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इच्छामृत्यु की इजाजत संसद तय करेः सुप्रीम कोर्ट

sc05नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इच्छामृत्यु (पैसिव यूथेनेसिया) की इजाजत हो या नहीं इसका फैसला संसद में हो। इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि लॉ कमिशन की रिपोर्ट इस मामले में केंद्र सरकार के सामने आई है। उस रिपोर्ट को देखा जा रहा है। लॉ कमिशन की रिपोर्ट में पैसिव यूथेनेसिया को लीगलाइज करने की सिफारिश की गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से कहा है कि वह अपना काम करे और मामले की सुनवाई के लिए 20 जुलाई की तारीख तय कर दी। अदालत ने कहा कि यह सरकार का ही काम है कि वह देखे कि क्या जिसके जिंदा रहने की उम्मीद न बची हो उसे पैसिव यूथेनेसिया दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनकी गुहार है कि लिविंग विल की इजाजत होनी चाहिए। तब सरकार ने कहा कि तमाम पहलुओं को देखा जा रहा है और यह भी पैसिव यूथेनेसिया का हिस्सा है।

याचिकाकर्ता के एडवोकेट प्रशांत भूषण ने दलील दी कि वैसे मरीज जो जानलेवा बीमारी से ग्रस्त हैं और जिसमें मौत निश्चित है, वैसे मामले में मरीज के होश में रहने तक विल करने की इजाजत होनी चाहिए कि अगर वह मरणासन्न अवस्था में चला जाए तो उसका मेडिकल सपोर्ट सिस्टम हटा लिया जाए। साथ ही कहा गया कि इस तरह के विल को एग्जामिन करने के लिए कमिटी का गठन होना चाहिए।

भूषण ने दलील दी कि राइट टु लाइफ के दायरे में सम्मान के साथ मरने का भी अधिकार है और ऐसे में याचिका स्वीकार की जानी चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि जिसके बचने की कोई आस न हो, उसे अपनी जिंदगी खत्म करने की इजाजत होनी चाहिए। सोमवार को जब मामले की सुनवाई चल रही थी तब सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण से सवाल किया कि आखिर यह कौन बताएगा कि किसी शख्स के बचने की कोई उम्मीद नहीं है।

जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि एक कपल के बच्चे विदेश में थे। बच्चों के पिता की तबीयत खराब हो गई और डॉक्टर ने कहा कि इनके बचने की उम्मीद नहीं है लेकिन जैसे ही बच्चे विदेश से आए उनके पिता की तबीयत सुधरने लगी। इससे पहले जज के पूछे जाने पर प्रशांत भूषण ने बताया था कि डॉक्टर ही बता सकता है कि किसी के बचने की उम्मीद है या नहीं। प्रशांत भूषण के जवाब के बाद उक्त घटना का सुप्रीम कोर्ट ने जिक्र किया।