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इंडोनेशियाः मानसिक रोगी होना है श्राप, घरवाले ही करते हैं शोषण

abuseइंडोनेशिया। मानव अधिकार आयोग की ओर से एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसके मुताबिक इंडोनेशिया में नियमित तौर पर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं, जिनमें मानसिक रूप से बीमार लोगों के साथ उनके परिवार वाले भी दुर्व्यवहार करते हैं। साथ ही इनकी देख-रेख करने वाले ही इनका मानसिक और यौन शोषण करते हैं। इस स्थिति को ‘पासुंग’ कहा जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, 1977 में ही इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन फिर भी तब से लेकर अभी तक ऐसे 57,000 मामले सामने आ चुके हैं।
सोमवार को जारी की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि हाल ही में 175 पीड़ितों को बचाया गया है। दस्तावेजों में इस बात का भी जिक्र है कि इंडोनेशिया में लोग मानसिक रूप से बीमार होने को श्राप या किसी बुरी आत्मा का साया मानते हैं। इस रिसर्च के मारफत एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें कथित रोग से पीड़ित महिला ने 15 साल कैद में बिताए।

देश के सुदूर इलाकों से ही ऐसे मामले ज्यादा संख्या में सामने आते हैं, जहां न तो लोग शिक्षित हैं और न ही वहां उचित स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। 250 मिलियन आबादी वाले देश में कुल 48 मानसिक रोगों के अस्पताल हैं। विकलांगों के अधिकार की निगरानी करने वाले मानव अधिकार अधिकारी शांता राउ बरिगा ने बताया कि इंडोनेशिया का हेल्थ केयर सिस्टम काफी अच्छा है लेकिन विडंबना है कि इसमें मानसिक उपचार के लिए कोई खास जगह नहीं है।

ऐसे ही कुछ पीड़ितों ने अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के विषय में बताया। 24 साल की इसमाया (पीड़िता) ने अपनी आपबीती साझा करते हुए बताया कि उसे एक हीलिंग सेन्टर में बंद करके रखा गया था और हाथ-पांव जंजीर से बांध दिए गए थे। उसे पेशाब तक जाने की इजाजत नहीं थी। वह चीखती रहती थी लेकिन कोई भी उसकी बात नहीं सुनता था। एक और पीड़िता कारिका (29) ने बकरियों के बाड़े में चार साल कैद में बिताए। उसे एंटी-पासुंग पुलिस ने छुड़ाया। हालांकि, उसके घर वालों ने दोबार उसके साथ वही बर्ताव किया।

इंडोनेशियन सरकार ने पासुंग के प्रचलन पर रोक लगाने और मानसिक उपचार के स्तर को बेहतर बनाने के उद्देश्य के साथ कई कदम उठाए लेकिन जागरुकता की कमी की वजह से वे ज्यादा कारगर सिद्ध नहीं हो सके। सरकार के आंकड़े के अनुसार, अभी भी देश में 18,000 मानसिक रोगी मौजूद हैं। मानव अधिकार आयोग ने इस समस्या से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भी मांग की है।