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इंटरनैशनल विमिन्स डे पर महिला सांसदों ने मांगा अपना हक

hema-malini8नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिला सांसदों ने संसद के दोनों सदनों में ‘अपने हक’ का नारा बुलंद किया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बहुप्रतीक्षित महिला आरक्षण विधेयक को जल्द पारित किए जाने की मांग करते हुए कड़े शब्दों में सरकार से कहा , ‘हमें हमारा जायज हक दो।’ इसके साथ ही उन्होंने अधिकतम सुशासन के नारे को लेकर सरकार पर हमला बोला और कहा कि अधिकतम सुशासन का अर्थ प्रतिशोध की भावना के बिना असहमति के आधार को विस्तार प्रदान करना भी है। राज्यसभा में भी अलग-अलग पार्टियों की महिला सदस्यों ने आधी आबादी को संसद और राज्य विधानसभाओं में 33% आरक्षण देने संबंधी विधेयक शीघ्र पारित किए जाने की मांग उठाई।
महिला सशक्तीकरण के मुद्दे पर लोकसभा में सबसे पहले चर्चा की शुरुआत करते हुए सोनिया गांधी ने महिलाओं के उत्थान में कांग्रेस पार्टी की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस ने देश को पहली महिला प्रधानमंत्री, पहली महिला राष्ट्रपति और पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष दी।

उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दूरदृष्टि के चलते ही आज स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव में 40 % से अधिक महिलाएं चुनी हुई हैं। सोनिया गांधी ने कई मुद्दों को लेकर एनडीए सरकार की आलोचना की और उसके अधिकतम सुशासन और न्यूनतम सरकार के नारे पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि न्यूनतम सरकार, अधिकतम सुशासन पर उन्हें गंभीर आपत्तियां हैं। उन्होंने कहा, ‘अधिकतम सुशासन आर्थिक वृद्धि को गति देने से कहीं अधिक आगे की बात है। इसका अर्थ प्रतिशोध की भावना के बिना असहमति के आधार का विस्तार करना भी है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘निश्चित रूप से अधिकतम सुशासन का यह भी अर्थ है कि महिलाओं को उनका बहुप्रतीक्षित बकाया हक ‘महिला आरक्षण विधेयक’ प्रदान किया जाए। सोनिया ने इस मौके पर बीजेपी शासित कुछ राज्यों में स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शिक्षा को अनिवार्य बनाए जाने को लेकर सरकार को आड़े हाथ लिया और कहा कि यह कदम अनुसूचित जाति और जनजाति समूहों की महिलाओं को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने वाला है और इसे समाप्त करने के लिए उन्होंने इस पर तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूरत बताई।

दूसरी तरफ, राज्यसभा की बैठक शुरू होने पर सभापति हामिद अंसारी ने सदस्यों को महिला आरक्षण दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि देश को दिशा देने में और समाज के निर्माण में आधी आबादी की कड़ी मेहनत, अदम्य साहस और महती भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास में महिलाओं के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। अंसारी ने कहा कि महिला आधिकारिता और उनके विकास के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके खिलाफ बढ़ते अपराध और उनके साथ हो रहा भेदभाव चिंता पैदा करता है।

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सभापति ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर रोक लगाने, उन्हें उनके संवैधानिक अधिकार देते हुए समाज में सम्मानजनक दर्जा दिए जाने की वकालत की। महिला आरक्षण दिवस पर शून्यकाल के दौरान अपनी बात रखने के लिए नोटिस देने वाली सभी महिला सांसदों को आज शून्यकाल में पहले बोलने का मौका दिया गया। कांग्रेस सदस्यों ने नौ मार्च 2010 को यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान उच्च सदन में महिला आरक्षण विधेयक पारित किए जाने का श्रेय लिया और सरकार से जानना चाहा कि लोकसभा में पूर्ण बहुमत होने के बावजूद वह आखिर क्या कर रही है। आज से छह साल पहले राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित किया गया था और तब से यह विधेयक लोकसभा में लंबित है।

उप सभापति पी जे कुरियन ने महिला आरक्षण मुद्दे पर चर्चा कराने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, ‘क्या हम अप्रत्यक्ष दबाव डाल सकते हैं ताकि विधेयक लोकसभा में पारित हो सके।’ संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। इस पर कुरियन ने सदस्यों से कहा कि वह चर्चा के लिए नोटिस दें। अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि मंत्री होने के नाते वह शून्यकाल में बोलने के लिए नोटिस नहीं दे सकतीं लेकिन वह इस मुद्दे पर बोलना चाहती हैं। नजमा ने कहा, ‘लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण दिए जाने पर सबसे पहले वर्ष 1995 में चर्चा हुई थी और मार्च 2010 में राज्यसभा में इसके लिए एक संविधान संशोधन विधेयक पारित किया गया था। लेकिन अब यह विधेयक लोकसभा में लंबित है।’