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आर पी परशुराम के खतों ने बताया कि गांधी आश्रम की महिलाओं के साथ किस तरह के प्रयोग करते थे

महात्मा गाँधी को भारत को आजादी दिलाने और उनकी अहिंसावादी सोच के कारण आज दुनिया भर में एक आदर्श पुरुष के रूप में जाना जाता है पर आपको जानकार हैरत होगी की गांधीजी के जीवन से जुड़ा एक ऐसा पहलू भी है जिसका जिकर इतिहास के पन्नों में बखूबी किया गया है लेकिन उसके बारे में कोई बात नही करना चाहता| गांधीजी का ये पहलू है उनके द्वारा आश्रम में किये जा रहे महिलओं पे प्रयोगों का|

गांधीजी ने साल 1906 के दौरान 38 वर्ष की उम्र में ब्रह्मचार्य ग्रहण कर लिया था| ब्रह्मचार्य धारण करने के पश्चात गांधीजी को एक अध्यात्मिक जीवन का पालन करना था लेकिन गांधीजी के व्यवहार में अचानक तब्दीली आने लगी|वो महिलाओं के बीच असहज और अजीब महसूस करने लगे|अपने व्यवहार में आये इस परिवर्तन को दूर करने के नाम पर गांधीजी ने अपने आश्रम में महिलाओं पर घटिया प्रयोग करने शुरू किये|वो नग्न महिलाओं से अपने शारीर की मालिश करवाते और उनके साथ सोते|आश्रम की इन महिलाओं में उनकी पोत्र भतीजी मनुबेन भी शामिल थी|

इस तरह के प्रयोगों से गांधीजी के समर्थकों में आक्रोश फ़ैल गया|यहाँ तक की गांधीजी के करीबी जवाहर लाल नेहरु ने भी इन प्रयोगों को असमान्य बताया|लेकिन गांधीजी ने ऐसे कई आश्रमों की स्थापना की जहां वे ये प्रयोग करने लगे जिनमे लड़के लड़कियों को साथ में नहाने और सोने के लिए कहा जाता था पर किसी भी तरह से सबंध बनाने से उन्हें रोका जाता था और इस पर सजा भी दी जाती थी|आश्रम में पति पत्नी को भी साथ नही रहने दिया जाता था|बहुत ही अजीब तरह के ये प्रयोग है जो गांधीजी द्वारा किये और करवाए जाते थे जो हमारी समझ से तो बिलकुल बहार है|

गांधीजी के सेक्रेटरी निर्मल कुमार बोसे ने उन्हें समझाया था की जब तक जनता उनकी इस नई विचारधारा को समझ नही लेती उन्हें अपनी भतीजी मनुबेन से दूर रहना चाहिए|वल्लभ भाई पटेल ने तो गांधीजी के मुहं पे उन्हें कहा था की आप जो कर रहे है वो अधर्म है जिसपे गांधीजी ने जवाब दिया था की मनु के साथ सोना मेरे लिए अधर्म नही नैतिक कर्तव्य है|

हम लोग बेहद संवेदनशील होते है और हम ऐसा लोगों को महान समझने की गलती करते है| आप सोच रे होंगे की आज जब गाँधी इस दुनिया में नही है तो हम गड़े मुर्दे क्यूँ उखाड़ रहे है|ये सिर्फ गांधी तक ही सीमित नही है|जो बात मायने रखती है वे ये है की हम गाँधी जी की इस हरक़त पे कैसे प्रतिक्रिया देते है|हम आज अपने आप को बहुत ज्यादा एडवांस्ड और प्रोग्रेसिव मानते है पर मैं जानती हूँ इस लेख पे बहुत से लोग डिफेंसिव प्रतिक्रियां देंगे,वे गालियाँ निकालेंगे पर मैं एक बात कहना चाहूंगी की हमसे ज्यादा तो उस जमाने के लोग ही प्रोग्रेसिव थे क्यूँ की उन सब की नज़र में ये सब बेहद गलत था|उन लोगों ने न सिर्फ इस बात को समझा की गाँधी अपनी पॉवर का गलत इस्तेमाल कर रहे है बल्कि इसके खिलाफ आवाज़ भी उठाय,आक्रोश भी जताया और गांधीजी को ये सब बंद करने के लिए मजबूर किया|

निर्मल कुमार बोसे गांधीजी के एक करीबी ने भी गांधीजी के इस व्यवहार पर बेहद आपत्ति जताई थी और कहा था जब उन्हें इस बारे में पता लगा तो उन्हें बेहद हैरानी हुई की कोई किसी औरत के साथ ऐसे प्रयोग कैसे क्र सकता है|उन्होंने कहा की औरत के प्रति मेरा सम्मान मुझे कभी ऐसा कुछ करने की इज़ाज़त नही देगा|

On March 16, 1947, Nirmal Kumar Bose, one of Gandhi’s closest associates wrote a letter to Kishorlal G. Mashruwala, another of Gandhi’s close colleagues, saying, “When I first learnt about Gandhi’s experiment in which a girl took off her clothes and lay under the same cover with him and he tried to find out if any sexual feeling was evoked in him or his companion, I felt genuinely surprised. Personally, I would not tempt myself like that and more than that, my respect for [women] would prevent me from treating her as an instrument in my experiment.”

एन.के. बोस का पत्र 1947 के पहले छमाही में गांधी के सबसे करीबी सहयोगियों और दोस्तों के बीच आदान-प्रदानों हुआ , उनके इस अभ्यास से हर कोई नाराज और परेशान थे इसमें भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता जैसे वल्लभाई पटेल, जे बी। क्रिप्लानी और विनोभा भावे भी शामिल थे। उनमें से कई ने सीधे गांधी का सामना किया, और दूसरों ने उसके साथ सहयोग करना बंद कर दिया।

और इन प्रयोगों को सबसे करीब से एक शख्सने देखा था वो था आर पी परशुराम| आर पी परशुराम केरल का एक छात्र था जिसने 2 वर्ष तक टाइपिस्ट और गांधीजी के पर्सनल सेक्रेटरी की तरह आश्रम में काम किया| परशुराम उस दौर में उन हजारों युवाओं में से एक था जो गांधीजी को अपना आदर्श मानते थे|गांधीजी के प्रति इसी समान के चलते वो आश्रम में काम करने आया था पर सिर्फ 2 वर्षों में ही उसने ये नौकरी छोड़ दी|

नौकरी छोड़ते वक़्त उसने गांधीजी के व्यवहार और आश्रम में हो रहे प्रयोगों के बारे में एक ख़त लिखा था जिसमे उसने लिखा था की “आप हमारे राष्ट्रपिता है, मैं आपके कार्यों से हमेशा प्रभावित रहा हूँ|जब मैं पहली बार आश्रम में एक टाइपराइटर की तौर पर आया था तब मेरे मन में आपके लिए बहुत सम्मान था पर आश्रम में 24 घंटे बिताने के बाद ही मैंने आपके प्रति सम्मान का एक बड़ा हिस्सा खो दिया|आप के महिलाओं के साथ यूँ नहाने और सोने के मैं बेहद खिलाफ हूँ|मैं बेहद खिलाफ हूँ उस बात के की आप युवाओं को अपने इस तरह के प्रयोगों के लिए इस्तेमाल करते है बिना ये सोचे की उनको कैसा लगता होगा|

लेकिन इस हमले के तहत, गांधी ने आखिरकार हार मान ली। उनका अहंकार और आत्मरक्षा उनके चारों तरफ लोगों द्वारा तोड़ दिया गया था, जिन्होंने सौभाग्य से इस बात को समझा और हमसे बेहतर किया  और गाँधी को इस बात का जवाब दिया।

मैं इसे पढ़ने वाले सभी से सवाल पूछना चाहती हूं की क्यों यह कहना मुश्किल है कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के नायक गांधी ने भी अपनी शक्ति और स्थिति का इस्तेमाल अपने नेतृत्व में लड़कियों और महिलाओं का यौन शोषण / दुरुपयोग करने के लिए किया था।

https://www.facebook.com/ashok.sheoran.779/videos/1567154403362612/

http://thehinduhistorian.com/secrets-of-mahatma-gandhi-by-rp-parashuram/

https://www.youthkiawaaz.com/2013/10/gandhi-used-power-position-exploit-young-women-way-react-matters-even-today/