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इन छोटे गांवों की महिलाओं ने पाई बड़ी सफलता, ओबामा ने भी की तारीफ

pd logनई दिल्‍ली। इंटरनेशनल वूमेन्‍स डे के मौके पर दुनिया भर में सफल महिलाओं की चर्चा आम है। लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे ग्रामीण इलाकों की महिलाओं की सफलता की कहानी बता रहे हैं, जिन्‍होंने अपनी मेहनत और कारोबारी जज्‍बे से न सिर्फ अपनी, बल्कि पूरे इलाके की तस्वीर बदल दी। ये महिलाएं दूसरी महिलाओं को भी बढ़ने में मदद कर रही हैं। अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा भी इन महिलाओं की तारीफ कर चुके हैं।
ओबामा की तारीफ पा चुकी हैं नीलसंद्रा गांव की महिलाएं
– बेंगलूरू से 60 किलोमीटर दूर नीलसंद्रा गांव की महिलाओं के हुनर का पता अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को भी है।
– दरअसल गांव की महिलाएं लकड़ी के पारंपरिक खिलौने बनाती हैं।
– बराक ओबामा की पहली भारत यात्रा के दौरान उन्हे इस गांव की महिलाओं की ओर से बनाए गए खिलौने भेंट किए गए थे।
– इन खिलौनों की ओबामा ने काफी तरीफ की थी।
– महिलाओं की इस कोशिश की वजह से उन्होंने इस गांव में जाने की इच्छा भी जताई थी।
– अपने इसी हुनर की वजह से उनकी आय पिछले कुछ सालों में पांच गुना बढ़ चुकी है।
रोटी बनाकर बेहतर की अपना जिंदगी
– पुणे से 30 किलोमीटर दूर निगोजे गांव की महिलाओं ने आस-पास की ग्रोथ का सही वक्त पर फायदा उठाया।
– यह गांव चाकन इंडस्ट्रियल एरिया के करीब था।
– यहां फॉक्सवैगन, ह्युंडई, मर्सडीज, महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी बड़ी कंपनियों की यूनिट्स हैं।
– गांव की कुछ महिलाओं ने नोट किया कि इन कंपनियों में कैंटीन के कॉन्ट्रैक्टर रोटी, अचार और पापड़ जैसे आइटम बाहर से मंगाते हैं।
– इन महिलाओं ने इसे अवसर की तरह लिया और महिलाओं के लिए काम कर रही संस्था तनिष्का फाउंडेशन की मदद से रोटी, पापड़ सप्लाई करने के लिए यूनिट बना डाली।
– 1300 रोटी प्रति दिन के ऑर्डर से शुरुआत करने वाली ये यूनिट फिलहाल इलाके की कई महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। इससे इन महिलाओं की जिंदगी काफी बेहतर हो गई है।
इस गांव की अनपढ़ महिलाएं भी हैं सोलर इंजीनियर
– जयपुर से 100 किलोमीटर दूर किशनगढ़ के तिलोनिया गांव की महिलाएं दुनिया भर के गांवों का अंधेरा दूर कर रही हैं।
– दरअसल एक सामाजिक संस्था की पहल के बाद इस गांव की महिलाओं ने सौर ऊर्जा की तकनीक सीखने की शुरुआत की।
– काम सीखने के बाद इन महिलाओं की ओर से बनाए गए सौर उपकरण आस-पास के गांवों में बिकने लगे।
– यहां तक कि अब ये महिलाएं देश और विदेशों से आई महिलाओं को सौर उपकरण बनाने की ट्रेनिंग भी देती हैं।
– इस गांव की महिलाओं के बने उपकरण अब तक 100 से ज्यादा अधंरे में डूबे गांवों को रोशनी दे चुके हैं।
– गांव की महिलाएं घर के गुजारे लायक पैसा भी कमा रही हैं। महिलाओं की आमदनी करीब 8000 रुपए महीने तक है।
रेशम के सहारे गरीबी दूर करने की कोशिश
– पूर्वी बिहार के बांका जिले में स्थित आदिवासी इलाकों में गरीबी दूर करने का जिम्मा महिलाओं ने उठाया है।
– ये महिलाएं रेशम के कीड़े पालती हैं और उन्हें रेशम कारोबारियों को बेचती हैं।
– इलाके के एक एनजीओ प्रदान ने इलाके की महिलाओं को रेशम के कीड़ों को पालने और बेचने से जुड़ी ट्रेनिंग दी है।
– गांव की एक महिला मुनिया मुर्मू के मुताबिक, रेशम के कोकून की मदद से तीन महीने में वो 50 हजार रुपए तक कमा लेती हैं।
– यह उनके लिए बहुत बड़ी रकम है।
– इस पूरे इलाके में रेशम के कीड़े पालने वाली महिलाओं की संख्या काफी बढ़ चुकी है।
– इससे इन महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता भी मिली है।