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एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत का समर्थन करेगा चीन? विदेश सचिव ने किया बीजिंग का अघोषित दौरा

20jaishankarwww.puriduniya.com नयी दिल्ली। विदेश सचिव एस जयशंकर ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी के प्रति समर्थन जुटाने के लिए 16-17 जून को बीजिंग का अघोषित दौरा किया। चीन भारत को इस समूह की सदस्यता दिए जाने का विरोध कर रहा है। जयशंकर का यह दौरा परमाणु व्यापार ब्लॉक से जुड़े 48 देशों की समग्र बैठक से एक सप्ताह पहले हुआ है। सोल में 24 जून को होने वाली इस बैठक में भारत की सदस्यता पर चर्चा किए जाने की संभावना है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने आज कहा, ‘हां, मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि विदेश सचिव ने 16-17 जून को अपने चीनी समकक्ष के साथ द्विपक्षीय विमर्श के लिए बीजिंग की यात्रा की। भारत की एनएसजी सदस्यता समेत सभी बड़े मुद्दों पर चर्चा की गई।’ चीन इस प्रतिष्ठित क्लब की सदस्यता भारत को दिए जाने का कड़ा विरोध कर रहा है। उसकी दलील है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

इस सप्ताह की शुरुआत में चीन के आधिकारिक मीडिया ने कहा था कि भारत को एनएसजी की सदस्यता मिलने से चीन के राष्ट्रीय हित ‘खतरे में पड़’ जाएंगे और साथ ही साथ यह पाकिस्तान की एक ‘दुखती रग’ को भी छेड़ देगा। चीनी विदेश मंत्रालय ने एक सप्ताह पहले ही एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले देशों को शामिल किए जाने के मुद्दे पर एनएसजी के सदस्यों के ‘अब भी बंटे होने’ की बात कहते हुए इसपर ‘पूर्ण चर्चा’ का आह्वान किया।

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भारत एनएसजी की सदस्यता के लिए इस समूह के सदस्य देशों से समर्थन मांग रहा है। इस ब्लॉक के सदस्यों को परमाणु प्रौद्योगिकी के व्यापार और निर्यात की अनुमति होती है। अमेरिका ने भारत का समर्थन किया है और एनएसजी के कई सदस्यों से कहा है कि वे नयी दिल्ली की दावेदारी का समर्थन करें। ऐसा माना जाता है कि तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, आयरलैंड और न्यूजीलैंड एनएसजी में भारत के प्रवेश के पक्ष में नहीं हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया पांच देशों की यात्रा के दौरान भारत एनएसजी के सदस्यों स्विट्जरलैंड और मेक्सिको का समर्थन जुटाने में सफल रहा। मेक्सिको और स्विट्जरलैंड को परमाणु प्रसार से जुड़ी गंभीर चिंताएं रखने वाले देशों के रूप में जाना जाता रहा है। ये दोनों ऐसे देश थे, जो एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले देशों के एनएसजी में शामिल होने के खिलाफ रहे हैं।

एनएसजी सर्वसम्मति के सिद्धांत के तहत काम करता है और भारत के खिलाफ किसी एक भी देश का वोट उसकी दावेदारी को हिला सकता है। परमाणु प्रौद्योगिकी के वैश्विक व्यापार का नियमन करने वाली संस्था एनएसजी तक भारत की पहुंच भारत के घरेलू परमाणु उर्जा कार्यक्रम के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार के दरवाजे खोल सकती है। भारत पिछले कई साल से इस ब्लॉक की सदस्यता के लिए प्रचार कर रहा है। 12 मई को उसने औपचारिक तौर पर आवेदन दाखिल किया।

एनएसजी ने वर्ष 2008 में भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी तक पहुंच के लिए एक विशेष छूट दी थी। इस क्रम में चीन को भारत-अमेरिका के परमाणु समझौते के आधार पर न चाहते हुए भी भारत का समर्थन करना पड़ा था।