बताया कि कुमार ने एक बयान जारी कर रहा है कि वह देश के संविधान में विश्वास रखता है और उसने राष्ट्र-विरोधी नारे नहीं लगाए। बस्सी ने कहा कि इस बयान को जारी करने का मकसद जेएनयू के अन्य छात्रों को इस तरह की गतिविधियों में शामिल होने से रोकना और यह बताना है कि यह सही रास्ता नहीं है।