मुंबई। 26/11 को मुंबई में जिन – जिन जगहों पर आत्मघाती हमले हुए, उनकी रेकी डेविड कोल्मन हेडली ने की थी, पर खुद हेडली रेकी का इच्छुक नहीं था। वह आत्मघाती हमलावर बनना चाहता था।
मुंबई क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि हेडली आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा में सन 2002 में हाफिज सईद द्वारा दिए एक भाषण को सुनने के बाद आया। पाकिस्तान में जिस जगह पर यह भाषण हुआ, उस दौरान वहां जकी उर रहमान लखवी, साजिद मीर सहित कई और सरगना भी मौजूद थे। लश्कर में आने के बाद उसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कई महीने तक हथियार चलाने से लेकर बम बनाने तक-सभी तरह की आतंकवादी ट्रेनिंग दी गई।
उसी दौरान उसने लश्कर सरगनाओं से कहा कि उसे जम्मू कश्मीर में आत्मघाती हमले के लिए भेजा जाए, पर उसे जवाब दिया गया कि चूंकि उसकी उम्र (सन 2002 में 42 साल) आत्मघाती हमलावर बनने के लिए ज्यादा है, इसलिए हमने उसके लिए कोई दूसरा काम चुना गया है। 30 जून, 1960 को जन्मे डेविड हेडली को इसके बाद मुंबई सहित भारत के कई प्रमुख शहरों की रेकी करने को कहा गया। उसी के बाद उसका नाम बदला गया और वह दाऊद गिलानी से डेविड हेडली बन गया।
डेविड हेडली के नाम से उसका पासपोर्ट बना और इसी पासपोर्ट से उसे सन 2006 में पहली बार मुंबई भेजा गया। मुंबई की पहली यात्रा के दौरान उसे कोई खास टारगेट रेकी के लिए नहीं दिया गया। उससे सिर्फ यही कहा गया कि मुंबई की जनरल विडियोग्राफी करो और उसे पाकिस्तान भेजो। इस पहले विडियो को देखने के बाद फिर लश्कर सरगनाओं से उसे मुंबई के कुछ खास जगहों की रेकी करने को कहा। बाद में उसे भारत के कुछ और शहरों में भी जाने को कहा गया।
डेविड हेडली मुंबई कुल 8 बार आया। सात बार हमले से पहले, जबकि एक बार 7 मार्च, 2009 को 26/11 हमले के बाद । उसने भारत में नवीं यात्रा भी की, पर वह मुंबई की नहीं, दिल्ली की थी।
खास बात यह है कि मुंबई क्राइम ब्रांच ने अजमल कसाब की गिरफ्तारी के बाद जब 26/11 केस की चार्जशीट दाखिल की थी, तब सबाउद्दीन अंसारी और फहीम अंसारी पर मुंबई की रेकी करने का आरोप लगाया गया था, पर डेविड हेडली का नाम कहीं नहीं था। खास बात यह भी है कि जिस अबू जुंदाल की वजह से डेविड हेडली का इन दिनों मुंबई की अदालत में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कन्फेशन (कबूलनामा) लिया जा रहा है, उस केस में भी मुंबई क्राइम ब्रांच ने डेविड हेडली के खिलाफ कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की है।
ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि बिना चार्जशीट के हेडली के खिलाफ मुकदमा कैसे शुरू हो गया ? क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने इस पहेली से भी पर्दा उठाया। इस अधिकारी के अनुसार, सन 2009 में जब डेविड हेडली पकड़ा गया, तो उससे पूछताछ के लिए एनआईए की तीन सदस्यीय टीम अमेरिका गई थी। बाद में एनआईए ने दिल्ली में डेविड हेडली व कुछ अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। हेडली के खिलाफ एनआईए ने चार्जशीट भी दाखिल की। पर वह चार्जशीट सिर्फ 26/11 के मुंबई हमले तक सीमित नहीं थी, इसमें पूरे देश में उसके द्वारा रची गई साजिश का जिक्र किया गया था। एनआईए उसी चार्जशीट के आधार पर डेविड हेडली व अन्य पर दिल्ली की अदालत में मुकदमा शुरू करने वाली थी और हेडली को अप्रूवर बनाकर उसका विडियो कान्फ्रेंसिंग से स्टेटमेंट लेने वाली थी।
यह बात जब मुंबई क्राइम ब्रांच तक पहुंची, तो उसने केंद्र सरकार पर दबाव डाला और एनआईए से पहले मुंबई क्राइम ब्रांच का मुकदमा शुरू करने का अनुरोध किया। केंद्र सरकार की हरी झंडी मिलने के बाद सीआरपीसी के सेक्शन 319 के तहत हेडली को आरोपी बना दिया गया और फिर विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दो महीने पहले उसकी अदालत में पेशी कर दी गई। इस पेशी के दौरान उसने अप्रूवर बनने की इच्छा जाहिर की, जिसे मुंबई पुलिस ने तुरंत मान लिया। पूर्व आईपीएस अधिकारी व नामी ऐडवोकेट वाईपी सिंह कहते हैं, ‘सीआरपीसी के सेक्शन 319 में जब अदालत चल रहे मुकदमे के दौरान पाती है कि उस मामले की साजिश में किसी नए व्यक्ति का नाम सामने आ रहा है, तो अदालत उसे आरोपी बना देती है और बिना चार्जशीट के उस पर मुकदमा शुरू कर देती है। पर मेरा मानना है कि हेडली के मामले में पुलिस को सीआरपीसी के सेक्शन 173 के तहत चार्जशीट दाखिल करनी चाहिए थी।’
किसी आरोपी को अप्रूवर भी उसके खिलाफ चार्जशीट के बाद ही बनाए जाने की परंपरा रही है, पर हेडली बिना चार्जशीट के अप्रूवर बना है, क्योंकि उसे मुंबई क्राइम ब्रांच ने नहीं, अदालत ने आरोपी बनाया।
एनआईए ने डेविड हेडली के खिलाफ जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें पूरे भारत में उसके द्वारा की गई रेकी और रची गई साजिश का जिक्र है। चार्जशीट में 26/11 के मुंबई हमले और उसमें भी डेविड हेडली की भूमिका का विस्तार से जिक्र है। सवाल यह है कि जब 26/11 हमले में मुंबई की कोर्ट में मुकदमा शुरू हो गया है, तो क्या अब एनआईए भी 26/11 में दूसरा मुकदमा चलाएगी? क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के अनुसार, इसका फैसला एनआईए अदालत को करना है। संभव है कि 26/11 के हमले को छोड़कर देश में रची गई दूसरी साजिशों में हेडली पर एनआईए कोर्ट में मुकदमा चले। खास बात यह है कि मुंबई की कोर्ट में इन दिनों 26/11 पर जो मुकदमा चल रहा है, उसमें मुंबई क्राइम ब्रांच ने एनआईए द्वारा दिल्ली कोर्ट में दायर की गई चार्जशीट को आधार बनाया है। सोमवार को मुंबई की कोर्ट में खुद एनआईए के दो अधिकारी व उनका सरकारी वकील मौजूद था।
आठ साल पहले जब 26/11 को मुंबई में हमला हुआ था, तब कई बार कहा गया कि इस हमले के पीछे आईएसआई का हाथ था। पर मुंबई पुलिस और भारत सरकार को यह बताने वाला कोई गवाह नहीं मिला था। पर सोमवार को डेविड हेडली के बयान से मुंबई पुलिस को इस हमले में आईएसआई की भूमिका पर गवाह मिल गया है।
डेविड हेडली को जब दो महीने पहले विडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मुंबई की कोर्ट में पेश किया गया था, तो वह शाम का वक्त था, पर सोमवार को शाम को नहीं, वह सुबह 7 से साढ़े 12 बजे तक कोर्ट में स्टेटमेंट देता रहा। मुकदमे के समय का यह परिवर्तन किसके कहने पर हुआ? मुंबई क्राइम ब्रांच चीफ अतुलचंद्र कुलकर्णी ने बताया कि पहले दिन में दो बार हेडली की कोर्ट में पेशी की बात थी, पर बाद में अमेरिका वालों ने कहा कि एक समय ही उसे पेश करो, इसलिए हमने सुबह 7 से साढ़े 12 बजे का वक्त रखा। कुलकर्णी कहते हैं कि वह लोग दरअसल सुबह साढ़े छह बजे से हेडली की पेशी चाहते थे, पर हमने उनसे कहा कि मुंबई में यह बहुत जल्दी वक्त होगा, इसलिए विडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी सुबह सात बजे हुई। जब साढ़े बारह बजे मुकदमे की यह प्रक्रिया खत्म हुई, तो अमेरिका में रात के 2 बज रहे थे।