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उजागर होने लगा अखिलेश सरकार के काम का सच

राजेश श्रीवास्तव

अभी विधानसभा चुनाव के बाद नयी सरकार के गठन को दो सप्ताह भी नहीं हुए हैं कि काम बोलता है का नारा देने वाली बीती अखिलेश सरकार के भ्रष्टाचार का सच उजागर होने लगा है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी सरकार का नारा दिया था कि काम बोलता है। अब जब चुनाव परिणाम सामने आ गये हैं और पिछली सरकार की जमीन ही खिसक गयी है तो यह तो सामने आ ही चुका है कि काम कितना बोला। लेकिन दिलचस्प यह भी है कि जो थोड़ा बहुत काम किया भी गया वह भी नियमों को ताक पर रखकर।

जिस गोमती रिवर फ्रंट की खूबसूरती का बखान कर अखिलेश यादव ने बार-बार सुर्खियां बटोरी थी। उसका डीपीआर तक नहीं मंजूर कराया गया । यही नहीं किस तरह गोमती नदी का पानी बांध कर रखा गया। उस सड़े और बदबूदार पानी से रंग-बिरंगे फव्वारे चलाये गये। अब जब योगी सरकार ऐक्शन में है तो उसने अधिकारियों से इस पूरे ख्ोल की रिपोर्ट 45 दिन में तलब की है। दिलचस्प यह भी है कि 95 फीसदी से ज्यादा की योजना की लागत की धनराशि खर्च हो चुकी है और काम की गति यह है कि अभी 6० फीसद काम भी पूरा नहीं हो सका है।

इस परियोजना के लिए 1513 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गयी थी। जिसमें से 1435 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इससे साफ है कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना में पैसे की खूब बंदरबांट हुई है। केवल यही क्यों अखिलेश सरकार के सबसे कद्दावर मंत्री आजम खां के रामपुर स्थित विश्वविद्यालय में 5०० करोड़ के मामले की भी जांच की जा रही है। अखिलेश सरकार के कामकाज की अभी कई पर्तें खुलने को बाकी हैं। अभी तो बिजली विभाग का बहुत बड़ा घोटाला उजागर होने को बाकी है। योगी सरकार जैसे-जैसे एक्शन में आयेगी वैसे-वैसे अखिलेश सरकार की करतूतें सबके सामने आयेंगी।

किस तरह महंगी दरों पर बिजली की खरीद की गयी। अगर ठीक से जांच हो गयी तो शायद यह अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आयेगा। अखिलेश यादव पूरे पांच साल तक चाटुकारों से घिरे रहे। अपनी जवानी कुर्बान करने वाले पांच-छह चंद साथियों के साथ उन्होंने खूब ख्ोल किया। जिस तरह उनके उन साथियों का कोई राजनीतिक वजूद नहीं था और सियासी ताकत सैकड़ों-हजारों जुटाने की नहीं थी लेकिन वह पांच साल तक मलाई काटते रहे। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह का दर्द अब सरकार जाने के बाद नही उजागर हुआ है। वह तो सरकार के गठन के एक महीने बाद से ही अपने बेटे को सियासी बाजीगरी सिखाने के लिए उलाहना देने लगे थ्ो।

यही नहीं, उन्होंने अपने मुख्यमंत्री बेटे को कई बार या यूं कहंे कि लगभग हर बार मंच से फटकारा लेकिन अखिलेश पर कोई असर नहीं हुआ। वह उसी तरह अपने चंद साथियों के बीच घिरे रहे और अपने उस तजुर्बेकार पिता मुलायम सिंह की नसीहत पर अमल नहीं किया जिसके सियासी अनुभव का पूरा देश तारीफ करता है। आखिरकार मुलायम सिंह को अब कहना ही पड़ा कि जो अपने बाप का नहीं हुआ वह जनता का क्या होगा। मुलायम सिंह के यही बड़े-बड़े बयान जनता ने समझ लिये लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को समझ नहीं आये।

वैसे तो दागियों से किनारा करने के नाम पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने चाचा तक से मुंह मोड़ लिया लेकिन चुनाव के अंतिम दिन और परिणाम आने तक वह दागी और दुराचार के आरोपी गायत्री प्रजापति ेसे पीछा नहीं छुड़ा पाये और चुनाव के दिनों में दागी ने भी खूब उनकी फजीहत करायी। परिणाम सबके सामने हैं। अब देखना यह है कि आगे आने वाले दिन में कामों का कौन-कौन सा सच सामने आयेगा।