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एसपी-कांग्रेस गठबंधन मायावती के दलित वोटों में भी लगा सकता है सेंध

लखनऊ। यूपी चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती की चिंता सिर्फ मुस्लिम वोटों के बंटवारे की ही नहीं है, बल्कि राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मायावती से साथ मजबूती से खड़े रहने वाले दलित वोट बैंक में भी यह गठबंधन सेंध लगा सकता है। कम से कम उन आरक्षित विधानसभा सीटों पर तो ऐसा जरूर हो सकता है जहां पिछले चुनावों में बीएसपी का प्रदर्शन बेहतर रहा है।

मायावती के दलित वोट बैंक में सेंध लगने की शुरुआत यूपी चुनाव के पहले चरण से ही हो सकती है। पहले चरण में एसपी-कांग्रेस गठबंधन के तहत 11 आरक्षित सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार मैदान में हैं। 2012 के चुनाव में इन 11 सीटों में से बीएसपी ने 5, कांग्रेस ने 2, उस चुनाव में कांग्रेस की सहयोगी रही आरएलडी ने 3, जबकि एसपी ने सिर्फ एक सीट जीती थी।

हालांकि इस बार के चुनाव में आरएलडी गठबंधन का हिस्सा नहीं है। ऐसे में अगर एसपी अपने वोट कांग्रेस को ट्रांसफर करवाने में कामयाब रहती है तो पार्टी की संभावनाएं बढ़ सकती हैं क्योंकि पिछले कई सालों से दलित बाहुल्य सीटों पर कांग्रेस ने अपना वोट शेयर बरकरार रखा है। उदाहरण के लिए, सहारनपुर जिले की रामपुर मनिहारन सीट को देखा जाए तो यहां से बीएसपी प्रत्याशी रवींद्र मोहलू ने 2012 में कांग्रेस प्रत्याशी विनोद तेजियान को हराया था। एसपी प्रत्याशी विश्वदयाल छोटन तीसरे नंबर पर रहे थे।

मोहलू को जहां 39.53% वोट मिले थे, वहीं तेजियान और छोटन को क्रमश: 25.92% और 24.50% वोट हासिल हुए थे। ऐसे में, अगर इस बार के चुनाव में एसपी के वोट कांग्रेस को ट्रांसफर हो जाते हैं, तो कांग्रेस का प्रत्याशी बीएसपी का खेल बिगाड़ सकता है। दिलचस्प बात यह है कि विश्वदयाल छोटन इस बार कांग्रेस की ओर से ही चुनाव मैदान में हैं।

राजनीति के जानकार एसआर दारापुरी ने कहते हैं, ‘इतिहास बताता है कि दलित कांग्रेस के ही परंपरागत वोटर रहे हैं, पर प्रदेश में कांशीराम और बीएसपी के उभार के बाद दलितों की पसंद बदल गई।’ उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस एसपी की मदद से इन सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रहती है, तो मायावती के वोट बैंक में सेंध लगना तय है।

मायावती भी इस गणित को अच्छे से समझ रही हैं। वह बहुत जल्द प्रदेश में धुआंधार प्रचार करने वाली हैं। मायावती अगले महीने प्रदेशभर में 50 से ज्यादा रैलियों को संबोधित करने वाली हैं। एक फरवरी को मेरठ और अलीगढ़ में चुनावी सभा के साथ मायावती अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगी। बता दें कि पश्चिमी यूपी के इन दो जिलों में पहले चरण के तहत 11 फरवरी को मतदान होना है। उनका चुनाव प्रचार 4 मार्च को पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रैली के साथ खत्म होगा। हालांकि मायावती अपने अपने गृह जिले गौतमबुद्धनगर में कोई रैली नहीं करेंगी जहां उनका पैतृक गांव बादलपुर स्थित है।