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आप के 21 विधायकों पर तलवार, जानिए, कितनी ‘फंसेगी’ केजरी सरकार

15Arvind-Kejriwalwww.puriduniya.com नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने से संबंधित दिल्ली सरकार के विधेयक को खारिज कर दिया है। इससे अब आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है। बीजेपी और कांग्रेस की शिकायत पर इस मामले में चुनाव आयोग नोटिस भी जारी कर चुका है। जानिए, क्या है यह पूरा मामला और राष्ट्रपति के इस फैसले के बाद दिल्ली की राजनीति में आगे क्या-क्या हो सकता है…

केजरीवाल सरकार ने पिछले साल आप के 21 विधायकों को संसदीय सचिव पद सौंपा था। मार्च 2015 में नोटिफिकेशन जारी कर कहा गया था कि संसदीय सचिव को कोई सुविधाएं नहीं दी जाएंगी। इसके बाद जून में आप सरकार ने संसदीय सचिव के पद को लाभ के दायरे से बाहर रखने का बिल पारित किया और राष्ट्रपति को भेजा। मकसद था कि अगर भविष्य में इन्हें इनकी जिम्मेदारी पूरी करने के लिए कोई सुविधा देनी हो तो वह संभव हो सके। मगर इसे लाभ का पद मानते हुए चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर पूछा कि इनकी सदस्यता क्यों नहीं खत्म कर दी जाए? इसके साथ ही राष्ट्रपति ने भी यह बिल नामंजूर कर दिया।

बीजेपी और कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि संसदीय सचिव पर नियुक्त किए गए 21 विधायकों को ‘लाभ के पद’ के दायरे से बचाने के लिए आम आदमी पार्टी इस विधेयक को कानून बनाना चाहती थी। संसदीय सचिवों में अलका लांबा, प्रवीण कुमार, शरद कुमार, आदर्श शास्त्री, मदन लाल, चरण गोयल, सरिता सिंह, नरेश यादव, जनरैल सिंह और राजेश गुप्ता आदि हैं। अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेता इसके बाद केंद्र सरकार पर हमलावर हुए हैं। संजय सिंह ने ट्वीट किया कि शीला दीक्षित ने भी ऐसा किया था।

1- राष्ट्रपति के बिल को नामंजूर करने का कदम आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता रद्द होने की ओर माना जा रहा है।

2- मामला चुनाव आयोग के पास भी लंबित पड़ा है। अब राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सलाह से धारा 192 के तहत विधायकों की सदस्यता रद्द कर सकते हैं।

3- वैसे, दिल्ली सरकार के सीनियर अधिकारी ने कहा है कि बिल को दोबारा विधानसभा में पेश करने के बारे में फैसला लिया जाएगा।

4- अगर आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता रद्द होती है तो भी अरविंद केजरीवाल सरकार खतरे में नहीं होगी। 70 विधानसभा सीटों में अभी आप के पास 67 सीटें हैं। 21 विधायक अयोग्य भी हो गए तो आप के पास 46 सीटें रहेंगी, जो बहुमत के आंकड़े (35+1) से बहुत ज्यादा है।

5- चुनाव आयोग इन सीटों पर दोबारा चुनाव कराने का फैसला लेता है तो आम आदमी पार्टी के पास इन 21 सीटों को फिर से जीतने का दबाव होगा। इस समय बीजेपी के पास 3 और कांग्रेस के पास शून्य सीटें हैं। इन दोनों पार्टियों के अलावा बीएसपी भी सीट जीतने को कोशिश करेगी।