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ऊना में दलितों की पिटाई के पीछे कांग्रेस की साज़िश?

FotorCreated25गुजरात के ऊना में दलितों की पिटाई का सच सामने आने लगा है। पीड़ित दलित परिवार के मुखिया बालू सरवैया ने कहा है कि हमले के पीछे गांव के ही सरपंच का हाथ है। प्रफुल कोराट नाम का ये सरपंच ऊना के कांग्रेसी विधायक वंश पंजाभाई भीमभाई का करीबी बताया जा रहा है। जिन लोगों को गोरक्षा समिति के सदस्य बताया जा रहा है वो दरअसल इसी सरपंच के लोग थे, जिन्हें उसने बाहर से बुलाया था। बालू सरवैया ने प्रफुल कोराट के अलावा नागजी अहीर नाम के एक शख्स का भी नाम लिया है।

सरपंच से पहले ही हुआ था विवाद

बालू सरवैया ने बताया है कि सरपंच ने कुछ दिन पहले उससे कहा था कि वो मरे हुए जानवरों की चमड़ी उतारने का अपना काम बंद कर दे। लेकिन बालू सरवैया और उसके परिवार ने यह कहते हुए इससे मना कर दिया कि ये उनका खानदानी पेशा है और उनकी रोजी-रोटी इसी से आती है। दरअसल सरपंच को लगता था कि जानवरों की खाल उतारने से गांव में गंदगी रहती है, इसलिए वो इस काम को बंद करवाना चाहता था। झगड़े की एक और वजह भी थी। बालू का परिवार एक गौचर जमीन के टुकड़े (खाली जमीन, जो जानवरों को घास चराने के काम आती है) पर खेती करता था। सरपंच की नाराजगी की यह भी एक वजह थी।

कुछ दिन पहले सरपंच ने धमकी दी थी

बालू सरैया के मुताबिक सरपंच ने कुछ दिन पहले उसे धमाते हुए कहा था कि अगर मैंने जानवरों का चमड़ा उतारने का काम बंद नहीं किया तो वो एक दिन मरी हुई “गाय को जिंदा कर देगा।” बालू तब इस धमकी का मतलब समझ नहीं पाया था। 11 जुलाई को उसके परिवार को आरोपियों ने यही कहकर उसके परिवार को पीटा था कि वो जिंदा गाय को मारकर उसकी खाल उतार रहे हैं। सरपंच को पता था कि अगर वो सीधे तौर पर झगड़े में शामिल हुआ तो दलित उत्पीड़न के केस में फंस जाएगा, लिहाजा उसने गोरक्षा समिति के हाथों पिटवाने की कहानी रची। इस कथित गोरक्षा समिति के सारे लोग उसी के जुटाए हुए थे। पूरे देश से लोग आ-आ कर बालू सरवैया और उसके परिवार के घायल लोगों का हालचाल पूछ चुके हैं लेकिन अब तक मोटा समढियाला गांव के सरपंच ने एक बार भी इस परिवार से बात नहीं की है।

दलितों की पिटाई में कांग्रेसी हाथ के सुराग!

गुजरात का ये इलाका कांग्रेस का गढ़ रहा है। यहां पर कांग्रेस के ही विधायक हैं। सारे पीड़ित लड़कों को गांव से उठाकर ऊना कस्बे के पुलिस थाने तक ले जाने का काम भी जिन गाड़ियों में किया गया था वो दमन से मंगाई गई थीं। जो कि यहां से 700 किलोमीटर की दूरी पर है। मारपीट का वीडियो मोबाइल फोन पर बनाया गया था। यह वीडियो किसी गुजराती चैनल पर नहीं, बल्कि पहले एक तेलुगु टीवी चैनल ने दिखाया। सवाल यह है कि तेलुगु चैनल को यह वीडियो कैसे मिला? जिन लोगों को मारपीट के लिए बुलाया गया था उन्हें ऊना में कोई नहीं पहचानता। सिर्फ एक गोस्वामी नाम का शख्स है, जो इस क्षेत्र का है। गोस्वामी कांग्रेस के विधायक का करीबी माना जाता है। इसके अलावा आरोपियों में एक मुसलमान भी है।